- स्वच्छता अभियान कलक्ट्रेट परिसर में हो गया धड़ाम, खुली अभियान की पोल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: स्वच्छता अभियान कलक्ट्रेट में ही धड़ाम हो गया हैं। देश भर में स्वच्छता का दम भरा जा रहा हैं, लेकिन कलक्ट्रेट परिसर में बने टॉयलेट की हालत तस्वीर में देखिये। तस्वीर देखकर आप भी चौक गए होंगे। क्योंकि जहां पर डीएम दीपक मीणा बैठते हैं, वहां भी उनके अधीनस्थ अफसर टॉयलेट तक को ठीक नहीं करा पा रहे हैं। छोटी-छोटी चीजों पर भी क्या डीएम ही ध्यान रखेंगे।
प्रशासनिक अफसरों की लंबी फौज हैं, लेकिन कलक्ट्रेट में खराब टॉयलेट इन लोगों को दिखाई नहीं देता। स्वच्छता अभियान पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं। शहरों को स्मार्ट बनाने के दावे किये जा रहे हैं, लेकिन यहां तो कलक्ट्रेट का टॉयलेट ही स्वच्छ नहीं हैं। जब बना था तो अच्छा था। स्लोगन भी इस पर लिखे गए थे।
फिर इसकी तरफ देखा तक नहीं गया। हालात वर्तमान में ये है कि जो टायल्स लगी थी, वो क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं तथा नीचे मिट्टी का भराव बैठ गया हैं। गहरा गड्ढा टॉयलेट के ठीक आगे बन गया हैं। कोई भी इसमें गिरकर घायल हो सकता हैं। टॉयलेट की सफाई कब हुई हैं, कुछ नहीं कहा जा सकता। कलक्ट्रेट की सफाई के लिए कई कर्मचारी तैनात हैं। नगर निगम से भी सफाई कर्मी हर रोज आते हैं,लेकिन यहां सफाई नहीं होती।
पानी का कनेक्शन तक इसमें नहीं हैं। इसकी पुन: मरम्मत कर दी जाए तो ज्यादा पैसा नहीं लगेगा, लेकिन फिर से टॉयलेट ठीक हो जाएगा। लगता है ऐसा अफसर नहीं चाहते। शायद नये टॉयलेट बनाने पर जोर दिया जा रहा हैं, लेकिन जो पहले बन चुके, ये टॉयलेट उनके हाल पर छोड़ दिया गया हैं। क्या इस तरह से स्वच्छता अभियान चलेगा? टॉयलेट में गड्ढा बन गया, पानी का कनेक्शन नहीं हैं। सफाई कभी नहीं होती।
ये ही है स्वच्छता अभियान की वास्तविक तस्वीर। इस सच को कम से कम प्रशासन स्वीकार करें। क्योंकि कलक्ट्रेट में एक अधिकारी नहीं,बल्कि सभी आते हैं, मगर टॉयलेट ठीक कराने को कोई तैयार नहीं हैं। नगर निगम शहर भर में दीवार पुतवाकर स्वच्छता अभियान का गुनगान कर रहा हैं, लेकिन कलक्ट्रेट में टॉयलेट की तस्वीर देखी तो स्वच्छता अभियान कैसा चल रहा है, इसकी सच्चाई सामने आ गई।