- 10 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृपक्ष
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष का आरंभ इस बार 10 सितंबर से माना जा रहा है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत मानी जाती है। इस साल यह तिथि 10 सितंबर से आरंभ होकर 25 सितंबर तक होगी।
पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद मास की पूर्णिमा से होता है और समापन आश्विन मास की अमावस्या पर होता है। इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। इसके अगले दिन से नवरात्र का आरंभ हो जाता है। यानी कि नवरात्र इस साल 26 सितंबर से शुरू होंगे।
पितृ पक्ष का महत्व
पितृ पक्ष में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है और ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में खुशी का कोई भी कार्य करने से पितरों की आत्मा को कष्ट होता है। इस दौरान शादी, ब्याह मुंडन, गृह प्रवेश, अन्य शुभ कार्य या फिर कोई भी नई चीज खरीदना शास्त्रों में वर्जित माना गया है।
इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष वे पितृ पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के कुछ विशेष उपाय करें तो उनके ये दोष दूर किए जा सकते हैं। पितृ पक्ष में पितरों के निमित्त पिंडदान करने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। कुछ लोग काशी और गया जाकर अपने पितरों का पिंडदान करते हैं।
पितृ पक्ष में ब्रह्म भोज करवाया जाता है और पितरों के निमित्त दान-पुण्य किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध न करने से पितरों की आत्मा तृप्त नहीं होती है और उन्हें शांति नहीं मिलती है। पितृ तर्पण से प्रसन्न होकर पितर अपने परिजनों को सुखी और संपन्न रहने का आशीर्वाद देते हैं।
ऐसे किया जाता है तर्पण
ज्योतिषाचार्य आलोक शर्मा का कहना है कि कुछ लोग पितर पक्ष में रोजाना अपने पितरों के लिए तर्पण करते हैं तो कुछ लोग श्राद्ध की तिथियों पर पितरों के नाम से ब्राह्मणों को भोजन करवाकर श्राद्ध करते हैं। श्राद्ध के दिन ब्राह्मणों को आदरपूर्वक घर बुलाएं और उन्हें भोजन करवाकर यथासंभव दान करना चाहिए और उसके बाद भेंट देकर आदर के साथ विदा करना चाहिए। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए तेल न लगाएं और प्याज लहसुन के खाने से दूरी बनाकर रखें।
पितृ पक्ष की प्रमुख तिथियां
- 10 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा
- 11 सितंबर- प्रतिपदा श्राद्ध आश्विन कृष्ण प्रतिपदा
- 12 सितंबर- आश्विन कृष्ण द्वितीया
- 13 सितंबर- आश्विन कृष्ण तृतीया
- 14 सितंबर – आश्विन कृष्ण चतुर्थी
- 15 सितंबर – आश्विन कृष्ण पंचमी
- 16 सितंबर – आश्विन कृष्ण षष्ठी
- 17 सितंबर – आश्विन कृष्ण सप्तमी
- 18 सितंबर- आश्विन कृष्ण अष्टमी
- 19 सितंबर – आश्विन कृष्ण नवमी
- 20 सितंबर – आश्विन कृष्ण दशमी
- 21 सितंबर- आश्विन कृष्ण एकादशी
- 22 सितंबर- आश्विन कृष्ण द्वादशी
- 23 सितंबर- आश्विन कृष्ण त्रयोदशी
- 24 सितंबर- आश्विन कृष्ण चतुर्दशी
- 25 सितंबर – आश्विन कृष्ण अमावस्या