- सब्जियों की उपज 40 प्रतिशत हुई प्रभावित
- कम उपज का असर बाजार पर, सब्जियों के दाम आसमान पर
- किसान से थोक कारोबारी सब्जियों के लेते हैं दोगुने दाम
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: आग उगलती गर्मी और गर्म हवा के कारण सब्जियों के पौधे झुलस रहे हैं। खासकर हरी सब्जियों पर चढ़ता पारा कहर बरपा रहा है। 40 फीसद तक उत्पादन प्रभावित हुआ है। इसका असर सब्जियों के दाम पर भी साफ दिख रहा है। मौसम की मार झेल रहे किसानों के लिए थोड़ी राहत यह कि पिछले दिनों से हवा का रुख बदला है। वहीं, आसपास के ढाई दर्जन गांवों में करीब 23 हजार बीघे में खेती की जाती है।
शहरी एवं ग्रामीण इलाके में भी बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। लाखों परिवारों की जीविका सब्जी की खेती से चलती है। इस बार गरमा सब्जी की फसल अच्छी थी। बेहतर उपज की उम्मीद भी किसान लगा रखे थे, लेकिन 15 मार्च से मौसम के तेबर बदले और लगातार पछुआ बयार चलने लगी तो किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया। किसानों का कहना है कि आसमान से गिर रही आग पौधों की हरियाली खत्म कर रही है।
फल लगने से पहले फूल मुरझा रहे हैं। खासकर उत्तरवर्गीय सब्जियों की फसलों को नुकसान ज्यादा हो रहा है। मिट्टी में नमी रहने के बावजूद खेतों से हरियाली की चादर गायब हो रही है। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ रहा है। इस सीजन में मौसम अनुकूल रहता था तो हर दिन भिण्डी की तोड़ाई करनी पड़ती थी। डर रहता था कि नहीं तोड़ेंगे तो उपज खराब हो जाएगी। वर्तमान में सब उल्टा है। बिना दो दिनों के इंतजार के खेतों में तोड़ाई करने किसान नहीं उतर पाते हैं।
मौसम का नहीं मिल रहा साथ
अधिकतर किसान सब्जी की खेती करते हैं। मौसम और बाजार का साथ मिलता है तो अच्छी कमाई हो जाती है। इस बार गर्मी किसानों के दुश्मन बन गयी है। फसलों को बचाने के लिए लगातार सिंचाई कर रहे हैं। लेकिन, परिणाम उम्मीद के अनुसार नहीं मिल रहे हैं। किसानों का कहना है कि एक कट्ठा कद्दू की खेती करने पर 10 से 12 सौ रुपया खर्च हो जाता है। तीन हजार तक की उपज मिलती है,जब बाजार का हाल ठीक रहता है। इस बार 40 % तक उपज ही कम मिल रही है तो मुनाफा के बारे में सोचना ही बेकार है।
मेहनत कर रहे किसान, चांदी काट रहे कारोबारी
मेहनत और पूंजी लगाकर फसल की खेती करने वाले धरती पुत्रों की लाचारी का फायदा कारोबारी उठा रहे हैं। भले ही किसानों को दाम कम मिले, लेकिन कारोबारी खरीदारों की जेब से रुपये निकालने से बाज नहीं आ रहे हैं। खेत से मंडी आते ही सब्जियों के भाव प्रति किलो 10 से 12 रुपये महंगा हो जाता है। खुदरा दुकानों के तो कहने ही क्या? 30 का माल 50 में बेचते हैं। किसान से थोक कारोबारी सब्जियों के दोगुने दाम लेते हैं। ठेला पर सजकर जब टमाटर शहर की सड़कों पर आता है तो 10 से बढ़कर दाम हो जाता है 20 रुपये किलो।
मौसम में बदलाव पर टिकी धरतीपुत्रों की उम्मीदें
किसानों का कहना है कि तापमान में गिरावट होने पर पौधों से गायब हरियाली फिर से लौट आएगी। तपमान में गिरावट आती है तो किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। नुकसान की भरपाई करने का अवसर मिलेगा। गर्मी से सब्जी के पौधों को बचाने के लिए गहरी सिंचाई ही सबसे बेहतर तरीका है।