- छोटी बड़ी करीब 50 गाड़ी माल घटकर रह गया अब मात्र 20 गाड़ी
- मुर्गों के मरने व संक्रमण की आशंका से औने-पौने दामों में बेचे जा रहे
- हरियाणा व पंजाब की मुर्गों मंडियों से मीट कारोबारी ले रहे पल-पल का अपडेट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: बर्ड फ्लू की आशंका के चलते ज्यादातर कारोबारियों ने औने पौने दामों में मुर्गे बेचकर पोल्ट्री फार्म खाली कर दिए हैं। जिनके पास माल बचा हुआ है वो भी माल निकाल रहे हैं। मेरठ के ज्यादातर पोल्ट्री फार्म फिलहाल खाली हो चुके हैं। हालांकि महानगर की करीब 15 मीट मुर्गा दुकानों पर माल का कटान जारी है। लेकिन माल की बिक्री पर असर नजर आने लगा है। आमतौर पर हरियाणा और पंजाब से छोटी बड़ी कुल 50 गाड़ी माल आया करता था। बुधवार को यह घटकर 20 गाड़ी रह गया।
केस नहीं अफवाह गरम
लिसाड़ी गेट के मुर्गा मीट कारोबारी नईम ने बताया कि बर्ड फ्लू को लेकर अफवाह तेजी से फैल रही है। इसका असर काम पर साफ नजर आता है। उनका कहना है कि मेरठ में अभी संक्रमण का कोई केस तो नजर नहीं आया है लेकिन कारोबारियों में इसकी चर्चा खूब हो रही है। आने वाले एक दो दिनों में काम पर बुरा असर पड़ सकता है।
रकम फंसने का अंदेशा
बर्ड फ्लू को लेकर मीडिया में आ रही रिपोट को देखते हुए अब कारोबारी बेहद संभल कर काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि लॉक डाउन के दौरान भारी नुकसान उठा चुके हैं। जो माल भरा हुआ था वो सब बेकार हो गया। लॉक डाउन में कोड़ियों के भाव माल बेचना पड़ा। इसलिए बर्ड फ्लू के अंदेशे से रकम फंसने में जोखिम ज्यादा है।
पहले से भी बीमारी की आशंका
मुर्गों में बीमारी की आशंका करीब एक माह पहले से नजर आने लगी थी। दरअसल पंजाब व हरियाणा के पोल्ट्री फार्मों से जो मुर्ग आ रहे थे उनमें संक्रमण के लक्षण साफ नजर आते थे। बड़ी संख्या में ऐसे मुर्ग आ रहे थे जिनके पंख नौचे हुए थे। दरअसल मुर्ग की यह हालात तभी होती है जब उनमें संक्रमण आ जाता है।
बेकार नहीं जाने देते एक भी पीस
मुर्गे के कारोबारी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि बीमार मुर्ग की बात तो बहुत दूर रही, जो मुर्गा मर भी जाता है कुछ कारोबारी तो उसको भी नहीं फैंकते। लो क्लास होटलों में तथा ठेला व ढावा टाइप होटलों में बीमार और मरा हुआ सभी प्रकार के मुर्गों का मीट सप्लाई हो जाता है। इस बात की पुष्टि आरटीआई एक्टिविस्ट लोकेश खुराना भी करते हैं कि बीमार व मरे हुए मुर्गे का मीट भी सप्लाई कर दिया जाता है। आमतौर पर चिकन सूप में इसी प्रकार के मुर्गे का मीट यूज किया जाता है।
दो माह पूर्व किया था अफसरों को आगाह
- अभी भी नींद में सिस्टम ऐक्शन में न आए तो बडेÞ स्तर पर संक्रमण के खतरे की चेतावनी
- सीएम कार्यालय से भी कार्रवाई कर रिपोर्ट की जा चुकी है तलब, लेकिन हुआ कुछ नहीं
बर्ड फ्लू के खतरे और उसके कारणों को लेकर नगर निगम के अफसरों को करीब दो माह पहले आगाह किया गया था। हैरानी तो इस बात की है कि इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी शिकायत का संज्ञान लिया था। साथ ही प्रदूषण नियंत्रण अफसरों को कार्रवाई का निर्देश देते हुए रिपोर्ट तलब की थी। लेकिन प्रदूषण नियंत्रण अफसरों ने वाया जिला प्रशासन गेंद निगम अफसरों के पाले में डाल दी।
दो माह पूर्व शिकायत
बर्ड फ्लू के खतरे को भांपते हुए करीब दो माह पूर्व यानि 12 नवंबर को सीएम के आईजीआरएस पोर्टल पर आरटीआई एक्टिविस्ट लोकेश खुराना ने शिकायत की थी। जिसमें मेरठ महानगर में बडे स्तर पर मुर्गों के कटान तथा उसके अपशिष्ट से फैलने वाली गंदगी के कारण हो रहे प्रदूषण की ओर से ध्यान दियाला था।
प्रमुख सचिव पर्यावरण को चेतावनी
इसको लेकर प्रमुख सचिव पर्यावरण को सावधान करते हुए जानकारी दी गयी थी कि क्षेत्रीय प्रदूषण कार्यालय के अंतर्गत मेरठ महानगर में मुर्गे के मीट की दुकानों पर किए जा रहे बर्ड स्लॉटरिंग से उत्पन्न अवशेष अपशिष्ट एवं गंदगी का समुचित निस्तारण नहीं किया जा रहा है। यह नाले नालियों में बहाए जा रहे हैं। कुछ स्थानों पर कूडेÞ कचरे के ढेर पर फैंके जा रहे हैं। इससे गंदगी व प्रदूषण फैल रहा है।
बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं। खुलेआम कटान किया जा रहा है। इसके जन स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम पैदा होगें। इस प्रकार दो माह पूर्व सावधान किया गया था।
कार्रवाई से काट रहे कन्नी
आईजीआरएस पर शिकायत अपलोड किए करीब दो माह होने को आए और वेस्ट यूपी समेत देश के कई राज्यों में बर्ड फ्लू को लेकर अलर्ट जारी किया गया है लेकिन उसके बाद भी बजाए कार्रवाई के अधिकारी कन्नी काट रहे हैं। एक दूसरे पर कार्रवाई की जिम्मेदारी का ठीकरा फोड़ा जा रहा है। जबकि आरटीआई एक्टिविस्ट लोकेश खुराना का कहना है कि यह काम नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग तथा मीट लाइसेंस जारी करने वाली आथारिटी यानि खाद्य विभाग का है।
हालात होंगे बेकाबू
महानगर में मुर्गों के कटान में बरती जा रही लापरवाही और तेजी से पांव पसार रहे बर्ड फ्लू के संक्रमण की वजह से यहां के हालात बेकाबू होने की आशंका जतायी जा रही है। कई राज्यों में जिस प्रकार से बर्ड फ्लू संक्रमण के चलते परिंदों की मौत हो रही है वह एक गंभीर खतरे का संकेत है।