- छिड़ा विवाद, मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा, अम्बेडकर नगर का मामला
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: उत्तर प्रदेश में इस समय एक नया विवाद छिड़ा हुआ है। मामला एक एसडीएम और पीडब्ल्यूडी इंजीनियर के बीच विवाद का है। विवाद एक एसडीएम द्वारा पीडब्ल्यूडी के एक इंजीनियर को दिए गए एक आदेश के बाद शुरु हुआ। पीडब्ल्यूडी अधिकारी को एसडीएम का आदेश देना इतना अखरा कि उन्होंने एसडीएम साहब से बोल दिया कि ‘आप बी ग्रेड आॅफिसर हैं और मैं ए ग्रेड, आप मुझे आदेश कैसे दे सकते हैं’।
बताया जाता है कि जब यह मामला मुख्यमंत्री के दरबार में पहुंचा तो वहां भी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। नियम और कायदों के साथ गाइडलाइंस पढ़ी गर्इं। पूरा मामला अम्बेडकर नगर जिले की जलालपुर तहसील का है। यहां एसडीएम सुनील कुमार ने लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता एमके अनिल को आदेश दिया कि वहां के एक स्थानीय मार्ग (मालीपुर-जलालपुर मार्ग) पर उग आई झाड़ियों की सफाई करवाएं। इसके अलावा इस मार्ग पर लगे पेड़ों की शाखाएं नीचे लटक रही हैं जिससे दुर्घटनाओं का अंदेशा बना हुआ है लिहाजा इन्हें भी कटवाएं।
एसडीएम को आदेश देता देख पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभिंयता बिफर पड़े। अधिशासी अभियंता ने एसडीएम को जो जवाबी लेटर लिखा वो पीडब्ल्यूडी विभाग में भी खूब वायरल हुआ। इस पत्र में अधिशासी अभियंता ने एसडीएम से कहा कि ‘आप उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से चयनित एवं उत्तर प्रदेश शासन द्वारा तैनात द्वितीय श्रेणी अधिकारी हैं जबकि मैं उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित एवं शासन द्वारा तैनात प्रथम श्रेणी अधिकारी के पद पर तैनात हूं। आप स्पष्ट करें कि किस नियमावली के अंतर्गत द्वितीय श्रेणी का अधिकारी प्रथम श्रेणी के अधिकारी को निर्देशित कर सकता है।
क्या आपके द्वारा निर्देशित किया जाना उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 के नियम 3 में वर्णित नियमों के उपयुक्त है। साथ ही यह भी बताएं कि इस में जो धनराशि खर्च होगी वो किस मद में शामिल होगी ताकि जल्दी से जल्दी इस काम को कराया जा सके’। इंजीनियर साहब का सवाल वाजिब था लिहाजा उन्होंने इस पत्र की कॉपी जिलाधिकारी से लेकर जिला जल व कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव तक को भेज दी।
यह लेटर लखनऊ पहंचे ही सवाल खड़े होने लगे। अधिकारी गाइडलाइंस टटोलने लगे। मामला हाईप्रोफाइल हो गया। अब जिलाधिकारी अविनाश कुमार ने दोनों ही अधिकारियों (एसडीएम व अधिशाासी अभियंता) को बुला लिया और दोनों के बीच मामला शांत करवाया। बताया जाता है कि जैसे ही यह बात मुख्यमंत्री तक पहुंची तो तुरन्त ही एसडीएम का तबादला कर दिया गया।