नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। हरियाणा की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकार कहते हैं कि ओलंपिक मेडल चूकने के बाद विनेश को लेकर सहानभूति है।
कुश्ती संघ के खिलाफ धरने के दौरान जो हुआ उसको लेकर भी लोगों के मन में पहलवानों के प्रति साहनभूति थी। मेडल प्रकरण ने इसे विनेश के लिए और बढ़ा दिया है। अगर विनेश को कांग्रेस टिकट देती है तो उन्हें इस सहानभूति का फायदा मिल सकता है। ये अलग बात है कि यह फायदा निर्णायक साबित होता है या नहीं यह आठ अक्तूबर को पता चलेगा। जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे।
2019 के विधानसभा चुनाव में विनेश की चचेरी बहन बबीता फोगाट भी दादरी सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी थीं। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसी तरह पूर्व ओलंपिक पदक विजेता पहलवान योगेश्वर दत्त भी चुनाव मैदान में उतरे लेकिन सफल नहीं रहे थे। इन दोनों के अलावा भाजपा के टिकट पर उतरे पूर्व हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह पिहोवा सीट से जीतने में सफल रहे थे। यानी, सिर्फ खिलाड़ी होना जीत या हार की गारंटी नहीं कहा जा सकता है।
जानिए, 2019 में इन सीटों का हाल
दादरी और जुलाना दोनों ही जाट बहुल सीटें है। 2019 के विधानसभा चुनाव में दादरी सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार सोमवीर सांगवान ने जीत दर्ज की थी। जाट समुदाय से आने वाले सोमवीर सांगवान ने जजपा के सोमवीर सांगवाग को 14,272 वोट से हराया था। इसी सीट पर भाजपा उम्मीदवार और विनेश की चचेरी बहन बबीता फोगाट तीसरे नंबर पर रहीं थी।
दिलचस्प ये है कि सांगवान अब कांग्रेस में आ चुके हैं। सांगवान दादरी सीट से पार्टी से टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं। उनका दावा है कि पार्टी उन्हें ही टिकट देगी और अगर पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वो एक बार फिर से निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरेंगे।
इसी तरह जुलाना भी जाट बहुल विधानसभा सीट है। 2019 में यहां से जजपा के अमरजीत ढांडा जीते थे। ढांडा एक बार फिर यहां से जजपा उम्मीदवार हैं। उन्होंने इनेलो के परमिंद सिंह को हराया था।
परमिंदर 2009 और 2014 में यहां से जीते थे। जुलाना विधानसभा क्षेत्र में विनेश का ससुराल पड़ता है। कहा जा रहा है कि उनके परिवार ने क्षेत्र में अभी से विनेश के लिए समर्थन जुटाने की कवायद शुरू कर दी है।
बजरंग पूनिया के बादली सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें हैं। 2019 में यहां से कांग्रेस के कुलदीप वत्स जीते थे। उन्होंने भाजपा के ओपी धनखड़ को हराया था। धनखड़ 2014 में यहां से विधायक रह चुके हैं।
भाजपा ने एक बार फिर से उन्हें बादली सीट से उम्मीदवार बनाया है। वहीं, बजरंग की एंट्री के बाद कुलदीप वत्स का टिकट कटने की अटकलें हैं। वत्स इससे नाराज बताए जा रहे हैं।
कुश्ती संघ के खिलाफ जो मोर्चा विनेश-बजरंग ने खोल रखा था उसका क्या होगा?
कुश्ती संघ खिलाफ हुआ आंदोलन में बजरंग और विनेश के साथ ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक भी शामिल थीं।
अपने दोनों साथियों के कांग्रेस में शामिल होने की खबर के बाद साक्षी ने कहा कि कुश्ती संघ और बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ उनकी लड़ाई अभी भी जारी है।
उन्होंने कहा, “ये उनका (बजरंग और विनेश का) व्यक्तिगत फैसला है कि वो राजनीति में जा रहे है। मेरा मानना ये है कि हमें कहीं न कहीं त्याग कर देना चाहिए। हमारे आंदोलन को गलत रूप नहीं दिया जाए। मैं अब भी उस पर डटकर खड़ी हूं। रेसलिंग में महिलाओं से जो शोषण होता था वो जेनविन है।
मेरी तरफ से आंदोलन अभी भी जारी है। मैं हमेशा से रेसलिंग के लिए सोचती रही हूं और उसके लिए काम करती रही हूं और हमेशा करती रहूंगी। मेरे पास भी ऑफर आए हैं, लेकिन मैंने जो शुरुआत की है उसे अंत तक लेकर जाऊंगी जब तक फेडरेशन क्लीन नहीं हो जाता तब तक में डटकर लड़ती रहूंगी।”