Thursday, May 22, 2025
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अयोध्या की रामलीला के राम हैं राहुल बुच्चर

CINEWANI


अमिताभ स. |

आजकल दिल्ली बहुत गौरवान्वित महसूस कर रही है, क्योंकि दिल्ली निवासी राहुल बुच्चर अयोध्या की रामलीला में लगातार तीसरी बार भगवान राम की भूमिका निभा रहे हैं। बीते 4 सालों से हो रही अयोध्या की रामलीला देश ही नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी रामलीला है। आगामी 15 अक्तूबर से 24 अक्तूबर तक रोजाना रात 7 से 10 बजे तक दूरदर्शन के प्रादेशिक चैनलों पर इसका सीधा प्रसारण होगा। दूरदर्शन के जरिए 30 करोड़ से ज्यादा लोगों को इसे देखने का मौका मिलता है।

राकेश बेदी, बनवारी लाल झोल, अवतार गिल, मनोज तिवारी जैसे फिल्मी कलाकार भी मंच पर नजर आएंगे। सबसे अहम राम के रोल में हैं दिल्ली के स्टेज कलाकार राहुल बुच्चर। उनका जन्म दिल्ली में हुआ, स्कूली पढ़ाई नई दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल में हुई और फैमिली बिजनेस करते हैं। उनके परिवार का नाता पंजाब के नवां शहर से है। अयोध्या की रामलीला का यह चौथा साल है, और पिछले तीन साल से लगातार राहुल बुच्चर ही राम की भूमिका कर रहे हैं। उन्हें एक्टिंग का जुनून है। उन्होंने 2011 में उन्होंने पहली बार नाटक ‘बाल भगवान’ में अभिनय किया था। बताते हैं, ‘मुझे स्कूल से ही एक्टिंग का शौक था। लेकिन अभिनय में 10-12 सालों से ही सक्रिय हो पाया हूं।

राहुल बुच्चर कहते हैं, ‘भगवान राम की भूमिका करना आसान नहीं है। करने वाला जीवन से बड़ा बन जाता है।’ आगे बताते हैं, ‘देवी- देवताओं के पात्र आपको मानसिक रूप से प्रभावित जरूर करते हैं। ऐसी भूमिकाएं करने वालों को अगले कुछ महीने तक गलत काम से बचना चाहिए। यदि आप किसी चरित्र की देह धारण करके हैं, या कोई चरित्र जीते हैं, तो स्वयं को पूरी तरह से समर्पित करना होता है। मान लीजिए कि अगर आप भगवान राम का किरदार निभा रहे हैं, आप धोखेबाजी और बुरा बोलना- करना जारी रखते हैं, तो आपने किरदार के साथ न्याय नहीं कर रहे। ऐसे ही, यदि आप दानवीर कर्ण का किरदार निभा रहे हैं, आप दान नहीं कर रहे हैं, पुराने ढर्रे पर जीवन जी रहे हैं, तो यह जाहिर करता है कि आपने खुद को चरित्र के लिए समर्पित नहीं किया है। और फिर, अच्छी या बुरी कोई भी आदत 22 दिनों में बन जाती है, इसलिए यदि आपने उस चरित्र को 22 दिनों से अधिक समय तक निभाया है, तो आप उस चरित्र में स्वत: ढल जाएंगे।’

देवी- देवताओं के अभिनय से जुड़ी दिलचस्प आपबीती के बारे में पूछने पर वह बोले, ‘जब मैं भगवान शिव की भूमिका निभा रहा था, तो मुझे तांडव नृत्य सीखना पड़ा। तांडव बेहद कठिन नृत्य कला है। मैंने पहले कभी नृत्य नहीं किया था। मैंने कोच को मदद ली। मैं शाम को सीखता था, अगली सुबह सब साफ। मैंने अपने निर्देशक से बात की। उन्होंने कहा कि मुझे ही इसे करना ही होगा, और कोई विकल्प नहीं है। निर्देशक ने मुझे शिव जी का ध्यान करने और रुद्राभिषेक करने की सलाह दी। चार दिनों के बाद करिश्मा हुआ। मैं डांस कोच और डांस फ्लोर पर गया, तो मैं तांडव करने में सक्षम था। वास्तव में, यह भगवान शिव का मुझ पर बड़ा आशीर्वाद था। दरअसल, मैंने दक्षिण दिल्ली के आर के पुरम स्थित मलाई मंदिर में चार दिन रुद्राभिषेक किया, और मैं खुद-ब-खुद तांडव नृत्य सीख गया ! यह चमत्कारिक घटना मेरे दिल के सदा बहुत करीब रहेगी।’

अब अयोध्या की रामलीला को विश्व भ्रमण पर ले जाने की तैयारी है। यात्रा का बिगुल गुरुग्राम में एक शो के मंचन से बच गया है। इस सफर में वह दादा साहिब फाल्के आइकॉन अवार्ड, नेशन आइकॉन अवार्ड 2021, भारत ग्लोबल आइकॉन अवार्ड, राष्ट्रीय कला रत्न सम्मान, नेशन प्राइड अवार्ड समेत कई सम्मानों से नवाजे गए हैं।

राहुल बुच्चर ने बोनी कपूर की फिल्म ‘मॉम’ में भी छोटा- सा रोल किया है। मजाक में कहते हैं, ‘फिल्म में मैं श्री देवी का वकील बना था। खुदा- न- खास्ता मैं उनका केस न हारता, फिल्म बनती ही नहीं। क्योंकि अगर मेरे केस जीतने से मुजरिमों को सजा हो जाती, तो श्री देवी को खुद बदला लेने की नौबत ही न आती।’ लेकिन वह बॉलीवुड को छू कर मंच पर लौट आए। क्योंकि वह तो मंच का खोया आकर्षण वापस लाने में जुटे हैं। कहते हैं, ‘मेरा मकसद तो नाटकों को नई ऊंचाई पर ले जाना है।’


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