Thursday, January 9, 2025
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क्या वाकई आजाद हुई चिड़िया?

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1 25बचपन में हममें से बहुतों ने चिड़िया उड़ का खेल खूब खेला है। इस चक्कर में चिड़िया भले ही न उड़ी हो, लेकिन हाथी को जरूर उड़ा दिया। बड़ा मजेदार खेल था। लगभग इसी तर्ज पर मालिकाना हक बदलते ही ट्विटर की चिड़िया के पर आसमान को छूने लगे हैं। दुनिया के सबसे प्रभावशाली सोशल मीडिया मंच ट्विटर को पूरी स्वतंत्रता देने का दंभ भरने वाले ट्विटर के नए मालिक एलन मस्क का ऐक्शन कितना कामयाब होगा, कहना जल्दबाजी होगी। फिलहाल नए मालिक के आते हजारों नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है, वहीं चिड़िया की आजादी की दुहाई बेमानी लगती है। जहां वो इंसानियत की मदद करने की बात कहते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे सार्वजनिक मंच की बात भी करते हैं, जो मानव सभ्यता के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र हो। उनकी सोच को लेकर भले ही विश्व से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आएं, लेकिन भारत में काफी मायूसी जरूर होगी, होनी भी चाहिए। ट्विटर अमेरिका में ही पहले से खेमेबाजी में बंटा हुआ है। वहां के दक्षिणपंथी आरोप लगाते रहे हैं कि उनकी आवाज दबायी जाती रही। सबने देखा कि जनवरी 2021 में जिस तरह पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प के ट्विटर एकाउण्ट को हिंसा करने वाले उनके समर्थकों को क्रांतिकारी बताने तथा एक अन्य ट्वीट में बाइडेन के शपथ ग्रहण में नहीं जाने के ट्वीट पर कड़ा फैसला ले पहले लॉक किया फिर स्थायी रूप से बंद कर दिया।

ट्विटर को लाभ के हिसाब से ट्रम्प बेहद फायदेमन्द थे और करीब 9 करोड़ फॉलोअर भी थे। 14 महीने बाद मई 2022 में एलन मस्क के एक बयान ने सबका ध्यान खींचा, जिसमें कहा गया कि वो पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ट्विटर अकाउंट के प्रतिबंध को हटाएंगे। उन्होंने ट्रंप के ट्विटर खाते बैन के फैसला नैतिक रूप से गलत बताया था। लेकिन जैसे ही मस्क के ट्विटर को टेकओवर करने की बातें उजागर हुईं तो ट्रम्प की बधाई और उनके एकाउणाट को रिस्टोर करने के बयान ने भविष्य का रास्ता दिखाने का काम किया जिसमें साफ किया गया कि जो बातें हो रही हैं वो फर्जी हैं तथा डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से एलन मस्क के ट्विटर को टेकओवर करने को लेकर कोई भी बयान जारी नहीं किया गया है। फैलाया जा रहा बयान फर्जी है।

27 अक्टूबर की जैसे ही ट्विटर खरीदी समझौता पूरा होते ही एलन मस्क ने सबसे पहले इसके भारतीय मूल के सीईओ पराग अग्रवाल को बाहर कर दिया जो अभी साल भर भी कंपनी में नहीं रह पाए थे। वो बीते साल नवंबर में आए थे। सुना तो यहां तक जा रहा है कि ट्विटर के चीफ फाइनेंसियल नेड सीगल और भारतीय मूल के जनरल काउंसल विजया गाड़े को भी बर्खास्त कर दिया है। इसके पीछे चंद महीनों चली कानूनी जंग और मुकदमे बाजी भी है, क्योंकि एलन मस्क जून में ट्विटर पर स्पैम बॉट्स और फर्जी खातों की जानकारी छिपाने और विलय समझौते का उल्लंघन करने के गंभीर आरोप लगा डील से बाहर हो गए थे।

पूरा माजरा जानने के लिए ट्विटर सौदे की प्रक्रिया को थोड़ा जानना होगा। इसी साल 4 अप्रैल को मस्क ने कहा था कि उनके पास ट्विटर के 9 प्रतिशत शेयर हैं, इसलिए वो सबसे बड़े शेयर होल्डर हैं। जब ट्विटर ने बोर्ड आॅफ डायरेक्टर में शामिल होने का न्यौता दिया गया तो उन्होंने 9 अप्रैल को ठुकरा दिया। 13 अप्रैल को मस्क ने ट्विटर के 54.2 प्रति शेयर खरीदने का पहला और अंतिम न्यौता दिया, जो करीब 40 बिलियन डॉलर था। ट्विटर इसे मान गया। लेकिन 13 मई को एलन मस्क ने डील यह कह रोक दी कि ट्विटर में बहुत से फर्जी एकाउण्ट्स हैं और रोबोट्स भी फर्जी एकाउंट्स चलाते हैं।

यह पूरी जानकारी उन्हें डील फाइनल होने से पहले दी जाए। जानकारी पराग अग्रवाल ने ट्विटर पर ही एक लंबा थ्रेड जारी कर प्रदान करते हुए देते हुए सफाई भी दी कि फर्जी खातों को कम करने की दिशा में काम जारी है। पराग के जवाब का उन्होंने एक इमोजी के साथ मजाक उड़ाया और 8 जुलाई को जवाब दिया कि वो आगे इस डील को पूरी नहीं करेंगे, क्योंकि उन्हें गलत व आधी-अधूरी जानकारी देकर गुमराह किया गया है।

दोनों के मतभेदों की बातें कई बार सार्वजनिक हुईं। ट्विटर पर ही कई तरह के तर्क-वितर्क और आपसी नोंकझोंक भी सामने आई जो ट्विटर पर ही खूब ट्रोल भी हुई। तभी से यह लगने लगा था कि आते ही वो सबसे पहले पराग को ही बाहर का रास्ता दिखाएंगे जो कर दिया।

3 अक्टूबर को मस्क ने पुरानी बातों को दरकिनार ट्विटर खरीदने की बात साफ की और कोर्ट ने भी मान लिया। 26 अक्टूबर को हाथ में ‘सिंक’ लेकर ट्विटर के मुख्यालय पहुंचे थे, जिसका वीडियो भी जारी किया और अपना ट्विटर-बायो भी बदल कर चीफ ट्वीट कर लिया। इस तरह 27 अक्टूबर को 44 बिलियन डॉलर का यह सौदा पूरा होते ही ट्विटर की चिड़िया अपने नए मालिक एलन मस्क के हाथों में पहुंच गई। अब विश्व पटल पर इस सबसे सशक्त सोशल मीडिया माध्यम को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं जो वाजिब भी हैं।

ट्विटर में आगे किस-किस तरह के और कितने बदलाव होंगे? इस बारे में मस्क की एक चिट्ठी बेहद महत्वपूर्ण है, जो उन्होंने अपने सारे विज्ञापन दाताओं और प्रदाताओं को लिख एक तरह से अपनी रणनीति, भूमिका व भविष्य का इशारा भी कर दिया। इसमें कहा गया है कि उनका वाद-विवाद का एक सामान्य टाउन स्क्वायर बनाने की उनकी मंशा है ताकि वाम व दक्षिण की जो धड़ेबाजी दिखती है जो नफरत फैला, लोगों को बांटने का काम करती है रोकेंगे ताकि किसी ध्रुवीकरण का हथियार ट्विटर न बने।

ट्विटर को न्यूट्रल यानी गुटनिरपेक्ष माध्यम बनाएंगे। मस्क का साफ तौर कहना कि सोशल मीडिया से नफरत और बंटवारे का एक बड़ा खतरा होता जिसे वो बदलेंगे। उन्होंने दूसरे पारंपरिक सोशल मीडिया मंच पर भी उंगली उठाते हुए कहा कि यहां पर किसी एक पक्ष को ही महत्व मिलता है लेकिन वो ट्विटर के साथ ऐसा नहीं करेंगे और पूरी तरह से निष्पक्ष रखेंगे। दूसरी तरफ कहते हैं कि ट्विटर पूरी तरह से आजाद नहीं होगा प्रतिबंधों के साथ चलेगा ताकि गलत अफवाहों का फैलाव न कर गर्मजोशी से भरा हो और सबका स्वागत करे।

एलेन मॉस्क की आदर्श सोच के बाद उन पर ही सवालिया निशान उठने स्वाभाविक है कि वो किस तरह से सबके लिए स्वतंत्र होने के बाद जांच और प्रतिबंध लगा पाएंगे? अफवाहों व झूठी खबरों पर कैसे काबू पाएंगे? एलन मस्क की कार्यप्रणाली या भविष्य के संकेतों से संदेह लाजिमी है।

अब आगे ट्विटर की चिड़िया कितनी आजाद होगी और वो खुले आसमान की कितनी ऊंचाइयों को छू पाएगी यह तो नहीं मालूम अगर मालूम है। हां मस्क के आते ही उन्होंने भारत सहित तमाम को बाहर का रास्ता दिखाकर भारत सहित दुनिया भर में एक नई बहस को जन्म जरूर दे दिया है। बस थोड़े इंतजार के बाद ही पता चल पाएगा कि न-न करते एलन मस्क की चिड़िया आजाद हुई या हाथी उड़ गया?


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