- शासनादेश के विपरीत ले रहीं थी चौधरी चरण सिंह विवि की प्रतिकुलपति का मानदेय
- राजभवन के पत्र से मचा हड़कंप, एक माह में करनी होगी कार्रवाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में पैसों की बंदरबाट चरम सीमा पर पहुंच गई है। शासनादेशों की धज्जियां उड़ाते हुए मनमाना मानदेय वसूला जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि इसमें विश्वविद्यालय की वित्त समिति और कार्यपरिषद भी बराबर की भागीदार है।
राजभवन ने ऐसे ही एक मामले में विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति प्रो. वाई विमला के वेतन से लाखों रुपये वसूल कर कार्रवाई करने के निर्देश दिये हैं। इन पर आरोप है कि शासनादेश के विपरीत इनको प्रतिकुलपति का मानदेय दिया जाता रहा है।
राज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी डा. पंकज एल जानी ने कुलपति डा. संगीता शुक्ला को लिखे पत्र में सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय द्वारा जिन शासनादेशों/आधारों पर प्रति कुलपति को मानदेय बढ़ोतरी की गयी है, उसकी आख्या उपलब्ध कराई जाए। विश्वविद्यालय की प्रति कुलपति प्रो. वाई विमला को 29 दिसंबर 2018 से दिनांक 28 दिसंबर 2019 तक मानदेय के रूप में 48,000 रुपये प्रतिमाह की दर से प्रदान किये गये
तथा माह जानवरी, 2020 में मानदेय के रूप में उन्हें 4000 रुपये प्रदान किये गये। इसको विश्वविद्यालय की वित्त समिति एवं कार्यपरिषद की 18 मार्च 2020 एवं 19 मार्च 2020 में लिये गये निर्णय के अनुपालन में माह अप्रैल 2020 से दिसम्बर, 2021 तक प्रो. विमला को प्रति कुलपति के रूप में 10,000 रुपये प्रतिमाह की दर से मानदेय का भुगतान किया गया है।
यह भी कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिकुलपति के मानदेय की धनराशि में कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है। जबकि शासनादेश यह कहता है कि प्रति कुलपति को 300 रुपये प्रतिमाह की दर से मानदेय प्रदान किये जाने का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2014 की धारा-14 (5) के अनुसार प्रतिकुलपति के विशेष भत्ता का निर्धारण राज्य सरकार द्वारा सामान्य या विशेष आदेशों द्वारा अवधारित किया जाने का प्राविधान है।
इसके बावजूद विश्वविद्यालय की वित्त समिति एवं कार्यपरिषद की उपर्युक्त बैठकों में प्रति कुलपति के मानदेय में 10,000 रुपये की बढ़ोतरी किये जाने का निर्णय अधिनियम के उपर्युक्त प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। कार्याधिकारी ने पत्र में कहा कि राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 एवं उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2014 में प्रावधानित व्यवस्था के अनुसार प्रतिकुलपति का मानदेय निर्धारण किये जाने तथा अधिनियम के विरुद्ध प्रति कुलपति के रूप में प्रदत्त मानदेय (पूर्व एवं वर्तमान) की गणना कराकर प्रो. वाई विमला से वसूली कराकर एक माह की अवधि में कार्रवाई का विवरण दिया जाए।