- हर रोज खराब हो रही रोडवेज की खटारा बस, यात्री परेशान, लगा रहे धक्का
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: क्रांतिधरा को यूपी के परिवहन मंत्री ने 80 खटारा बसों का तोहफा दिया, जिसे मेरठ की जनता ने स्वीकार भी कर लिया। क्योंकि यहां की जनता इतनी ही विनम्र है। कानपुर से जो बस रिजेक्ट हो चुकी, उनको ढोने के लिए क्रांतिधरा तैयार हो गई। इसमें यहां के जनप्रतिनिधियों ने भी कोई आपत्ति नहीं की। भाजपा इसका विरोध क्यों करती?
क्योंकि उनकी पार्टी के परिवहन मंत्री का निर्णय हैं, लेकिन विपक्ष ने भी इस मुद्दे को नहीं उठाया। मेरठ की जनता पर एक तरह से खटारा बसों को थोप दिया गया। कानपुर को नयी बसों को तोहफा प्रदेश के परिवहन मंत्री ने दिया। भाजपा नेता तो इसको लेकर चुप्पी साध गए।
अब कानपुर की रिजेक्ट बसों में यात्रा करना कितना कठिन सफर हो गया हैं। इसी को लेकर जनवाणी ने शुक्रवार को लाइव किया। भैंसाली और सोहराबगेट रोडवेज डिपो से निकलने वाली बसों में यात्रा की गई, जिसमें कानपुर से आयी खराब बसों को फोकस किया गया।
क्योंकि पिछले 15 दिन से इनके खराब होने की शिकायत मिल रही है। मेरठ से सरधना के लिए बस यात्रियों को लेकर रवाना हुई। बस गांधी बाग चौराहे पर जाते ही खराब हो गई। बस में पहले यात्रियों ने धक्का लगाया, फिर एक अन्य रोडवेज बस से धक्का लगाया गया, लेकिन बस कहां स्टार्ट होने वाली थी।
क्योंकि बस इस लायक है ही नहीं कि सड़कों पर दौड़े। बीस मिनट तक बस को ठीक करने में लग गए। यात्रियों ने अन्य बसों में सवार होकर सफर तय किया। सरधना संवाददाता के अनुसार दूसरी बस सुबह से तीन बसें मेरठ-सरधना के बीच खराब हो चुकी है, जिसके चलते यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
यही नहीं, इन बसों में भीतर के पकड़ने वाले डंडे तक क्षतिग्रस्त है। बसों के इंजन बहुत ज्यादा आवाज करते हैं। उनकी रिपेयरिंग तक ठीक समय पर नहीं हो पा रही है। टायर भी खराब है। जब बस चलती है तो धड़ाम-धड़ाम की आवाज आती है। ऐसे में यात्री भी सहम जाते है कि कही टायर तो नहीं फट गया।
ये हाल मेरठ से मवाना रुट पर भी है, वहां भी शुक्रवार को दो बसों के खराब होने की डिपो से सूचना मिली है। इसी तरह से मेरठ-बागपत रुट पर दौड़ने वाली बसों में भी इसी तरह की शिकायत मिल रही है। हालांकि शहर के विभिन्न रुटों पर ही कानपुर से मिली रिजेक्ट 80 बसें ही दौड़ रही है, जिनमें सफर तय करना बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
उधर, एक रोडवेज अधिकारी का कहना है कि क्या करें, जैसी सरकार बसें देगी, वैसी ही चलानी पड़ेगी। उनकी मजबूरी है। वो सरकार के खिलाफ नहीं बोल सकते। बोले तो नौकरी चली जाएगी। इतना भयभीत है रोडवेज अधिकारी। सत्य को सत्य करने से बच रहे हैं।
ये बसें कानपुर में ही पहले ही जवाब दे चुकी है, जिसके चलते इनको यहां भेज दिया गया। देखा जाए तो ये बस इतना प्रदूषण कर रही है कि एनजीटी के तमाम नियमों को तोड़ रही है। मेरठ एनसीआर का क्षेत्र है, यहां पर एनजीटी के नियम लागू हैं, मगर यहां पर तमाम नियमों को रोडवेज की खटारा बसें तोड़ रही है।