Friday, January 24, 2025
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शव बदले जाने के मामले में कार्रवाई, डा. गौरव को हटाया

  • मेडिकल प्राचार्य ने डा. तरुण पाल को दी कोविड आइसोलेशन की जिम्मेदारी
  • डा. गौरव पूर्व की भांति देखेंगे मेडिकल में अब लॉजिस्टिक का कार्य

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कोरोना संक्रमितों के शव बदले जाने के मामले में मेडिकल प्राचार्य ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए कोविड-19 आइसोलेशन वार्ड के इंचार्ज डा. गौरव गुप्ता को हटा दिया है। उनके स्थान पर ये दायित्य अब मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. तरुण पाल को सौंपा गया है। मेडिकल कालेज का चिकित्सा अधीक्षक भी नामित कर किया गया है। डा. गौरव अब पूर्व की भांति लॉजिस्टिक का कार्य देखेंगे।

प्राचार्य के फैसले पर सवाल

हालांकि इस मामले में प्राचार्य के फैसले पर सवाल भी खडे किए जा रहे हैं। सबसे ज्यादा सवाल डा. तरुण पाल की तैनाती को लेकर उठ रहे हैं। नाम न छापे जाने की शर्त पर स्टाफ ने बताया कि डा. तरुण पाल करीब साल भर पहले निजी प्रैक्टिस के मामले में पकडे जा चुके हैं। बिजनौर में यह प्राइवेट प्रैक्टिस करते पाए गए थे। इसको लेकर मेडिकल कर्मचारियों ने गु्रप में दो वीडियो भी वायरल किए हैं, जिनमें डा. तरुण पाल मरीजों को देखते देखे जा सकते हैं। हालांकि जनवाणी इस वीडियो की सत्यपता की पुष्टि नहीं करता।

जूनियर डाक्टर जिम्मेदार

जहां तक शव बदले जाने का सवाल है तो इसके लिए एक मात्र कुसूरवार उस जेआर को बताया जा रहा है जो आइसोलेशनल वार्ड में ड्यूटी पर था तथा संक्रमित की मौत के बाद जिसने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को शव को तीन लेयर पैकिंग के लिए बुलाया था। उस जेआर पर अन्य जेआर की नाराजगी के चलते चुप्पी साध ली गयी है। हालांकि जब शव उठाने वहां पर कर्मचारी पहुंचे तो वह एक नहीं दो मरीजों के शव पडेÞ थे। दोनों के शव पैक कर दिए गए। चूक सिर्फ शव को परिजनों में सौंपे जाने में हुई है। हालांकि इस चूक का पता पहले ही चल गया था।

नहीं किया किसी को बर्खास्त

मेडिकल प्राचार्य डा. ज्ञानेन्द्र कुमार ने जानवाणी से बात करते हुए बताया कि किसी भी स्थायी कर्मचारी को बर्खास्त किए जाने की बात झूठी है। किसी भी डाक्टर या नर्स स्टाफ को मेडिकल की चिकित्सकीय सेवाओं से बर्खास्त नहीं किया गया है। मीडिया में आयी खबर से उन्होंने अनभिज्ञता जतायी। उन्होंने बताया कि एक विभाग से दूसरे विभाग में ड्यूटी लगाना बर्खास्त करना नहीं कहलाता। जहां तक अवनी कर्मचारियों की बात है वह दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी होते हैं जिन्हें जरूरत के मुताबिक प्रतिदिन के हिसाब से काम दिया जाता है।

प्राचार्य की संस्तुति पर स्टाफ नर्स रंजना सस्पेंड

कोरोना संक्रमितों के शव बदले जाने के प्रकरण में बुधवार को एक कार्रवाई शासन स्तर से भी की गयी है। स्टाफ नर्स रंजना को शासन ने सस्पेंड कर दिया है। इस कार्रवाई से मेडिकल के कर्मचारी नेताओं में उबाल है। उन्होंने गुरुवार को विरोध प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है। कर्मचारी नेता विपिन त्यागी ने स्टाफ नर्स के खिलाफ की गयी कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने सवाल किया कि संक्रमितों के शवों के इंचार्ज गुरुवचन व यशपाल के शव सौंपे जाने के वक्त कहां थे। शव सौंपे जाने का स्टाफ नर्स से कुछ भी लेना-देना नहीं। उन्होंने बताया कि इसको लेकर मेडिकल प्राचार्य से भी मिला जाएगा। वहीं, दूसरी ओर मेडिकल प्राचार्य डा. ज्ञानेन्द्र कुमार ने बताया कि इस संबंध में शासन को लिखा गया था। शासन स्तर से ही कार्रवाई की गयी है।

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