नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की घोषणा की है। अब रेपो रेट 6.00% से घटकर 5.5% हो गया है। यह निर्णय देश की आर्थिक गति को प्रोत्साहन देने और कर्जधारकों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से लिया गया है। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज सुबह मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि यह बदलाव तुरंत प्रभाव से लागू होगा। उन्होंने कहा कि इस कदम से बैंकिंग क्षेत्र की तरलता में सुधार होगा और बाजार में ऋण सस्ता होगा।
लोन की EMI पर पड़ेगा सीधा असर
रेपो रेट में इस कटौती का सबसे बड़ा फायदा आम लोगों को होगा। होम लोन, कार लोन और व्यापारिक ऋण पर ब्याज दरें घटने की उम्मीद है, जिससे मासिक EMI में कमी आएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा।
आर्थिक गतिविधियों को मिलेगा बल
आरबीआई के इस फैसले को आर्थिक सुस्ती से जूझ रही अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। कम ब्याज दरों से निवेश और खपत दोनों को गति मिलने की संभावना है।
क्या होता है रेपो रेट और क्यों है यह अहम?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर रिज़र्व बैंक देश के अन्य बैंकों को अल्पकालिक कर्ज देता है। जब इस दर में कटौती होती है, तो बैंक कम ब्याज पर आरबीआई से कर्ज ले सकते हैं और आगे उपभोक्ताओं को भी सस्ते ब्याज दर पर लोन दे सकते हैं।
क्या कहा आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने?
आरबीआई गवर्नर ने कहा – “एमपीसी ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि तरलता समायोजन सुविधा के तहत नीतिगत रेपो दर को 50 आधार अंकों से घटाकर 5.5% किया जाए। यह बदलाव तत्काल प्रभाव से लागू होगा।”
उन्होंने आगे बताया कि अन्य दरों में भी बदलाव किए गए हैं:
स्थायी जमा सुविधा (SDF): अब 5.25%
मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) और बैंक दर: अब 5.75%
फैसले से महंगाई हुई नियंत्रित
देश में पिछले कुछ महीनों में महंगाई थोड़ी नियंत्रित हुई है। खाने-पीने की चीज़ों की कीमतें स्थिर हुई हैं और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भी थोड़ी राहत मिली है। ऐसे में मौद्रिक नीति को ढील देना जरूरी था, ताकि बाजार में मांग को बढ़ाया जा सके।
RBI के अनुसार, देश की आर्थिक वृद्धि दर स्थिर बनी हुई है, लेकिन घरेलू खपत को और प्रोत्साहन की जरूरत है। ब्याज दरों में कटौती से उपभोक्ता ज्यादा खर्च करने को प्रेरित होंगे, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी।
विशेषज्ञों के अनुसार SBI, ICICI, HDFC जैसे बड़े बैंक जल्द ही अपनी लोन दरें कम कर सकते हैं।
यह बदलाव 15-30 दिन में आम ग्राहकों तक पहुंच सकता है।
EMI पर कितना असर पड़ेगा?
मान लीजिए किसी ने ₹30 लाख का होम लोन लिया है जिसकी अवधि 20 साल है और ब्याज दर 9% थी। (एक उदाहरण)
अब ब्याज दर 0.5% घटने से मासिक EMI में करीब ₹900 से ₹1,100 तक की राहत मिलेगी.कुल ब्याज भुगतान में लाखों रुपये की बचत हो सकती है.स्टॉक मार्केट और निवेशकों की प्रतिक्रिया. रेपो रेट में कटौती की खबर आते ही सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में बढ़त देखी गई।
बैंकिंग और रियल एस्टेट शेयरों में तेजी
- एफएमसीजी और ऑटो सेक्टर में भी हल्की उछाल
- निवेशकों का भरोसा मजबूत हुआ है कि आरबीआई अब ग्रोथ पर फोकस कर रहा है।
रियल एस्टेट सेक्टर को मिलेगी नई जान
पिछले कुछ महीनों में महंगाई और ऊंची ब्याज दरों के कारण रियल एस्टेट की बिक्री में गिरावट देखी गई थी। लेकिन अब रेपो रेट में कटौती से यह उम्मीद जगी है कि:
- मिडल क्लास फिर से घर खरीदने के लिए आगे आएगा
- डेवलपर्स को नया मौका मिलेगा प्रोजेक्ट्स लॉन्च करने का
क्या अगले महीनों में और कटौती संभव है?
विश्लेषकों का मानना है कि अगर महंगाई नियंत्रण में रही और वैश्विक मंदी का दबाव बना रहा, तो RBI भविष्य में और दरें घटा सकता है। इससे आर्थिक गतिविधियों को और बल मिलेगा।
आरबीआई की नीति का निचोड़
इस बार आरबीआई ने यह साफ संकेत दिया है कि वह देश की आर्थिक तरक्की को प्राथमिकता दे रहा है। लोगों को लोन लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है और बाजार की तरलता को बनाए रखने की कोशिश की जा रही है।