Wednesday, September 18, 2024
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रेवेन्यू सेक्शन की रिपोर्ट: कैंट बोर्ड पर हमले का बड़ा हथियार

  • आधी-अधूरी रिपोर्टों का आधार बनाकर हाईकोर्ट से पूरी राहत की ठेकेदार की कोशिश
  • कोर्ट का ठेकेदार को सात दिसंबर को साक्ष्यों और शपथ पत्र के साथ पेश होने के आदेश

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: रेवेन्यू सेक्शन की पुरानी रिपोर्ट कैंट बोर्ड पर हमले का बड़ा और कारगर हथियार बन गयी हैं। टोल ठेकेदार पुरानी रिपोर्टों का आधार बनाकर हाईकोर्ट की मार्फत बड़ी वित्तीय रियायत की कोशिशों में लगा है। इस संबंध में ठेकेदार की ओर से हाईकोर्ट दायर की गयी याचिका पर सुनवाई के लिए सात दिसंबर की तारीख दी गयी है।

ठेकेदार की ओर से दायर की गयी याचिका में कैंट बोर्ड पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कोर्ट से बतौर बिचौलिया बनकर मदद की गुहार लगायी है। याचिका में कहा गया है कि बोर्ड के चल रहे विवाद में मध्यस्थता कर उसको निपटाया जाना चाहिए। जानकारों का कहना है कि दायर की गयी याचिका में ठेकेदार ने गुमराह करने का पूरा प्रयास किया है।

दरअसल याचिका का आधार पांच दिसंबर 2019 के बोर्ड से हुए एग्रीमेंट को बनाया गया है। हालांकि आरोप लग रहे हैं कि इस याचिका में इस एग्रीमेंट के बाद की स्थित को स्पष्ट नहीं किया गया है। जबकि हकीकत यह है कि उसके बाद ठेके की स्थिति में तमाम बदलाव आए।

ये है हकीकत

दरअसल हुआ यह था कि टोल ठेके में नए प्वाइंटों के विरोध के चलते कैंट बोर्ड ने मवाना रोड, रुड़की रोड व दिल्ली रोड के वसूली प्वाइंट हटा दिए थे। उसी अनुपात में ठेके की राशि भी घटा दी गयी। इसको लेकर एक एग्रीमेंट भी ठेकेदार के साथ किया गया, लेकिन बाद में ठेकेदार इसके खिलाफ हाईकोर्ट में चले गए।

वहां से वसूली के प्वाइंट घटाए जाने के खिलाफ स्टे ले आए। उस स्टे की अवमानना का आरोप में कैंट बोर्ड के अध्यक्ष व सीईओ को हाईकोर्ट में माफी भी मांगनी पड़ी थी। कोर्ट में काफी नामा दाखिल करने के बाद कैंट बोर्ड को सभी प्वाइंटों का ठेका बहाल करना पड़ गया था। ये तथ्य याचिका में नहीं उल्लेख किए गए हैं। नाम न छापे जाने की शर्त पर बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि ये तमाम बातें ठेकेदार ने याचिका में छिपा ली हैं।

रेवेन्यू सेक्शन की रिपोर्ट बनी मददगार

इस पूरे मामले में रेवेन्यू सेक्शन की पुरानी रिपोर्टों को भी कैंट बोर्ड के खिलाफ कोर्ट में हथियार के तौर पर प्रयोग किए जाने का प्रयास ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है। रेवेन्यू सेक्शन की ठेकेदार से हमदर्दी जगजाहिर है। जब ठेके की अवधि पूरी होने को है तथा एक बड़ी राशि ठेकेदार पर बकाया है जिसकी रिकबरी होनी है। सारा खेल उस रिकबरी से बचने के लिए किया जा रहा माना जा रहा है। हालांकि हालात क्या बनेंगे यह तो सुनवाई के बाद ही साफ हो सकेगा।

सुनवाई सात दिसंबर को

ठेकेदार की ओर से दायर की गयी मध्यस्थता की गुहार की याचिका पर अगली सुनवाई अब सात दिसंबर को होनी है। कोर्ट ने ठेकेदार से तमाम साक्ष्यों व शपथ पत्र के साथ पेश होने को कहा है, लेकिन इस पूरे मामले में कैंट बोर्ड के कोर्ट में पैरोकार की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं कि उनकी तरफ से कोर्ट में दायर की गयी ठेकेदार की याचिका का प्रबल विरोध क्यों नहीं किया। या फिर ये मान लिया जाए कि बोर्ड के पैरोकार भी रेवेन्यू सेक्शन की तर्ज पर अब सरकारी खजाने के बजाय ठेकेदार से हमदर्दी जता रहे हैं।

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