- लापरवाही से पड़ी लाखों फाइलें, देख-रेख के अभाव में हो रही कबाड़ में तब्दील
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: राज्य सरकार तमाम सरकारी विभागों के दस्तावेज आॅनलाइन कर रही हैं, लेकिन आरटीओ आॅफिस के महत्वपूर्ण दस्तावेज आॅनलाइन नहीं किये जा रहे हैं, जिनकी फाइल सड़-गल रही है। लाखों फाइल ऐसी हैं, जो लापरवाही से पड़ी हैं। इनकी कोई देख-रेख नहीं की जाती है। वाहनों के पंजीकरण की फाइलें हो या फिर अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज उनकी फाइल गल-सड़ रही है।
इसके लिए जवाबदेही किसकी हैं? इनका रखरखाव करने वाले भी लापरवाह बने हुए हैं, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि आॅनलाइन दस्तावेज किये जा रहे हैं। पंजीकरण आॅनलाइन, ड्राइविंग लाइसेंस आॅनलाइन, टेक्स आॅनलाइन जमा किया जा रहा है, लेकिन दस्तावेज आॅनलाइन क्यों नहीं किये जा रहे हैं, यह बड़ा सवाल है।
सबसे पहले दस्तावेज आॅनलाइन किये जाने चाहिए थे, मगर अभी इसे नहीं किया गया। फिटनेस की आॅनलाइन स्वीकृति अब कर दी गई, जो लखनऊ के स्तर से की जा रही है। यह सब तो ठीक हैं, मगर दस्तावेज आॅनलाइन क्यों नहीं किये गए?
हालांकि आरटीओ आॅफिस में ज्यादातर सिस्टम आॅनलाइन हो गया हैं, लेकिन इसके बाद भी भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा हैं। पिछले दिनों कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह ने भी आरटीओ आॅफिस का औचक निरीक्षण किया था। कमिश्नर ने भी ये दस्तावेज देखे थे। कमिश्नर ने भी नाराजगी व्यक्त की थी। साथ ही व्यवस्था पर भी कमिश्नर ने फोकस किया था। कमिश्नर ने आरटीओ आॅफिस में कुछ सुधार होगा, इसको देखते हुए ही दौरा किया था।
कमिश्नर फिर से आरटीओ आॅफिस का दौरा कर सकते हैं। तब क्या होगा, जब फिर से आरटीओ आॅफिस में गंदगी व फाइल कबाड़ में मिलती है तो बड़ी कार्रवाई भी हो सकती है।
आॅनलाइन से फर्जीवाड़ा होगा बंद
रिकॉर्ड आॅनलाइन होने के बाद फर्जीवाड़ा भी बंद हो जाएगा। क्योंकि वाहनों की एनओसी के नाम पर भी बड़ा फर्जीवाड़ा आरटीओ में चलता है, जिसको रोकने के लिए पुराने दस्तावेजों का आॅनलाइन होना बेहद आवश्यक हैं। लखनऊ व कानपुर में भी पुराने दस्तावेज आॅनलाइन हो चुके हैं, लेकिन शहर में अभी फाइलों को स्केन कर आॅनलाइन किया जाना बाकी है।
वैसे तो तमाम कार्य आॅनलाइन हो रहे हैं, मगर पुरानी फाइल ही आॅनलाइन नहीं है। इस दिशा में कार्य होने का दावा आरटीओ डा. विजय कुमार ने किया है। उनका कहना है कि आरटीओ में अब सभी कार्य आॅनलाइन हो गए हैं। पुरानी फाइलों पर भी कार्य चल रहा है।
क्या बदलेगा आरटीओ आॅफिस?
बड़ा सवाल ये है कि क्या आरटीओ आॅफिस बदलेगा? भाजपा ने दावा किया था कि सत्ता में आते ही आरटीओ में दलाल राज खत्म कर दिया जाएगा, लेकिन दलाल राज बदस्तूर जारी है। चार वर्ष यूपी में भाजपा की सरकार को हो चुके हैं, लेकिन आरटीओ में कुछ भी बदला हुआ नजर नहीं आ रहा हैं।
जैसे पहले आरटीओ के बाहर दलालों की दुकानें चलती थी, ठीक वैसे ही अब भी चल रही है। दलालों पर कोई फर्क नहीं पड़ा हैं। हालांकि पहले परिवहन मंत्री रहते हुए स्वतंत्र देव सिंह ने दौरा किया था। अब कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह ने भी दौरा कर सिस्टम को सुधारने की हिदायत दी है, लेकिन कितना बदला आरटीओ आॅफिस, यह भी बड़ा सवाल है।