Friday, September 29, 2023
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एससी फर्स्ट जेई के खिलाफ एसडीओ को जांच के आदेश

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  • 5000 न मिलने पर चार गुना एस्टीमेट बनाने का लगा जेई पर आरोप
  • पीड़ित पक्ष की ओर से पीवीवीएनएल चीफ व एससी से की गयी थी शिकायत

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: पीवीवीएनएल अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड प्रथम ने उप खंड अधिकारी विद्युत वितरण उप खंड तृतीय मेरठ को अवर अभियंता पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं। इस कार्रवाई से उप खंड विद्युत वितरण खंड तृतीय में हड़कंप मचा हुआ है। यह पूरा मामला कनेक्शन के लिए आवेदन करने वाले एक शख्स द्वारा अवर अभियंता पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ा है।

दरअसल, इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष लोकेश खुराना पीवीवीएनएल चीफ तथा अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड तृतीय पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम विक्टोरिया पार्क से मिले थे। मामले की शिकायत करते हुए जांच का भी आग्रह किया था। जनवाणी ने इसको लेकर मंगलवार 19 सितंबर के अंक में प्रमुखता से समाचार प्रकाशित किया था। इस पूरे प्रकरण पर अब अधिशासी अभियंता ने उप खण्ड अधिकारी से जांच कर रिपोट देने को कहा है।

ये था पूरा मामला

तोफनपुर घोसीपुर जलालपुर हापुड़ रोड मेरठ निवासी फैजुद्दीन पुत्र ममदू ने घरेलू कनेक्शन के लिए आन लाइन आवेदन किया था। इस पर लाइनमैन ने जो रिपोर्ट दी उसमें जहां कनेक्शन लगना है। वहां यानि की फैजुद्दीन के घर की दूरी महज 10 मीटर है। इतनी दूरी के लिए कनेक्शन शुल्क सारे खर्च मिलाकर मात्र दो हजार रुपये बनता है। कनेक्शन के लिए आवेदन करने वाले फैजुद्दीन ने बताया कि उसे कई दिन तक बिजली घर के चक्कर कटाते रहे।

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बाद में वह अवर अभियंता से मिला। बकौल फैजुद्दीन जेई को उसने सारा माजरा बताया, लेकिन जेई ने जो बताया उससे उसके पांवों तले की जमीन खिसक गई। फैजुद्दीन का आरोप है कि अवर अभियंता ने बोला कि ऐसे कनेक् शन नहीं मिलता है। पांच हजार रुपये खर्च करने होंगे तब कनेक्शन मिलेगा। पांच हजार की बात सुनकर गरीब का दिल बैठ गया। वह राहत के लिए इधर-उधर भटकता रहा,

फिर किसी ने उसको उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के प्रदेश अध्यक्ष लोकेश अग्रवाल का नाम व फोन नंबर दे दिया। फैजुद्दीन ने लोकेश अग्रवाल से संपर्क किया। उन्हें सारा माजरा बताया। जो पेपर तैयार कराए थे वो भी दिखाए। लोकश अग्रवाल ने बताया कि जो पेपर हैं। उसके हिसाब से दो हजार से ज्यादा का खर्च नहीं होना चाहिए। फिर पांच हजार किस बात के मांगे जा रहे हैं।

इस मामले को लेकर उन्होंने पीवीवीएनएल अधिकारियों से बात की और पूरे मामले से अवगत कराते हुए पांच हजार की मांग करने वाले जेई की जांच कराए जाने की भी मांग की। वहीं, दूसरी ओर रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए इस मामले की शिकायत उन्होंने उच्च पदस्थ अधिकारियों को भी भेज दिए जाने की जानकारी दी है।

चीफ इंजीनियर को कराया अवगत

लोकेश अग्रवाल ने बताया कि इस संबंध में पीवीवीएनएल चीफ इंजीनियर लोकेश अग्रवाल से भी उन्होंने मुलाकात की है। पूरे मामले से अवगत कराते हुए कनेक्शन लगवाने के साथ ही जांच कराए जाने की भी मांग की है। उन्होंने बताया कि चीफ ने उन्हें एससी के पास भेज दिया। उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष लोकेश अग्रवाल का आरोप है कि एससी का व्यवहार उचित नहीं था।

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हालांकि इस संबंध में जब संवाददाता ने इस संबंध में जब अधिशासी अभियंता ग्रामीण प्रथम से जानकारी ली तो उन्होंने मामले में एसडीओ अनीस का कहना है कि उपभोक्ता ने पूरे पेपर नहीं दिए थे, जिसकी वजह से प्रीपेड मीटर की कीमत मांगी गयी थी। यदि वह पेपर पूरे कर देता तो उसका प्रीपेड मीटर पोस्टपेड में कर दिया जाता। अवर अभियंता द्वारा पैसे मांगने जैसी कोई बात नहीं है। हालांकि अब अधिशासी अभियंता ने उप खंड अधिकारी को मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं।

नजर है जांच पर

वहीं, दूसरी ओर उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधिमंडल के प्रदेश अध्यक्ष लोकेश खुराना का कहना है कि जो जांच उनके द्वारा दर्ज करायी गयी शिकायत पर की जा रही है वह उसमें लगातार जांच अधिकारी से संपर्क बनाए हैं। उनका प्रयास है कि दूध का दूध पानी का पानी किया जाए।

जिस उप खंड पर आरोप, उससे जांच, बहुत नाइंसाफी है ये

भ्रष्टाचार के आरोप जिस उप खंड के अवर अभियंता पर लगाए गए हैं उसी से जांच कराए जाने पर पीड़ित और उसकी पैरवी करने वालों ने सवाल खड़े कर दिए हैं। लोकेश अग्रवाल का कहना है कि पीड़ित ने जो आरोप लगाए हैं उसकी जांच करायी जा रही है यह स्वागत योग्य है,

लेकिन बेहतर होता यदि यह जांच उप खंड तृतीय के अधिकारी के बजाए पीवीवीएनएल के किसी अन्य अफसर से करायी जाती तो फिर संदेह जैसी कोई बात नहीं रह जाती। या फिर जांच से पहले आरोपी अवर अभियंता को वहां से हटा दिया जाता या फिर विक्टोरिया पार्क स्थित पीवीवीएनएल मुख्यालय से कुछ दिन के लिए अटैच कर दिया जाता तो शायद बेहतर रहता और जांच पर भी कोई सवाल उठाने की गुंजाइश नहीं रह जाती।ं

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