- एनएच-58 की सुरक्षा रामभरोसे, चौकियों और थानों से पुलिस नदारद
- दिल्ली-दून हाइवे पर सुरक्षा के लिहाज से चौकी की गई थी स्थापित
- सिर्फ और सिर्फ नाम का ही रह गया चौकियों का अस्तित्व
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: एनएच-58 के साथ शहर की सुरक्षा राम भरोसे है। अंधेरा गहराते ही सड़कों और चौकियों पर पुलिस नहीं दिखती। सुरक्षा और सहयोग की भावना से काम करने वाली पुलिस ड्यूटी के प्रति गंभीर नहीं दिख रही है। इससे शहर के लोगों की सुरक्षा रामभरोसे है। शहर में आए दिन आपराधिक वारदात हो रही हैं। शहर के चौक चौराहों से पुलिसकर्मी नदारद हो जाते हैं। हालांकि आधिकारिक रूप से पुलिसकर्मियों की तैनाती रहती है।
सीएए की आहट को लेकर शहर में सुरक्षा को लेकर हाई अलर्ट किया गया है। इसके साथ ही आतंकी हमले को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, लेकिन सुरक्षा के मामले में एनएच-58 सबसे पीछे नजर आ रहा है। पुलिस न तो किसी तरह के कोई विशेष तैयारी की है और न ही किसी तरह की पुख्ता रणनीति बनाई है। ऐसे में कही न कही सुरक्षा को लेकर सवाल खड़ा हो रहा है। क्योंकि शहर में बदमाशों का बोलबाला है और कई बड़ी चोरियां हो चुकी है। संवाददाता ने सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया तो पुलिस की सुरक्षा की पोल कुछ इस तरह खुलती दिखाई दी।
सीएए की आहट से शहर के प्रमुख स्थानों पर पुलिस व्यवस्था चुस्त हो जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं है। आप कहीं भी खुलेआम घूम सकते हैं और आपको कोई रोका या टोका नहीं जाएगा। प्रदेश सरकार भले ही हाइवे को सुरक्षित होने का दावा करती हो, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। हाइवे पूरी तरह रामभरोसे हैं। एनएच-58 पर सुरक्षा बंदोबस्त पुलिस रिकार्ड में तो दुरुस्त हैं, लेकिन जमीनी हकीकत बेहद डरावनी है। पुलिस रात में बंद कमरों में ठंडी हवाओं के बीच गर्म रिजाई का आनंद ले रही है, जबकि बेखौफ बदमाश हाइवे पर चहलकदमी कर रहे हैं।
जी हां! चौकिए मत, एनएच-58 की सुरक्षा इस समय रामभरोसे है। कहने को इस हाइवे पर जगह-जगह सुरक्षा के लिहाज से चौकियां स्थापित की गई हैं, लेकिन इन चौकियों का अस्तित्व सिर्फ और सिर्फ नाम का ही रह गया है। अधिकांश समय हाइवे की यह चौकियां खाली ही रहती है और कब हाइवे पर कोई अनहोनी अप्रिय घटना हो जाए। उसकी जवाबदेही किसी भी की तय नही है। उच्चाधिकारियों के बार-बार कहने के बाद भी यहां किसी के सिर पर जू तक नही रेंगती है, लेकिन जिन थाना क्षेत्रों की यह चौकियां हाइवे पर बनी हुई है। उन थानों पर भी आज तक कोई गाज नहीं गिरी। घटना हो या न हो।
परतापुर से लेकर रामपुर तिराहे तक 78 किमी का एरिया एनएच-58 पर स्थापित है। हाइवे की सुरक्षा को देखते हुए थाना कंकरखेड़ा, परतापुर, टीपीनगर, पल्लवपुरम, दौराला और भंगेला की चौकियां स्थापित की गई थी। इस लिहाज से इन चौकियों को हाइवे पर बनाया गया था। जिससे हाइवे पर कोई भी परिंदा भी पर न मार सके। चौकियों के साथ-साथ हाइवे पर जगह-जगह सीसीटीवी कै मरे भी लगाए गए थे। सुरक्षा को ही देखते हुए कंकरखेड़ा थाने की कृष्णानगर चौकी, मोदीपुरम चेकपोस्ट चौकी, मिलांज चौकी, दुल्हैड़ा चौकी स्थापित की गई थी,
लेकिन यह चौकियां सिर्फ अब नाम मात्र की रह गई है। क्योंकि चौकियों पर पुलिस भी तैनात कर दी गई और बाकायदा इन चौकियों को अस्तित्व में भी ला दिया गया है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया। वैसे-वैसे इन चौकियों पर तैनात पुलिस कम होती गई है। हाइवे की इतनी बड़ी दूरी होने के बाद भी यहां चौकियों पर पुलिसकर्मी का कम तैनात होना। सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं हो रहा है। अगर हाइवे पर कोई बड़ी वारदात हो जाए तो शायद वारदात का खुलासा भी आसानी से नहीं हो सके।
पुलिस कर्मियों के खिलाफ होगी दंडात्मक कार्रवाई
- हाइवे पर जहां चौकियां स्थापित है। उनका निरीक्षण किया जाएगा। जहां पुलिसकर्मियों की कमी है, उसे पूरा कराया जाएगा। जो पुलिसकर्मी खुद ही ड्यूटी से चौकियों से नदारद होंगे। उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। -अभिषेक पटेल, क्षेत्राधिकारी दौराला