जनवाणी संवाददाता |
बड़ौत: बड़ौत की मरकजी मस्जिद के शहर इमाम मौलाना आरिफ-उल-हक़ की 31वीं पुस्तक भी बड़े ही शान-ओ-शौकत के साथ प्रकाशित हुई। लेकिन फूंस वाली मस्जिद में यह कार्यक्रम बड़े ही सादगी के साथ आयोजित किया गया। इस पुस्तक में कब्रिस्तान की मसाइल के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी।
मस्जिद में पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि जब ज़ियारत को जायें तो 2 रकात नमाज़ घर से पढ़कर बख्शें और फिर जायें कि इससे क़ब्र में नूर पैदा होगा इसको भी बहुत अज्र मिलेगा। इस पुस्तक को दारुल-उलूम के बड़े उलेमाओं, मौलानाओं ने भी अपनी इजाज़त देते हुए अपने हस्ताक्षर भी किये है।
मौलाना आरिफ-उल-हक़ ने बताया कि इससे पहले कुल 30 पुस्तकें उनके द्वारा प्रकाशित की जा चुकी है। 64 पेज की मसाइल-ए-कब्रिस्तान पुस्तक में व्यक्ति के मरने के बाद कब्रिस्तान में मुस्लिम रीति रिवाज से किस तरह से व्यक्ति की दफनाया जाता है, इसकी पूरी जानकारी दी गयी है। इस पुस्तक का अध्ययन सभी को करना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी इन सभी मसाइल के बारे में जानकारी मिल सके।