Thursday, April 25, 2024
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आज भी टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर है नौनिहाल

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  • बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों की हालत खराब
  • छात्राओं के लिए विद्यालयों में नहीं है शौचालय

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: भारत आधुनिक युग में प्रवेश कर चुका हैं, लेकिन आज भी सरकारी यानि की बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित स्कूलों में पढ़ाई का ढर्रा नहीं सुधर पा रहा है।

जबकि सरकार की ओर से सभी कार्य आनलाइन कराए जा रहे हैं, लेकिन सरकारी शिक्षा को लेकर आज भी सरकार उदासीन है।

प्रदेश सरकार की ओर से हर साल बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित स्कूलों में शिक्षण कार्य बेहतर कराने के लिए कई तरह की मुहिम भी चलाई जाती है। मगर जमीनी स्तर पर देखने को कुछ और ही मिलता है।

बता दें कि प्रदेश सरकार एक ओर तो सर्व शिक्षा अभियान को सफल बनाने के लिए मिड-डे मील, यूनिफार्म, पाठ्य सामग्री आदि का वितरण करा रही हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल है।

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दर्जनों स्कूलों की तो चारदीवारी टूट गई है तो कुछ स्कूलों में लंबी-लंबी खास के साथ-साथ बरसात का पानी भरा हुआ है।

शहर सहेत गांव देहात के स्कूलों में छात्र-छात्राओं को बैठने के लिए फर्नीचर तक नहीं है ऐसे में उन्हें टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है।

केसरगंज स्थित राजकीय कन्या जूनियर स्कूल व कंपोजिट विद्यालय की हालत खस्ताहाल है और बिल्डिंग पुरानी होने की वजह से बरसात में कमरों की छतों से पानी भी टपकता है और विद्यालय प्रांगण में भी पानी भर जाता हैं।

इतना ही नहीं राजकीय कन्या जूनियर हाईस्कूल में छात्राओं के पास बैठने तक के लिए फर्नीचर नहीं है और वह आज भी टाट पट्टी पर बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर है।

जिला स्तर पर बैठे शिक्षाधिकारी न तो स्कूलों की सुध लेते हैं और न ही शिक्षकों द्वारा किए जाने वाली शिकायतों पर कोई सुनवाई की जाती है।

इस विद्यालय में छात्राओं के लिए शौचालय की व्यवस्था तक नहीं है कई बार शिक्षाधिकारियों से इस संबंध में कहा गया हैं, लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

बेसिक शिक्षाधिकारी योगेंद्र कुमार का कहना है कि स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा हैं। स्कूलों की साफ-सफाई के लिए भी प्रधानाध्यापकों को कहा गया है।

विद्यालय प्रांगण में भरा पानी डेंगू को न दे दे जन्म

केसरगंज विद्यालय के प्रांगण में पानी भरा हुआ है और लंबी-लंबी घास भी उपजी हुई है। इस समय शहर में डेंगू का प्रकोप जारी है कही ऐसे में पानी के अंदर जन्म लेने वाले मच्छर डेंगू जैसी बीमारी को जन्म न दे दे।

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कोरोना के कारण दो साल के करीब विद्यालयों में शिक्षण कार्य नहीं हो सका ऐसे में वहां घास उपज गई, लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग के इन विद्यालयों में स्कूल खुलने से पहले सफाई तक भी नहीं कराई गई। ऐसे में शिक्षा व बच्चों के साथ खिलवाड़ का कार्य किया जा रहा है।

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