आजादी के 75 सालों में सोने की कीमत आसमान पर पहुंच गई है। भारत जब आजाद हुआ था,तब 10 ग्राम सोने की कीमत 88.62 रुपये थी और वर्ष 1964 में इसकी कीमत और भी कम होकर 63.25 रुपये के स्तर पर पहुंच गई थी। इस तरह, सोने की कीमत 75 सालों में चंद रुपयों से आगे बढ़ते हुए 50 हजार रुपये से भी अधिक के स्तर पर पहुंच गई है। आज 10 ग्राम सोने की कीमत 58 हजार रुपए हो गई है। आजादी के समय दिल्ली से मुंबई के हवाई मार्ग के किफायती वर्ग का किराया 140 रुपए था, जो उस समय के 10 ग्राम सोने की कीमत से लगभग दोगुनी थी। आज इस स्थिति में आमूलचूलबदलाव आ गया है और हवाई जहाज का किराया 10 ग्राम सोने की कीमत से कई गुणा कम हो गई है। भारत में सोना इतना ज्यादा सोणा इसलिए है, क्योंकि भारत में महिलाएं सोने के प्रति दीवानी हैं और यह दीवानगी अनादिकाल से है। प्राचीनकाल में तो स्त्रियों के साथ-साथ पुरुष भी सोने के गहने पहना करते थे। इसके प्रमाण हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो काल के अवशेषों में मिले हैं। उस कालखंडमें पुरुष और महिलायें दोनों सोने के गहने पहना करते थे।
भारतीयों के रहन-सहन,सभ्यता-संस्कृति आदि में सोना इस तरह से रचा-बसा है कि इसके बिना उनका जीवन अधूरा है। ऋग्वेदजैसे प्राचीनतम ग्रन्थ में सृष्टि की उत्पत्ति हिरण्यगर्भ नामक सोने के अंडे रूपी बीज से होना माना गया है। यह इस बात का सबूत है कि भारतीयों का जीवन सोने के बिना अधूरा है।
भारतीय स्त्रियों के लिए सोना उनके लिए सिर्फ गहना नहीं है, बल्कि उनके सुहाग,स्वाभिमान और गौरव का प्रतीक है। हिंदू धर्म के 16 संस्कारों अर्थात जन्म से मृत्यु तक में सोने का लेनदेन किया जाता है। बच्चे के जन्म के समय उसे कमर में काले धागे के साथ सोने की लटकन पहनाई जाती है। यज्ञोपवीत संस्कार के समय भी सोने के गहने बच्चे को पहनाया जाता है, घर में पहली बार प्रवेश करने पर सास अपनी बहू को सोने के जेवर सौगात में देती है। इतना ही नहीं,मृत्यु के समय भी ब्राहमणको दान में सोना दिया जाता है।
इस तरह, किसी भी शुभ मुहूर्त में, शादी, त्यो हारया फिर मृत्यु के समय सोने की खरीददारी की जाती है, जबकि पश्चिमी देशों में ऐसा नहीं होता है। वहां के लोग शादी में बहुत सारे गहने नहीं पहनते हैं। न ही वहां, गिफ्ट में सोने के जेवर या सोना देने का चलन है।
अमेरिका और यूरोप में शादी में सिर्फ सोने की रिंग दी जाती है,जो 9 या 12 कैरेट की होती है,जबकि भारत में शादी में 22 या 24 कैरेटका सोना जेवर के रूप में लड़की और लड़के को दिया जाता है। आजकल शादी में सोने की बिस्किट भी सौगात में दी जाती है।
वर्ल्डगोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) द्वारा मई, 2020 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय महिलाओं के पास लगभग 24 हजार टन सोना है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा सोने का खजाना माना जा सकता है। डब्ल्यूजीसी के मुताबिक भारतीय महिलाएं दुनिया के कुल स्वर्ण भंडार का 11 प्रतिशत हिस्सा आभूषणों के रूप में पहनती हैं, जो विश्व के शीर्ष 5 देशों के कुल सोने के भंडार से अधिक है।
आज अमेरिका के पास 8,000 टन, जर्मनी के पास 3,300 टन, इटली के पास 2,450 टन, फ्रांस के पास 2,400 टन और रूस के पास 1,900 टन सोना है। दक्षिण भारत के राज्यों की देश के कुल गहने की खरीदारी में 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, जिसमें से अकेले तमिलनाडु की हिस्सेदारी 28 प्रतिशत है।
भारत में फिल्मों की नायिकाएं, बड़े कारोबारीया कॉरपोरेट घराने या फिर राजे-रजबाड़ों के वारिसों की बहु-बेटियां शादी या किसी भी त्यौहार या किसी भी पार्टी या कार्यक्रम में महंगे सोने के जेवरात पहनना पसंद करती हैं। इसी वजह से आज शादी-विवाह में अरबों-खरबों रुपये के सोने के जेवर खरीदने में खर्च किए जा रहे हैं। शादी के मौसम में या दीवाली में या फिर अक्षय तृतीया में सोने या सोने के गहनों की जमकर खरीददारी की जाती है, क्योंकि आजकल सौगात में सोना या सोने के जेवर देने का चलन बहुत ज्यादा बढ़ गया है।
भारत के मंदिरों में भी अकूत सोना जमा है। इस संबंध में डब्ल्यूजीसीने वर्ष 2020 में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार लगभग 4 हजार टन से अधिक सोना भारत के मंदिरों में जमा है। उदहारण के तौर पर केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर में 1,300 टन सोना जमा है, जबकि आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में लगभग 300 टन सोना जमा है।
चूंकि, भारत सोने की मांग की घरेलू आपूर्ति खुद से करने में असमर्थ है, इसलिए भारत को घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। आज भारत घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए स्विट्जरलैंड से 45.8 प्रतिशत, यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) से 12.7 प्रतिशत, दक्षिण अफ्रीका और गिनी से 7.3 प्रतिशत और पेरू से 5 प्रतिशत सोने का आयात करता है।
मौजूदा समय में सोना खरीदने के मामले में दुनिया में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर आता है, लेकिन भारत में सोने की मांग जिस तरह से लगातार बढ़ रही है, उससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जल्द ही भारत मामले में चीन को पछाड़ करके दुनिया में सबसे अधिक सोना खरीदने वाला देश बन जाएगा। सोने के आयात में आई तेजी की वजह से देश के व्यापार घाटा में भी इजाफा हो रहा है, साथ ही साथ रुपया भी अमेरिकी डॉलर की तुलना में कमजोर होता है। लगभग सभी देश आयात करने के लिए दूसरे देश के कारोबारियों को डॉलर में भुगतान करते हैं।
फिलवक्त, रूस और यूक्रेन के बीच में चल रहे युद्ध और आसमान छूती महंगाई की वजह से रुपया लगातार कमजोर हो रहा था और रुपये को कमजोर करने में सोने के बढ़ते आयात की भी बड़ी भूमिका है। इस वजह से जुलाई, 2022 मेंरुपए में आ रही कमजोरी को रोकने के लिए और सोने के आयात को कम करने के लिए सोने पर आयात शुल्क को 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया था। यह इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि वित्त वर्ष 2021-22 में देश में सोने के आयात में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी और सोने के कुल आयात की कीमत लगभग 37.44 अरब रुपए हो गई थी।
पड़ताल से साफ है कि भारत में आने वाले दिनों में सोने की मांग में और भी इजाफा होगा और इसकी मांग में बढ़ोतरी होने से इसकी कीमत में भी वृद्धि होगी। मौजूदा हालात में आयात शुल्क में बढ़ोतरी भी सोने के आयात को रोकने में समर्थ नहीं है, क्योंकि भारत में सोने को लेकर आमजन पागल हैं। इसे भारत के लोग निवेश नहीं मानते हैं। यह भारतीय स्त्रियों की धमनियों में बहने वाले खून के समान है, जिसे शिराओं से बाहर कभी भी नहीं निकाला जा सकता है।