- वर्ष में 100 करोड़ तक का कारोबार करते हैं सेकंड हैंड कार का कारोबार करने वाले
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: महानगर में करीब 600 से ज्यादा लोग पुरानी गाड़ियां बेचने का कारोबार कर रहे हैं। इनमें से महज 10 ही ऐसे हैं, जो सेकंड हैंड कारों को व्यवस्थित और नियमों के तहत बेचते हैं। कार बाजार मालिकों के लिए कोई स्पष्ट नियम न होने के कारण सेकंड हैंड कार विक्रेता अपनी मनमानी कर रहे हैं। विक्रेता बिना आॅफिस और शोरूम के केवल सड़कों पर ही लाखों की गाड़ियों का कारोबार कर रहे हैं।
देखा जाए तो पिछले दो दशक से महानगर में सेकंड हैंड कारों का कारोबार बड़ा विस्तार ले चुका हैं, लेकिन प्रशासन या फिर आरटीओ के पास इनकी मॉनिटरिंग का कोई सिस्टम ही नहीं हैं। इतना ही नहीं स्थानीय प्रशासन के पास तो ऐसा कोई आंकड़ा ही नहीं हैं, जिससे ये पता चलता हो कि शहर में कितने लोग सेकंड हैंड कारों का कारोबार करते हैं।
दरअसल, सड़कों पर ही 100 करोड़ का ये कारोबार सेकंड हैंड कारों का कर रहे हैं। इसमें लचर नियमों का लाभ ये उठा रहे हैं। ‘जनवाणी’ ने शहर में कई स्थानों पर पहुंचकर पड़ताल की। इस दौरान पता चला कि सेकंड हैंड कारों को बेचने के लिए प्रशासन ने कोई स्पष्ट नियम ही नहीं बनाए हैं
और बनाए भी है तो उनका यहां कोई पालन नहीं हो रहा हैं। सड़क किनारे ही इनका करोड़ों का कारोबार चलता रहता हैं। इस पर न तो कोई टैक्स हैं और नहीं इन पर कोई नियम लागू हो रहे हैं। मनमाने तरीके से सेकंड हैंड कारों को बेच दिया जाता हैं।
ट्रैफिक पुलिस नहीं करती कार्रवाई
सड़कों के किनारों पर सेकंड हैंड कार कहीं भी खड़ी मिल जाएगी। बेगमपुल से टैंक चौराहे की तरफ आप चलेगी, तभी सड़क किनारे पुरानी कारें खड़ी रहती हैं। इनमें ज्यादातर गैर राज्यों की पुरानी कारें हैं, जिनको यहां बेचा जाता हैं। न्यू मोहनपुरी के नाले पर कई स्थानों पर सेकंड हैंड कारों की लंबी लाइन लगी होती हैं। यहां पुरानी कारों का ही कारोबार किया जाता हैं। इसमें भी मनमानी की जाती हैं। ट्रैफिक पुलिस भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं करती।