Monday, January 20, 2025
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यूक्रेन के इवानो से सुरक्षित घर आया स्नेहाशीष

  • परिवार में खुशी का माहौल, जुड़वां भाई है स्नेहाशीष

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: डाक्टर बनने का सपना लेकर हिंदुस्तान से करीब 20 हजार छात्र और छात्राएं यूक्रेन के कई शहरों में पढ़ रहे हैं। सबकुछ सही चल रहा था और सपनों के पंख लगने शुरू हो गए थे तभी रूस ने यूक्रेन पर सामरिक हमला कर दिया। इस युद्ध से जहां पूरे यूक्रेन में अफरातफरी मची हुई है वहीं उन परिवारों की नींद भी उड़ी हुई है जिनके बच्चे यूक्रेन में पढ़ रहे हैं।

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रोहटा रोड स्थित सरस्वती विहार में रिटायर फौजी शांतनु मालाकार का बेटा स्नेहाशीष मालाकार मूल रुप से वेस्ट बंगाल के दुर्गापुर के रहने वाले हैं। उनके दो जुड़वां बेटे है। एक बेटा नोयडा में इंजीनियरिंग कर रहा जबकि दूसरा बेटा यूक्रेन के इवानो शहर में एमबीबीएस प्रथम वर्ष का छात्र है। रूस ने जिस दिन से यूक्रेन पर हमला किया है उस दिन पिता शांतनु तनाव में चल रहे थे। हालांकि बेटे से रोज फोन पर बात होती थी।

पापा से ही उसको युद्ध की वास्तविक स्थिति पता चलती थी क्योंकि यूक्रेन में मीडिया में ज्यादा दिखाया नहीं जा रहा है। स्नेहाशीष के घर लौटने पर कैंट विधायक सत्य प्रकाश अग्रवाल मिलने गए और हालचाल पूछा। दैनिक जनवाणी से बातचीत में स्नेहाशीष ने बताया कि शुरुआत में कोई दिक्कत नहीं थी क्योंकि युद्ध देश के दूसरे हिस्से में चल रहा था। जब कीव और खारकीव जैसे शहर युद्ध की चपेट में आने लगे और विस्फोट इवानो के आसपास सुनाई देने लगे तो डर लगने लगा। बताया कि पापा रोज फोन पर बात करके हौसला बढ़ाते थे और कहते थे कि घर लौट आओ।

स्नेहाशीष ने बताया कि भारत सरकार ने लौटने की पूरी व्यवस्था कराई और इसके लिये बस से रोमानिया बार्डर तक आना पड़ा। वहां माइनस 10 डिग्री तापमान चल रहा था। बार्डर पर भीड़ काफी थी और खाने पीने के सामानों की परेशानी भी साफ दिख रही थी। वहीं इवानों में भी बैंकों और माल्स में लंबी लंबी लाइनें लग रही थी। एटीएम में पैसा न होने के कारण छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।

स्नेहाशीष ने बताया कि वो काफी खुश है कि वो घर पहुंच गया है। उसने बताया कि 12 मार्च तक अवकाश है इसके बाद आॅनलाइन पढ़ाई की बात की जा रही है। वहीं, स्नेहाशीष की मां भी काफी खुश नजर आ रही थी। परिवारिक दोस्तों के अलावा रिश्तेदारों का आना जाना भी लगा हुआ है। स्नेहाशीष ने बताया कि अभी उसके काफी दोस्त इवानो में है और घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं।

छह दिन के कष्ट के बाद यूक्रेन से निकले

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने उन बच्चों पर गहरा असर डाला है जो हिंदुस्तान से डाक्टरी की पढाई करने गए हैं। युद्ध और विनाश की संभावनाओं के बीच छात्र और छात्राएं बेहद परेशान है। जो लौट कर अपने घर आ गए हैं वो खुशनसीब है और जो अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं उनके लिये एक एक पल काटना मुश्किल हो रहा है।

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एक एक पल काटना मुश्किल हो रहा है। मेरठ में यूक्रेन से बच्चों का लौटना बरकरार है। बुधवार को ईरा गार्डन निवासी अनम भी लौट कर आया। यूक्रेन की राजधानी कीव जहां रुस की सेनायें घुस रही है वहां से छह दिन की कड़ी मेहनत के बाद हंगरी के रास्ते घर आने पर पूरे परिवार में खुशियां छाई हुई है।

एडवोकेट रिफाकत अली का बेटा अमन यूक्रेन की राजधानी कीव में एमबीबीएस दूसरे वर्ष का छात्र है। यूक्रेन पर हमले के बाद कीव ही रुस के निशाने पर है। पूरे दिन धमाकों और मिसाइलों के हमले से दहशत मची हुई है और लोग छोड़ कर जा रहे है। अमन ने बताया कि 24 फरवरी को वो किसी तरह पोलेंड के बार्डर पर पहुंचा लेकिन उसे कोई मदद पोलिस सरकार से नहीं मिली।

10 किमी का सफर तय करके हंगरी बार्डर पर पहुंचा। हंगरी बार्डर पर छात्रों समेत अन्य लोगों की काफी भीड़ थी। खाने पीने की दिक्कतें बढ़ रही थी। भारत सरकार ने इस मौके पर काफी अच्छी व्यवस्था की हुई थी। चाटर्ड विमान से सभी को लाया गया। इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर छात्रों की चेकिंग वगैरह भी नहीं की गई थी।

यूक्रेन के सैनिक भारतीय छात्रों से कर रहे बर्बरता

कंकरखेड़ा: यूक्रेन के सैनिक भारतीय छात्रों के साथ बर्बरता दिखा रहे हैं। कई बार हथियार तान कर धमकी भी देते हैं। ऐसा ही घटना के बारे में फोन के माध्यम से गोल्ड कोस्ट कॉलोनी निवासी युवक ने अपने परिजनों को बताई इस घटना से छात्र की बहन और उसकी मां दुखी हो गए हैं। अब परिजन आस लगा रहे हैं कि उनका बेटा जल्दी घर लौट आए यूक्रेन और रूस के बीच हुए युद्ध के बाद वहां के हालात ज्यादा बदतर हो गए हैं।

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रोहटा रोड गोल्ड कोस्ट निवासी महेश धामा का पुत्र अधिवेश धामा यूक्रेन के कीव मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था। रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद वहां के हालात बदल गए। अब बच्चों को हॉस्टल के तहखाने में छुपकर समय बिताना पढ़ रहा है। फोन के माध्यम से अधिवेश ने बताया कि पांच दिन पूर्व यूक्रेन के सैनिकों ने उन पर हथियार तान दिए थे। उसके साथ भारत के काफी छात्र मौजूद है। सैनिकों ने उनके साथ लूटपाट का भी प्रयास किया था, लेकिन जब ज्यादा संख्या में भारतीय छात्र देखें तो सैनिक वापस लौट गए। अब परिजनों का कहना है की रोमानिया बॉर्डर पार कर अधिवेश भारतीय शिविर में पहुंच गए हैं।

यूक्रेन से सुरक्षित पल्लवपुरम पहुंची राशिका शर्मा

मोदीपुरम: पल्लवपुरम फेज-वन स्थित बी-117 में भाजपा के वरिष्ठ नेता एडवोकेट राजेश मोहन शर्मा परिवार के साथ रहते हैं। उनकी बेटी राशिका शर्मा यूक्रेन में एमबीबीएस कर रही है। एमबीबीएस का कोर्स छह वर्ष का है। वह पांच वर्ष पूरे कर चुकी है। एक वर्ष राशिका शर्मा का बाकी बचा हुआ है।

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रूस और यूक्रेन का युद्ध होने के बाद से वहां रह रहे भारतीयों में अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिल रहा था। राशिका शर्मा भी खुद को असुरक्षित महसूस कर रही थी। राशिका शर्मा अरेबिया फ्लाइट से 15 फरवरी को यूक्रेन से चली और 16 फरवरी को सुरक्षित भारत पहुंच गई। राशिका शर्मा से हाल जानने अमित अग्रवाल बुधवार को उनके आवास पर पहुंचे। राशिका शर्मा ने बताया कि 24 फरवरी से यूक्रेन में फ्लाइट पूर्णरूप से बंद हो गई थी, लेकिन भारतीय दूतावास ने उनकी बड़ी मदद की।

जिससे मैं परिवार में सुरक्षित पहुंच गई हैं। राशिका शर्मा के पिता राजेश मोहन शर्मा का कहना है कि भारतीय दूतावास की मदद से आज वह बच्ची को सुरक्षित देख रहे हैं। वह भारतीय दूतावास और पीएम मोदी का आभार व्यक्त करते हैं। इस अवसर पर मंडल अध्यक्ष जयवीर राणा, पार्षद विक्रांत ढाका एडवोकेट, महेंद्र प्रजापति आदि मौजूद रहे।

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