- विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर विरोधियों को पटखनी दे रही मेरठ की बेटियां
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: क्या करेगी अखाड़े में जाकर, हाथ-पैर टूट गये तो ब्याह भी न होगा तेरा। कुछ ऐसे ही बाते कुछ वर्षों पहले तक कुश्ती में कॅरियर बनाने की इच्छा रखने वाली बेटियों को परिवार और रिश्तेदारों के साथ ही समाज के लोगों से सुनने को मिलती थी, लेकिन अब परिस्थितियां बदली है, अब बेटियां पहले से ज्यादा क्षमतावान बनी हैं। वह न केवल अखाड़े में उतर ही रही हैं। बल्कि देश और विदेश में होने वाली कुश्ती प्रतियोगिताओं में अपना रूतबा भी कायम कर रही है। बेटियां अब साफ तौर पर कहती हैं कि लड़की हूं तो क्या हुआ, मै लड़ सकती हूं।
ये कहना है कि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के रुस्तम-ए-जमा दारा सिंह कुश्ती हॉल में महिला पहलवानों को प्रशिक्षण देने वाले मशहूर कुश्ती खिलाड़ी और कोच जबर सिंह सोम का। महिला पहलवानों को कुश्ती के दांवपेच सीखाने के दौरान गुरवार को जनवाणी पत्रकार के साथ वार्ता के दौरान कहा कि मौजूदा समय में कुश्ती रिंग में यहां करीब 15 से 20 खिलाड़ी कुश्ती का प्रशिक्षण ले रही हैं। ये लड़किया बेहतर तकनीक और ताकत के दम पर खेल में निखार लाने को प्रतिबद्ध दिखाई देती हैं।
इस तरह होता है प्रशिक्षण
कोच ने बताया कि खिलाड़ियों को कुश्ती रिंग में लंबे समय तक टिके रहने के लिये काफी दम-खम की जरूरत होती है। इसके लिये सुबह शाम प्रशिक्षण के दौरान स्टेमिना लेवल को मेंटेन करने का काम किया जाता है। रस्से पर चढ़ना और उतरना एक बेसिक प्रैक्टिस है। इसके साथ ही कौन सी बाउट है इसके प्रकार के आधार पर खिलाड़ियों को अलग-अलग और उनकी क्षमता के आधार पर तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाता है। ग्रीको-रोमन और फ्री स्टाईल कुश्ती का चलन ज्यादा है। बताया खिलाड़ी की डाइट प्रशिक्षण से पहले और बाद में तय की जाती है और उसे उसी का पालन करना होता है।
इन खिलाड़ियों पर है निगाहें
61 किलोग्राम भार वर्ग में है और अभी 12 वर्षीय खिलाड़ी अंकिता अभी से अपनी तेजी के दम पर रिंग में सभी का ध्यान खींच रही है। वह अभी तकनीक का विशेष प्रशिक्षण ले रही है। इधर अडंर-17 एज गु्रप के 57 किलोग्राम भार वर्ग में खेलने वाली पायल हाल ही में सिल्वर मेडल प्राप्त करने में सफल हुई है। खिलाड़ी वंशिका 65 किलोग्राम भार वर्ग से नेशनल में प्रतिभाग कर चुकी है। तो वहीं पूजा ने 76 किलो ग्राम वर्ग में नेशनल में ब्रांज मेडल जीता है।