Saturday, July 27, 2024
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कुछ चीजें हमारे कंट्रोल से बाहर होती हैं-साकिब सलीम

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Senayvani 1


8 अप्रैल, 1988 को दिल्ली में पैदा हुए साकिब सलीम एक्ट्रेस हुमा कुरैशी के भाई हैं। उनके पिता दिल्ली में एक रेस्तरां के मालिक हैं। साकिब ने अपने कैरियर की शुरुआत एक मॉडल के रूप में की थी। मॉडलिंग के दौरान फैशन डिजाइनर वरूण बहल के साथ साकिब की दोस्ती हुई और वही दोस्ती उनके बॉलीवुड में आने का सबब बनी। वरूण की मदद से साकिब को यशराज फिल्मस की रोमांटिक कॉमेडी ‘मुझसे फ्रेंडशिप करोगे’ (2011) करने का अवसर मिला। इसके लिए उन्हें बेस्ट मेल डेब्यू फिल्मफेयर अवार्ड के लिए नॉमिनेशन मिला।

इसके बाद वो यशराज फिल्म की एक और रोमांटिक कॉमेडी ‘मेरे डैड की मारूति’ (2013) में नजर आए। फिर एक सिलसिला चल निकला और उन्हें ‘हवा हवाई’ (2014) ‘ढिशुम’ (2016) ‘दिल जंगली’ (2018) ‘रेस 3’ (2018) जैसी फिल्में मिलती चली गई । हाल ही में साकिब सलीम ‘फिल्म 83’ (2021) में मशहूर क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ के किरदार में नजर आए।

इसके लिए उनके काम की जमकर प्रशंसा हुई। ‘अनपॉज्ड 2’ में भी उन्होंने अपने किरदार के जरिये एक आम इंसान की बेबसी को सिल्वर स्क्रीन पर प्रस्तुंत किया। उनकी एक फिल्म ‘काकुड़ा’ कंपलीट हो चुकी है जो इस साल रिलीज होगी।

प्रस्तुत है साकिब सलीम के साथ की गई बातचीत के मुख्य अंश:

फिल्म ‘83’ में आपने मोहिंदर अमरनाथ का जो रोल प्ले किया, वह आपके लिए कितना चैलेंजिंग रहा?

उस किरदार के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि मोहिंदर सर बात बहुत कम करते थे, इसलिए अपने मन की बात सिर्फ अपनी आंखों के जरिये कहनी थी। वह सब कुछ काफी मुश्किल था लेकिन शुक्र है कि सब कुछ कर सका। मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि मैं एक ऐसी फिल्म का हिस्सा बन सका जो आज से 30-40 साल बाद भी याद की जाएगी।

बेशक ‘83’ को खूब सराहना मिली लेकिन बॉक्स आफिस पर फिल्म ने कुछ खास अच्छा नहीं किया?

-कुछ ऐसी चीजें हैं, जो हमारे कंट्रोल से पूरी तरह बाहर होती हैं। यह फिल्म एक एहसास है। यह जश्न है उस उपलब्धि का जब पहली बार हिंदुस्तान दुनिया के नक्शे पर आया। जब हम पहली बार चैंपियन बने। इस फिल्म ने मुझे जो प्यार दिया, वह आंकड़ों से एकदम परे है। खुद मोहिंदर अमरनाथ ने मेरे काम की तारीफ की। मेरे लिए उससे बड़ा दूसरा कोई अवार्ड हो ही नहीं सकता।

क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ का किरदार निभाते हुए कभी मन में इस तरह का ख्याल आया कि एक्टर के बजाए यदि स्पोर्ट पर्सन होते तो ज्यादा अच्छा होता?

सच पूछा जाए तो मैं हमेशा से एक स्पोर्ट पर्सन ही रहा हूं। बचपन से मेरा सिर्फ एक ही सपना था कि देश के लिए क्रि केट खेलूं लेकिन वह सपना कहीं अधूरा रह गया जिसे मैंने फिल्म ‘83’ के साथ पूरा किया।

अब फिल्म ‘83’ के बाद क्या कर रहे हैं?

एक हॉरर कॉमेडी ‘काकूड़ा’ की शूटिंग मैं खत्म कर चुका है। ‘क्रैकडाउन 2’ की शूटिंग चल रही है। इसके अलावा अमेजॉन प्राइम के लिए भी कुछ काम कर रहा हूं। कुछ और भी प्रोजेक्ट हैं जिनकी अभी आॅफिशियल अनाउंसमेंट नहीं हुई है। जैसी ही होगी, मुझे इनके बारे में बताते हुए खुशी होगी।

अपने कैरियर को लेकर कितने संतुष्ट हैं? या फिर अब भी कोई शिकायत है?

मुझे न तो पहले कोई शिकायत थी, और न आज है। मुझे हमेशा यही लगता है कि जो कुछ मुझे मिला, मैं उसके लायक नहीं हूं। मैं पिछले 10-12 साल से इस इंडस्ट्री में हूं। मैंने अच्छा और थोड़ा बेकार दोनों तरह का काम किया है लेकिन मुझे लोगों का इतना प्यार, इतनी मोहब्बत मिली है कि यकीन करना मुश्किल होता है।

सुभाष शिरढोनकर


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