- स्टेशन पर होम सिग्नल से 270 मीटर दूरी पर दोनो पटरियों पर 10-10 मीटर पर रखे जाते थे पटाखे
- स्टेशन पर पटाखे किसी विशेष परिस्थिति में ही टेÑन की पटरी पर रखे जाते हैं, जब ट्रेन आदि रुकवानी हो
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: स्टेशनों पर कोहरा शुरू होने से पूर्व होम सिगनल से 270 मीटर दूसरी पर दोनो पटरियों पर 10-10 मीटर के अंतराल पर पटाखे रखे जाते थे। ताकि ट्रेन चालक, ड्राइवर को स्टेशन की दूरी का पता चल सके और वह ट्रेन की गति को कम करके स्टेशन पर सुरक्षित तरीके प्लेटफार्म पर रोक सके।
ट्रेनों के इंजन में नई तकनीक कोहरा सुरक्षा यंत्र-फॉग सेफ्टी डिवाइस (एफएसडी) लगी होेने के कारण अब पटरियों पर पटाखे नहीं रखे जायेंगे। स्टेशन पर पटाखे तो उलब्ध हैं, लेकिन वह पटाखे किसी इमरजेंसी में ही पटरी पर रखे जायेंगे। उधर, ट्रेनों के इंजन में एफएसडी डिवाइस के लगने के बाद ट्रेन की गति भी करीब 10 से 20 किमी प्रतिघंटा बढ़ी है।
सर्दी के मौसम में नवंबर माह से रेलवे विभाग कोहरे को लेकर अलर्ट हो जाता है। रेलवे विभाग के द्वारा रेल की पटरियों पर कुछ दूरी के अंतराल पर पटाखे रखे जाते थे, ताकि ट्रेन चालक को यदि सिग्नल दिखाई न दे उस स्थिति में पटाखे की अवाज सुनकर वह अलर्ट हो सके की, आगे लाइन साफ है, लेकिन अब रेलवे विभाग पटाखे किसी विशेष परिस्थति में ही पटरियों पर रखता है। जिसमें यदि फाटक पर कोई वाहन आदि फंस जाए
या दूसरी तरफ पटरी पर कोई इंजन खराब हो जाये, ऐसी स्थिति में नियमानुसार दूसरी पर पटाखे रखे जाते हैं। ताकि उस पटरी पर आने वाली ट्रेन के चालक को पता चल जाये कि आगे लाइन साफ नहीं है, जिस पटरी से होते हुए उसकी ट्रेन आगे बढ़ रही है। पहले बिना किसी इमरजेंसी के ही होम सिग्नल से 270 मीटर की दूसरी पर 10-10 मीटर के अंतराल पर दोनों पटरियों पर पटाखे रखे जाते थे, ताकि सिग्नल कोहरे में दिखाई नहीं देने की स्थिति में पटाखों से पता चलता था कि पटरी व स्टेशन पर आगे की लाइन साफ है।
जिस समय पटरियों पर पटाखे रखे जाते थे, तब ट्रेनों की स्पीड कोहरे के कारण 50 किमी प्रतिघंटा की होती थी, लेकिन ट्रेनों के इंजन में कोहरा सुरक्षा यंत्र-फॉग सेफ्टी डिवाइस (एफएसडी) के बाद स्पीड 60 से 75 किमी प्रतिघंटा हुई। इस तकनीक से ट्रेन की लेटलतीफ की समस्या से यात्रियों को निजात मिलेगी। साथी ही कोहरे के कारण जो ट्रेन दुर्घटना होती थी उससे बचा भी जा सकेगा। कैंट स्टेशन अधीक्षक उपेंद्र सिंह ने बताया कि सर्दी के मौसम में रेल पटरियों के चटकने की संभावना रहती है, इसके सुरक्षा के लिए पेट्रोलिंग मैन और ट्रैक मैन को जीपीएस सिस्टम दिया गया है।