Saturday, July 27, 2024
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कोडवर्ड डीकोड होते ही ‘राधे’ तक पहुंची एसटीएफ और…

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नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका अभिनंदन और स्वागत है। प्रयागराज में उमेश पाल मर्डर केस के आरोपी पांच लाख का इनाम घोषित होने के बाद भी माफिया अतीक अहमद का बेटा असद अहमद एसटीएफ के हाथ नहीं आ रहा था। एसटीएफ अफसरों के मुताबिक असद के बारे में सबसे अहम जानकारी कुछ दिनों पहले प्रयागराज में अतीक के घर से बरामद आईफोन से मिली।

आईफोन को डीकोड करने पर गैंग के बारे में कई अहम जानकारियां हाथ आईं। मालूम चला कि गैंग के सदस्य आपस में कोड नाम से बात करते थे। पुलिस कई बार इसे डीकोड नहीं कर पाती थी।

आपसी बातचीत में बदमाश इन्हीं नाम का इस्तेमाल करते थे। हत्याकांड के पहले से बदमाश आपसी बातचीत में इन्हीं नामों का इस्तेमाल करते थे।

एसटीएफ के हाथों ढेर हुए अतीक के बेटे असद का नाम ‘राधे’ था। ‘राधे’ नाम उसे बड़े बाल रखने की वजह से दिया गया। उमेश पर दुकान से निकलकर गोली चलाने वाले गुलाम का नाम ‘उल्लू’ रखा गया था।

बम चलाने वाले बदमाश गुड्डू मुस्लिम का नाम ‘मुर्गी’ रखा गया था। यह नाम उसके घर में चलने वाले चिकन की दुकान के चलते रखा गया।

अतीक को उसके नाम से बुलाने के बजाय ‘बड़े मियां’ और अशरफ को ‘छोटे मियां’ कहकर बुलाया जाता था।

बिहार के सासाराम का होने के नाते शूटर अरमान को बिहारी कहते थे। वहीं, इनामिया बदमाश असद कालिया को लंगड़ा नाम दिया गया। गिरोह में शामिल अन्य बदमाशों के भी कुछ अन्य लोगों के कोड नेम भी सामने आए हैं।

इसमें हलवाई, माया, तोता, पंडित, सैम, शेरू, रसिया, बल्ली, कछोली नाम भी दिया गया था। यह बात भी सामने आई कि उमेश पाल कांड में शामिल शूटर्स को आईफोन के साथ ही साथ अलग से सिमकार्ड दिए गए थे। यह नाम डिकोड होने के बाद पुलिस को असद के बारे में पता लगाने में मदद मिली।

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