- सितंबर में सिंचाई के समय सभी अवर अभियंताओं को क्षेत्र में रहकर निगरानी के निर्देश जारी
- ओवरलोडिंग वाले ट्रांसफार्मरों की गहनता से जांच के आदेश प्रदेश मुख्यालय से आए
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: निजी नलकूपों पर स्वीकृत भार का पता लगाने के लिए चलाए गए मीटर लगाने के अभियान का किसानों की ओर से होने वाले विरोध के बीच ऊर्जा विभाग ने नई रणनीति तैयार कर ली है। कम बारिश होने के कारण सितंबर के आरंभ से ही किसान अपने नलकूपों का सहारा लेकर सिंचाई करने की तैयारी कर रहे हैं,
वहीं विभाग ने उनके नलकूपों पर स्वीकृत भार और वास्तव में पड़ने वाले भार का पता लगाने का जिम्मा अवर अभियंताओं को दिया है। जिन्हें साफ निर्देश दिए गए हैं कि नलकूपों पर लगे ट्रांसफार्मरों के ओवरलोड होने की स्थिति में उसके कारणों की निगरानी की जाए।
पिछले कुछ समय से ऊर्जा निगम की ओर से नलकूपों पर मीटर लगाने का अभियान चलाया जा रहा है। जिसके पीछे विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि इसके जरिये यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि स्वीकृत भार के सापेक्ष ट्रांसफार्मरों पर वास्तव में कितना भार पड़ता है। कहीं न कहीं विभाग के अधिकारी यह मानकर चल रहे हैं कि नलकूप पर अगर पांच किलोवाट का भार स्वीकृत है, तो बहुत से किसानों ने साढ़े सात या अधिक क्षमता के मोटर लगाए हुए हैं।
इसी कारण कई स्थानों पर बार-बार ट्रांसफार्मर फुंकने की स्थिति बन जाती है। वहीं कुछ स्थानों पर किसानों ने ऊर्जा विभाग की ओर से लगाए जाने वाले मीटर उखाड़कर बिजलीघरों में जमा करा दिए हैं। विरोध करने वाले किसानों का तर्क है कि मीटर लगाने के बाद विभाग उन्हें रीडिंग के अनुसार ही बिल भेजना शुरू करने वाला है। विरोध प्रतिरोध के बीच ऊर्जा निगम के अधिकारी विभिन्न माध्यमों से किसानों को यह विश्वास दिलाने में लगे हैं कि उनसे फिक्स रेट के अनुसार ही बिल लिए जाएंगे।
अपना यह संदेश किसानों के साथ-साथ आम उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए विभाग की ओर से कॉलर ट्यून का भी सहारा लिया जा रहा है। जिसमें बताया जाता है कि मीटर लगाने का उद्देश्य केवल वास्तविक भार का पता लगाना है। इनका बिलिंग से कोई संबंध नहीं है, बल्कि किसानों को पूर्व की भांति फिक्स रेट से ही बिल भेजे जाएंगे। हालांकि किसान इस तर्क से सहमत नहीं हो पा रहे हैं। और विभिन्न मंचों से नलकूपों पर मीटर लगाने का विरोध करते रहे हैं।
किसानों के विरोध के बीच प्रदेश मुख्यालय से एक नए आदेश जारी किए गए हैं। विभागीय सूत्रों के मुताबिक सभी बिजलीघरों पर तैनात अवर अभियंताओं से कहा गया है कि वे एक सितंबर से निजी नलकूपों के लिए लगाए जाने वाले ट्रांसफार्मरों के भार की निगरानी करेंगे। विभागीय अधिकारियों का ऐसा मानना है कि बरसात कम होने के कारण सितंबर से किसान सिंचाई के काम में लग जाएंगे। ऐसे में नलकूपों पर लगे ट्रांसफार्मर ओवरलोड होकर फुंकने की घटनाएं बढ़ सकती हैं।
जहां बार-बार ट्रांसफार्मर फुंकने की घटनाएं होती हैं, वहां के किसान विभाग के रडार पर होंगे। ऐसे किसानों के स्वीकृत भार और प्रयुक्त किए जाने वाले भार का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए रिपोर्ट तैयार करके मुख्यालय भेजी जाएगी। बहरहाल किसानों के आंदोलनों पर पैनी नजर रखने वाले कुछ लोग अंदेशा जता रहे हैं कि इस नए आदेश के बाद नलकूपों पर मोटरों की क्षमता की जांच के लिए जाने वाली टीम और किसानों के बीच टकराव की स्थिति भी बन सकती है।