- दिनभर पब्लिक ने झेली दुश्वारियां, देर रात हड़ताल खत्म होने की खबर से मिली बड़ी राहत
- पुलिस प्रशासन के सहारे चलाई गई कुछ बसें, तीन दिन से गैस सिलेंडर एवं पेट्रोल-डीजल की सप्लाई रही ठप
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: हिट एंड रन के संशोधित कानून के विरोध में नववर्ष के पहले दिन से शुरू हुई वाहन चालकों की हड़ताल दूसरे दिन भी चली, जो शाम को खुलने का ऐलान कर दिया। इस बीच निगम और अनुबंध की कुछ बसों को पुलिस प्रशासन की मदद से संचालित किया गया। मेरठ में भैंसाली बस स्टेशन से मेरठ और भैंसाली डिपो की बसों का संचालन किया जाता है। इसके अलावा सोहराब गेट डिपो से बसें संचालित होती हैं, लेकिन हिट एंड रन के संशोधित कानून को लेकर कई राज्यों में चल ही चालकों की हड़ताल का असर निगम की नियमित और अनुबंधित बसों के संचालक पर भी पड़ा है।
पहले दिन जहां सभी बसों का चक्का जाम रहा। वहीं दूसरे दिन सेवा प्रबंधक लोकेश राजपूत ने सभी डिपो के एआरएम की मदद से मेरठ परिक्षेत्र में 770 में से करीब 70 वर्षों का संचालन विभिन्न मार्गों पर कराया है। सेवा प्रबंधक ने बताया कि बसों के संचालन के संबंध में निगम से संबंधित यूनियन के पदाधिकारी से भी वार्ता की गई है। साथ ही चालकों को यह बताने का प्रयास किया गया है कि जिस संशोधित कानून को लेकर वह हड़ताल कर रहे हैं, उसके प्रावधानों को लेकर गलत मैसेज दिया जा रहा है।
इस नए संशोधित कानून से इतना भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। यह केवल उनके लिए कठोर हो सकता है, जो दुर्घटना के बाद घायलों को मरने के लिए छोड़कर मौके से फरार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में घायल बिना उपचार के दम तोड़ देता है। उन्होंने बताया कि बातचीत का यह लाभ हुआ है कि मेरठ परिक्षेत्र में कुल संचालित 770 बसों में से करीब 70 बसें विभिन्न मार्गों पर संचालित की जा सकी हैं। इसमें से अधिकांश बसों को उत्तर प्रदेश के ही विभिन्न जिलों तक चलाने का प्रयास किया गया है।
इस बीच प्रशासन की ओर से भैंसाली बस स्टेशन पर भारी संख्या में पुलिस और पाक के जवानों को तैनात कर दिया गया है। इसके अलावा फायर ब्रिगेड की गाड़ी भी बस स्टेशन पर लगा दी गई है। सोहराब गेट डिपो पर भी पुलिस और पीएसी का बंदोबस्त किया गया है। सोहराब गेट डिपो के वरिष्ठ केंद्र प्रभारी आसिफ अली ने बताया की स्टेशन से 15 वर्षों का संचालन आगरा बुलंदशहर बरेली और मुरादाबाद आदि मार्गों पर शुरू कराया गया है।
हालांकि एल ब्लॉक, किठौर तथा भटीपुरा में कुछ लोगों ने बसों का संचालन रोक दिया। इसके संबंध में पुलिस प्रशासन को अवगत कराया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर बसों के संचालन में अवरोध उत्पन्न कर रहे लोगों को तितर-बितर किया। इसके बाद शाम तक सभी बसों का संचालन सुचारु रूप से होता रहा।
इस दौरान आरएम आॅफिस में सेवा प्रबंधक लोकेश राजपूत के साथ एआरएम फाइनेंस मुकेश अग्रवाल, एआरएम मेरठ जगदीश सिंह समेत अनेक वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। और स्थिति पर नजर रखते हुए संचालित हो रही बसों का फीडबैक लेते रहे। मंगलवार को पूरा दिन हड़ताल चली, लेकिन शाम को हड़ताल खुलने का ऐलान कर दिया गया। बुधवार को जिंदगी पटरी पर लौट आएगी। रोजमर्रा की तरह से रोडवेज बस, ट्रक व अन्य वाहन सड़कों पर दौडेंÞगे।
दूसरे दिन भी नहीं चल सकी सिटी बसें
सिटी ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन सर्विसेज लिमिटेड के अंतर्गत संचालित होने वाली 154 बसें दूसरे दिन भी नहीं चलाई जा सकीं। एआरएम विपिन सक्सेना ने बताया कि मंगलवार को भी इलेक्ट्रिक, सीएनजी और वोल्वो बसों का संचालन ठप रहा। कुछ बसों को संचालित करने का प्रयास किया गया, लेकिन जगह-जगह बसों को रोकने और चाबी छीनने की घटनाओं को देखते हुए सभी बसों को वापस डिपो बुला लिया गया। गौरतलब है कि मेरठ महानगर में 96 सीएनजी, 50 इलेक्ट्रिक तथा आठ वोल्वो बसों का संचालन किया जाता है, लेकिन दो दिन से सभी बसों का चक्का जाम है। बताया गया है कि कोई भी चालक बसों को मार्ग पर ले जाने के लिए तैयार नहीं है।
डग्गामार वाहनों की हुई चांदी
महानगर समेत देहात क्षेत्र में बेसन का संचालन पूरी तरह तप रहा इस बीच टेंपो ई-रिक्शा और अन्य डग्गामार वाहनों की खूब चांदी हुई। जिन्होंने मनचाहा किराया वसूलते हुए कई कई चक्कर लगाए, और यात्रियों को ढोया। यह सफर सुरक्षित न होने के बावजूद कोई अन्य विकल्प न होने के कारण यात्री इन्हीं वाहनों में गंतव्य को आते जाते दिखाई दिए।
ट्रांसपोर्टरों ने डीएम को सौंप दी थी ट्रकों की चाबियां
मंगलवार को ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन मेरठ के सदस्य-पदाधिकारियों ने अध्यक्ष गौरव शर्मा के नेतृत्व में मोटर व्हीकल एक्ट 2023 के विरोध में डीएम को प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन देते हुए विरोध जताया। दोपहर बाद ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी और सदस्य अध्यक्ष गौरव शर्मा के नेतृत्व में जिलाधिकारी दीपक मीना से उनके कार्यालय में मिले। पूर्व घोषणा के अनुसार उन्हें ट्रकों की चाबियां सौंपते हुए ज्ञापन दिया। जिसमें कहा गया कि भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत हिट एंड रन मामलों पर प्रस्तावित कानून से भारत के सड़क परिवहन समुदाय की व्यापक चिंताएं बढ़ गई हैं।
गौरव शर्मा ने कहा कि हिट एंड रन की घटनाओं से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने के पीछे सरकार का इरादा अच्छा हो सकता है। परन्तु प्रस्तावित कानून में महत्वपूर्ण खामियां हैं, जिन पर तत्काल पुनर्विचार की आवश्यकता है। देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देने वाला परिवहन क्षेत्र और ट्रक चालक इस कानून के संभावित प्रभावों को लेकर बेहद आशंकित है। कहा गया कि मोटर व्हीकल एक्ट 2023 हितधारकों, विशेषकर परिवहन क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ किसी परामर्श के बिना पेश किया गया है। भारत इस समय परिवहन उद्योग में ड्राइवरों की कमी से जूझ रहा है।
देश में लगभग 27 प्रतिशत ड्राइवरों का अभाव है। 10 साल की जेल की सजा सहित सात लाख रुपये के दंड का कड़ा प्रावधान व्यक्तियों को ड्राइवर के पेशे से हतोत्साहित करेगा। ज्ञापन में कहा कि देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का नितांत अभाव है। प्रस्तावित कानून हिट एंड मामलों के लिए एक व्यापक जांच प्रोटोकॉल की रूपरेखा नहीं बताता है। वर्तमान में देश में बड़े वाहनों को दोष देने का एक अनकहा नियम आंख मूंदकर अपनाया जाता है। भारी वाहनों पर स्वत: दोष मंढने के बजाय दुर्घटनाओं के कारणों की निष्पक्ष जांच न्याय के लिए महत्वपूर्ण है।
संस्था सदस्यों का मानना है कि उक्त कानून में कड़े प्रावधान और देश में इसके दुष्परिणामों को बढ़ने से रोकने के लिए प्रस्तावित कानून पर व्यावहारिक पुनर्विचार आवश्यक है। इस मौके पर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन अध्यक्ष गौरव शर्मा, व्यापारी नेता विपुल सिंघल, सतीश चंद जैन, ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन मेरठ संरक्षक खेता सिंह, महामंत्री दीपक गांधी, उपाध्यक्ष पंकज अनेजा, रोहित कपूर, योगेश लाला, अतुल शर्मा, अनीश चौधरी, सुरेंद्र शर्मा, अंकुर प्रजापति, पिंकू शर्मा, सुमित प्रधान, नीरज मुल्तानी, नरेश चंद शर्मा, गजेंद्र ठाकुर, वरुण कुमार, दिव्य बुद्धिराजा, सचिन शर्मा, योगेश शर्मा, हरिओम शर्मा, सतपाल शर्मा, बिट्टू गोस्वामी, आशीष शर्मा, संतोक सिंह, अमित कुमार, सुखवंत सिंह, जितेंद्र सिंह अश्वनी, गगनदीप सिंह, संदीप सिंह आदि मौजूद रहे।
हमलावर भीड़ के विरुद्ध नहीं कोई कानून
संगठन की ओर से दिए गए ज्ञापन में इस बात पर जोर दिया गया कि अनेक हिट एंड रन मामलों में चालक दुर्घटना की जिम्मेदारी से बचने के इरादे से नहीं भागते हैं। इसके बजाय वह क्रोधित भीड़ और स्थानीय निवासियों द्वारा उत्पन्न संभावित खतरे से अपनी जान बचाने के लिए भागते हैं। सड़क पर सुरक्षा की कमी उन्हें ऐसे कदम उठाने पर मजबूर करती है। जबकि दुर्घटना के समय क्रोधित भीड़ द्वारा वहां चालक पर हुए हमले में हमलावरों पर किसी प्रकार के दंड का प्रावधान नहीं किया गया है।
एलपीजी, आयल कंपनियों को लगा करोड़ों का फटका
मोदी सरकार ने सड़क हादसे में मरने वाले राहगीरों की मौत के आंकड़ों पर लगाम कसने के लिए नये साल पर हिट एडं रन कानून लागू किया है। कानून के लागू होने के बाद भाजपा सरकार के खिलाफ जिले के ट्रांसपोर्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। मंगलवार को वाहनों की हड़ताल के कारण जिले के सभी पेट्रोल पंपों पर पेट्रोल-डीजल भरवाने वाले दो पहिया एवं चार पहिया वाहन चालकों की भीड़ लगी रही। यह सिलसिला देर रात तक जारी रहा।
जिले में भारत, इंडियन, हिंदुस्तान अन्य कंपनी के काफी संख्या में पेट्रोल पंप स्थापित है। जहां हर रोज लाखों की संख्या में वाहन तेल खरीदते हैं, लेकिन बीते तीन दिन से पेट्रोलियम डिपो द्वारा तेल की सप्लाई नहीं होेने के कारण शहर में अफरातफरी मची हुई है। जिसका सीधा असर दो पहिया से लेकर चार पहिया वाहन चालकों पर पड़ रहा है। आंकड़ों के अनुसार बीते दिन से पेट्रोलियम कंपनियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। जिला कोआॅर्डिनेटर कपिल जिंगल ने बताया कि पेट्रोलियम डिपो द्वारा तेल सप्लाई न होने के कारण कितना नुकसान हुआ है।
इसके आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि पेट्रोल पंप मालिक से लेकर एलपीजी संचालकों के फोन आ रहे हैं, लेकिन अभी तक उक्त समस्या को लेकर कोई समाधान निकलता नहीं आ रहा है। हर महीनों लाखों मेट्रिक टन तेल की खपत होती है। जिसके कारण निजी व सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारियों को भारी दिक्कतों का सामना उठाना पड़ सकता है। हालांकि, इस मामले मे अभी पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से किसी प्रकार की कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहीं आ है।
तेल के स्टॉक की कमी से मची अफरातफरी
मंगलवार को हड़ताल के कारण पेट्रोल पंपों पर तेल की किल्लत के चलते दिनभर अफरा तफरी का माहौल बना रहा। जिसके कारण गांव देहात से लेकर शहर क्षेत्रों में पेट्रोल पंपों पर दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों की भीड़ लगी रही। जिसके कारण जल्द सभी पंपों पर तेल खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है। हालांकि, अभी तक तेल स्टाक के बारे में किसी भी अधिकारी की ओर से कोई प्रतिक्रियाएं नहीं आई है। फिलहाल, एक से दो दिन के भीतर पेंट्रोल पंपों पर तेल खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है।
गैस सिलेंडर की सप्लाई का आवागमन ठप
जिले में आइओसीएल कंपनी के लाभार्थियों की संख्या में करीब 66 हजार 615 है और बीपीसीएल कंपनी के लाभार्थियों की संख्या करीब 78 हजार 711 है। वहीं, अगर एचपीसीएल की बात करें तो इनके आंकड़ों की संख्या करीब 36 हजार 695 हैं। गैस कंपनियों से सप्लाई न होने के कारण उपभोक्ताओं को बीते एक से दिन के भीतर काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार जिले में ऐसे भी डीलर है। जिन्हें प्रति दिन सप्लाई की आवश्यकता होती है और ऐसे भी डीलर है। जिनके सिलेंडरों की सप्लाई हड़ताल के कारण नहीं हो पा रही है।
देर रात तक पेट्रोल पंपों पर रहा वाहनों का जमावड़ा
बीते तीन दिन से जारी ट्रांसपोर्ट की हड़ताल के कारण मंगलवार के पेट्रोल पंपों पर दिनभर वाहनों का जमावड़ा लगा रहा। जहां हर कोई वाहनों में तेल की टंकी को फुल कराते नजर आए। इस दौरान जब उनसे बात करने का प्रयास किया तो हर किसी ने भाजपा सरकार को कोसा। इससे आम लोगों में काफी नाराजगी देखने को मिली है।