जनवाणी ब्यूरो |
लखनऊ: प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा बताया गया कि वर्तमान में जिला योजना के अन्तर्गत गन्ना फसल की सुरक्षा के लिए लिए 2 योजनाओं में अनुदान की व्यवस्था है। पहला, बीज भूमि उपचार कार्यक्रम है जिसके अन्तर्गत गन्ना बुआई के समय भूमि में प्रयुक्त किये जाने वाले रसायनों एवं बीज शोधन के लिए प्रयुक्त रसायनों पर लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 500 प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाता है, दूसरा पेड़ी प्रबन्धन कार्यक्रम है, जिसके अन्तर्गत पेड़ी गन्ना फसल की सुरक्षा के लिए प्रयुक्त रसायनों की लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 150 प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाता है।
आयुक्त ने बताया कि यह व्यवस्था वर्ष 2012 से प्रचलित है, जबकि बाजार में कई नये उपयोगी पेस्टीसाइड्स आ चुके है तथा समय के साथ इन रसायनों के मूल्य में भी वृद्धि हो चुकी है। गन्ना किसानों द्वारा पेस्टीसाइड की बढ़ी लागत के दृष्टिगत अनुदान बढ़ाये जाने के अनुरोध किये जा रहे थे तथा कीट-नाशकों के मूल्य में वृद्धि एवं अनुदान की दरें सीमित होने के कारण बहुत से कृषक फसल सुरक्षा के प्रति प्रभावी रूचि नहीं ले पा रहे है।
गन्ना कृषकों के हितों को दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार द्वारा अनुदान में वृद्धि को मंजूरी प्रदान की गई है। राज्य सरकार की स्वीकृति प्राप्त होने के उपरान्त अब गन्ना किसानों को उनकी बुआई से लेकर पेड़ी प्रबन्धन तक उपयोग किये जा रहे किसी भी फसल सुरक्षा रसायन की लागत का 50 प्रतिशत अथवा 900 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान उपलब्ध
हो सकेगा।