एक पर्वतीय प्रदेश का स्थान का राजा एक बार एक घाटी में शिकार खेलने गया। उस समय वह स्थान घने जंगल से ढका था। एक खरगोश झाड़ियों से निकला। राजा ने उसका पीछा किया, किंतु अचानक वह खरगोश चीते में बदल गया और शीघ्र ही ओझल हो गया। राजा ने पंडितों की सभा बुलाई और उनसे इसका अर्थ पूछा। उन्होंने उत्तर दिया, ‘इसका अर्थ यह है कि जिस स्थान पर चीता ओझल हुआ था, वहां आपको नया शहर बसाना चाहिए, क्योंकि चीते उस स्थान से भाग जाते हैं, जहां मनुष्यों को बड़ी संख्या में बसना हो।’ नया शहर बसाने की शुरुआत कर दी गई। अंत में जमीन को कठोरता देखने के लिए एक स्थान पर उन्होंने लोहे की एक मोटी कील गाड़ी। उस समय अचानक पृथ्वी में हल्का-सा कंपन हो उठा। ‘ठहरो!’ पंडित चिल्ला पड़े, ‘इसकी नोक शेषनाग की देह में धंस गई है। अब यहां शहर नहीं बनाना चाहिए।’ जब वह लोहे की कील बाहर निकाली गई, तो वह वास्तव में रक्त से लाल थी। राजा बोला, ‘हम शहर बनाने का निश्चय कर चुके हैं, इसलिए अब बनाना ही होगा।’ पंडितों ने क्रोध में आकर भविष्यवाणी की कि शहर पर भारी विपत्ति आएगी और राजा का वंश शीघ्र ही नष्ट हो जाएगा। वह शहर उस पहाड़ पर बसा हुआ और उसके चारों ओर फैले खेत बढ़िया फसलें पैदा करते हैं। इस प्रकार बुद्धि रखते हुए भी वे पंडित अपनी भविष्यवाणी में गलत निकले। लोग ऐसी गलती प्राय: करते हैं और अंधविश्वास को वास्तविकता समझ लेते हैं।