जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उतर प्रदेश में 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले पर बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने इस मामले के संबंध में यूपी शिक्षा मित्र एसोसिएशन द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने शिक्षा मित्रों को संबंधित परीक्षाओं में भाग लेने का एक अंतिम मौका दिया है।
इससे पहले 24 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए कहा है कि कट ऑफ 60 से 65 ही रहेगा।
इससे उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों के रूप में योग्यता प्राप्त करने के लिए लगभग 38 हजार शिक्षा मित्रों को कट-ऑफ अंकों में छूट नहीं मिलेगी। हालांकि, सभी शिक्षा मित्रों को एक मौका और मिलेगा।
Supreme Court dismisses the appeal filed by UP Shiksha Mitra Association in connection with the case related to the recruitment of around 69,000 Assistant teachers in UP.
The court granted one last chance to the Shiksha Mitras to compete in the respective examinations. pic.twitter.com/BuiOpp2uGC
— ANI (@ANI) November 18, 2020
शिक्षक भर्ती मामले में पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 सितंबर को 31661 पदों को एक हफ्ते के अंदर भरने का निर्देश दिया था। इन पदों पर यूपी सरकार के मौजूदा कट ऑफ 60-65 के आधार पर भर्ती होगी।
न्यायालय ने सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के हलफनामे को रिकॉर्ड में लिया इसमें कहा गया था कि नए कट ऑफ की वजह से नौकरी से वंचित रह गए शिक्षा मित्र को अगले साल एक और मौका दिया जाएगा।
छात्रों के एक गुट का कहना था कि सरकार का परीक्षा के बाद कट ऑफ निर्धारित करना गलत है। छह मार्च को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यूपी सरकार के फैसले को सही मानते हुए भर्ती प्रक्रिया को तीन महीने के अंदर पूरी करने का आदेश दिया था।
मगर शिक्षामित्रों ने कट ऑफ मार्क्स को लेकर इसका विरोध किया और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।
शिक्षामित्रों का कहना है कि लिखित परीक्षा में टोटल 45,357 शिक्षामित्रों ने फॉर्म डाला था, जिसमें से 8,018 शिक्षामित्र 60-65 प्रतिशत के साथ पास हुए लेकिन इसका कोई डाटा नहीं है कि कितने शिक्षामित्र 40-45 के कटऑफ पर पास हुए। इसी वजह से 69 हजार पदों में से 37,339 पद रिजर्व करके सहायक शिक्षक भर्ती की जाए या फिर पूरी भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए।