- ट्रेनों के लिए बेगमपुल पर बन रहे स्टेशन पर आने वाली गाड़ियों की पार्किंग की तस्वीर साफ नहीं
- आबूलेन के व्यापारी बोले कि टनल की खुदाई के साथ ही अफसर मल्टी लेवल पार्किंग भी करें तैयार
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेट्रो व रैपिड की लाइन बिछाने के लिए कार्यदायी कंपनी ने टनल व स्टेशन बनाने के लिए अंडर ग्रांउड खुदाई शुरू कर दी है। जहां जिस तेजी से काम चल रहा है। उससे वो दिन दूर नहीं जब दिल्ली पास होगी, लेकिन बड़ा सवाल यही कि जो लोग बेगमपुल स्टेशन से दिल्ली के लिए मेट्रो व रैपिड में सवारी करेंगे, दूरदराज से आने वाले उन लोगों के वाहनों के लिए पार्किंग का इंतजाम कहां होगा।
इसका इंतजाम जिला प्रशासन, कैंट बार्ड प्रशासन या फिर रैपिड अथवा मेट्रो चलाने वाली कंपनी करेंगी। इंतजाम भले ही कोई भी करें, लेकिन उससे भी बड़ा सवाल ये है कि बेगमपुल स्टेशन से चलने वाली मेट्रो व रैपिड के लिए पार्किंग बनाई कहां जाएगी।
मेट्रो और रैपिड एक ही पटरी पर दौड़ा करेंगी, ऐसा अफसरों का कहना है। इतना ही नहीं बेगमपुल पर बनने वाला स्टेशन मुसाफिरों के लिए सबसे प्रमुख होगा। ये भी कहा जा रहा है कि इस दोनों सेवाओं का प्रयोग केवल मेरठ के लोग करेंगे ऐसा भी नहीं है।
मेरठ के अलावा आसपास के करीब कई जनपदों के लोग जो अभी वाया कार द्वारा दिल्ली जाते हैं। सेवा शुरू होने के बाद आमतौर पर बेगमपुल पर अपना वाहन पार्क कर वहां से दिल्ली का सफर शुरू करेंगे। क्योंकि तब दिल्ली महज 45 मिनट की दूरी पर होगी। जो लोग खासतौर से दिल्ली एनसीआर में नौकरी करने वाले जो फिलहाल बसों या फिर निजी वाहनों का प्रयोग करते हैं फिर पूल सिस्टम से दिल्ली जाते हैं वो सभी मेट्रो या रैपिड का लाभ उठाएंगे।
बेगमपुल पर वाहनों की पार्किंग की जाएगी, लेकिन पार्किंग स्थल कहां होगा यह सवाल मुंह बाएं खड़ा है। इसको लेकर आबूलेन के व्यापारियों का कहना है कि पार्किंग का समुचित इंतजाम न होने की वजह से बेगमपुल और आबूलेन की सूरत बिगड़ जाएगी। इसलिए जरूरी है कि साथ-साथ पार्किंग स्थल का भी निर्माण किया जाए।
बद से बदतर होंगे हालात
आबूलेन के बडे व्यापारी सरदार नरेन्द्र सिंह करनैल का कहना है कि पार्किंग को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। मेट्रो व रैपिड के कार्य के साथ ही पार्किंग स्थल के लिए भी काम शुरू किया जाए। बेहतर होगा कि बेगमपुल स्टेशन के ऊपर ही मल्टी लेवल पार्किंग बना दी जाए।
आबूलेन और बेगमपुल पर पड़ेगा फर्क
आबूलेन स्थित सरदारजी फोन्स के मालिक राजबीर सिंह का कहना है कि पार्किंग स्थल न होने की स्थिति में बेगमपुल व आबूलेन के सूरत बुरी तरह बिगड़ जाएगी। इसके साइड इफेक्ट बॉम्बे बाजार व सदर सरीखे इलाकों पर भी पडेगे। इसलिए जरूरी है कि सभी पर काम किया जाए।
अधिकारी स्थिति करें साफ
संयुक्त व्यापार संघ के अध्यक्ष व आबूलेन पर शोरूम चलाने वाले बडे भाजपा नेता अजय गुप्ता का कहना है कि मेट्रो कंपनी व कैंट तथा जिला प्रशासन को मिलकर पार्किंग को लेकर जरूर मंथन करना चाहिए। आवाजाही शुरू होने के बाद जो हालात बनेंगे, उसके चलते व्यापारियों की चिंता वाजिफ है। इसलिए इस पर स्थिति साफ होनी चाहिए।
कमिश्नर से करेंगे पार्किंग की चर्चा
संयुक्त व्यापार संघ के अध्यक्ष नवीन गुप्ता का कहना है कि बेगमपुल स्टेशन पर पहुंचने वाले लोगों के वाहनों की पार्किंग को लेकर जो चिंता जताई जा रही है अफसरों को चाहिए कि उसका भी समाधान किया जाए। इसको लेकर कमिश्नर से चर्चा करेंगे साथ ही मेट्रो अफसरों को भी पत्र लिखेंगे। व्यापारियों की चिंता इसको लेकर वाजिफ है।
ये बोले कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष
इस संबंध में कैंट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष सुनील वाधवा का कहना है कि मेट्रो व रैपिड के आने से दिल्ली करीब आ जाएगी, लेकिन जो लोग दिल्ली आएंगे उनके वाहनों के लिए पार्किंग का इंतजाम किया जाना चाहिए। मेट्रो प्रशासन को इसको लेकर स्थिति साफ करनी चाहिए।
ये बोले सीपीएम आरआरटीसी
इस संबंध में आरआरटीसी के सीपीएम पंकज कुमार ने बताया कि बेगमपुल चौराहे पर खुदाई का कार्य उनके सीपीआरओ देख रहे हैं। जहां तक स्टेशन पर आने वाले वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था है तो इसके संबंध में कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है। विस्तार से जानकारी सीपीआरओ के पास से संभव है।
रैपिड रेल: रोडवेज वर्कशॉप हैंडओवर, चलेगा काम
रैपिड रेल प्रोजेक्ट के सामने जो रुकावट पैदा हुई थी, वो खत्म हो रही है। भैंसाली रोडवेज वर्कशॉप एनसीआरटीसी को हैंडओवर हो गयी है। यहां कुछ मकान भी बने थे, जिसमें कर्मचारियों के परिवारों का रहना-सहना था। उन्हें अलग शिफ्ट कर दिया गया है।
रोडवेज वर्कशॉप में जल्द ही काम चालू किया जाएगा, ऐसा एनसीआरटीसी के अधिकारियों का दावा है। रैपिड रेल का फुटबाल चौराहे को सेंट्रल स्टेशन बनाया जा रहा है। यहां से आगे भैंसाली डिपो की वर्कशॉप पर भी स्टेशन बनेगा, लेकिन यह स्टेशन मेट्रो का होगा।
वर्कशॉप की जमीन में चार लाइन का स्टेशन बनाया जाएगा। क्योंकि यहां पर आवागमन में आरआरटीएस को दिक्कत नहीं होगी। प्रत्येक पांच मिनट के अंतर पर मेट्रो व आरआरटीएस ट्रैक पर दौड़ेगी, इसी को लेकर चार लाइन का ट्रैक तैयार किया जाएगा।
प्रोजेक्ट मैनेजर पंकज त्यागी ने भी इस बात पर हर्ष व्यक्त किया है कि रोडवेज वर्कशॉप उनके हैंडओवर हो गया हैं, जिसके चलते जल्द काम चालू होगा। क्योंकि इसमें मंडलायुक्त अनीता सी मेश्राम व रोडवेज विभाग के आला अफसरों ने भी अच्छी भूमिका निभाई है।
अधिकारियों ने बार-बार इसी को लेकर बैठक की तथा लखनऊ तक बातचीत की, जिसके बाद ही रोडवेज वर्कशॉप वर्तमान में आरआरटीएस के हवाले हो गई है, जिसमें उम्मीद की जा रही है। इसी सप्ताह से काम चालू कर दिया जाएगा। वैसे तो मिट्टी की जांच रिपोर्ट पहले ही आ चुकी हैं, लेकिन उससे आगे की प्रक्रिया फिर चलाई जाएगी।
नीचे ट्रेन दौड़ेगी, ऊपर ट्रैफिक चलेगा
आरआरटीएस के लिए जो ट्रेन तैयार किया जा रहा है, उसमें नवीनतम तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। यह तकनीकी विदेशी हो सकती है, लेकिन इंजीनियर व कंपनी स्वदेशी है। प्रोजेक्ट मैनेजर पंकज त्यागी के अनुसार नीचे ट्रैन दौड़ेगी तथा उसके ऊपर शहर का ट्रैफिक वैसे ही चलेगा, जैसे पहले चलता था। यह भी किसी को पता नहीं चलेगा कि भूमिगत ट्रैन जा रही रही है।
इसकी आहट भी महसूस नहीं होगी। ऊपर लिंटर इस तरह से डाला जाता है, जिसके ऊपर तारकोल की सड़क बना दी जाती है। उस लेंटर पर कितना भी माल लदा हुआ ट्रक गुजर सकता है, लेकिन लिंटर पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
100 वर्ष है निर्माण की आयु
जो निर्माण आरआरटीएस के इंजीनियर करा रहे हैं, इसकी आयु सिर्फ 100 वर्ष है। इसके बाद इसकी मरम्मत करनी होगी। फिर निर्माण की जांच होगी कि आखिर कितनी ताकत निर्माण में बची है। इसके बाद ही निर्माण पर कार्य चलता रहेगा। जो निर्माण आयु पूरी कर चुका होगा, उसे निकालकर नया निर्माण किया जाएगा। इस तरह से निर्माण की गुणवत्ता पर वर्तमान में भी बहुत ज्यादा इंजीनियरों ने फोकस कर रखा है। प्राइवेट लैब पर भी कोई भरोसा नहीं है।