जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो योगेश त्यागी को पद पर रहने के दौरान आरोप और शिकायतों के चलते उन पर जांच बैठा दी गई है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने भी प्रो त्यागी के कुलपति के रूप में पांच साल के कार्यकाल में लगे आरोपों की जांच करवाने के लिए समिति गठित करने को मंजूरी दे दी है।
कमेटी गठित होने के बाद मंत्रालय ने कुलपति प्रो त्यागी को छुट्टी पर भेजने की सिफारिश की थी। इसके बाद राष्ट्रपति ने बुधवार को वीसी को निलंबित कर दिया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक दिल्ली विश्वविद्यालय कुलपति प्रो योगेश त्यागी पर कुलपति पद पर रहने के दौरान कई आरोप और शिकायतें मिली हैं।
इसमें कुलपति पद पर रहने के दौरान अनियमितता, भ्रष्टाचार आदि की शिकायतें शामिल की थी। मंत्रालय की ओर से गठित समिति इन्हीं शिकायतों की जांच करेगी। इसके अलावा प्रो त्यागी के पांच साल के कार्यकाल के कार्यों की भी समीक्षा होगी।
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार प्रोफेसर त्यागी को फरवरी 2016 में नियुक्त किया गया था। विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में वो विफल रहे थे। इसमें कई प्रमुख पदों पर नियुक्तियां शामिल थीं, जो लंबे समय से खाली थीं।
प्रो वाइस चांसलर का पद जो कुलपति की सहायता करता है और अपनी अनुपस्थिति में बाद के काम को संभालता है। ये जून 2016 से जून 2020 तक खाली था। जिसे प्रशासन की ओर से भरा गया था। रजिस्ट्रार का पद मार्च से अक्टूबर 2020 तक खाली ही रहा।
साल 2016 के बाद से डीयू के पास परीक्षा नियंत्रक नहीं हैं। इसके अलावा वित्त अधिकारी और कोषाध्यक्ष का पद मार्च 2020 से रिक्त है। इसके अलावा कॉलेजों के डीन, साउथ कैंपस के डायरेक्टर और कॉलेज प्रिंसिपल जैसे पद खाली पड़े हैं।
प्रो योगेश त्यागी का वीसी के रूप में कार्यकाल 15 मार्च 2021 को खत्म हो रहा है। मंत्रालय के केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में नए भर्ती नियमों के अनुसार पद रिक्त होने और रिटायरमेंट के 6 महीने पहले ही खाली पद को भरने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। इसी के तहत नवंबर में मंत्रालय दिल्ली विश्वविद्यालय के नए कुलपति पद की तलाश की तैयारी शुरू कर देगा।
अब तक छह केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की मंत्रालय ने पिछले छह साल में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, विश्व भारती व पांडेचेरी विश्वविद्यालय की समिति से जांच करवाई गई।
इन सभी पर कामकाज और विश्वविद्यालय को आर्थिक व अकादमिक रूप से नुकसान, अनियमितता, भ्रष्टाचार की शिकायतें थीं। इनमें से विश्व भारती, पुडुचेरी की महिला कुलपति, बीएचयू, इलाहाबाद गढ़वाल यूनिवर्सिटी के कुलपति को हटाने की सिफारिश को आरोप साबित होने के बाद राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दी।