- दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर पर इस आधुनिक तकनीक का यह पांचवां पड़ाव
- स्टील के बड़े बीम का प्रयोग आश्चर्यजनक, 450 टन वजनी है यह स्पेशल गर्डर स्पैन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: जब देश की पहली रैपिड टेÑेन आधुनिकता के ट्रैक पर सरपट दौड़ेगी तो जाहिर बात है कि इसकी निर्माण प्रक्रिया भी बेहद आधुनिक होगी। जिन स्थानों पर रैपिड प्रोजेक्ट में कुछ बाधाएं आ रही हैं तो उन्हें तकनीक के आधार पर हल किया जा रहा है। इस प्रकार के प्रोजेक्ट में जब कुछ जटिल क्षेत्रों (जैसे कि नदियों, पुलोें, रेलवे क्रॉसिंग, मेट्रो कॉरिडोर या एक्सप्रेसवे) से निर्माण प्रक्रिया गुजरती है तो वहां अधिकतर इसी तरह स्टील स्पैन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
दिल्ली मेरठ के 82 किमी लम्बे कॉरिडोर में यह पांचवा पड़ाव है जब स्टील स्पैन टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। रैपिड के मोदीनगर में चल रहे निर्माण कार्यों के अन्तर्गत दो स्टील स्पैन बनाए जा रहे हैं। पहला स्पैन मोदीनगर से मेरठ की ओर 50 फुट चौड़े नाले पर पर बन रहा है जो कि 54 मीटर चौड़ा व 450 टन वजनी स्पेशल गर्डर स्पैन है।
आमतौर पर आरआरटीएस वायाडक्ट में स्टील स्पैन की लम्बाई 34 मीटर होती है, लेकिन यहां स्टील स्पैन 54 मीटर लम्बा है। दूसरा स्पैन मोदीनगर में ही सिंचाई विभाग के बंबे पर बनाया जा रहा है। यह बंबा 10 मीटर चौड़ा है। इस बंबे को पार करने के लिए यहां बंबे के दोनों ओर एक एक पोर्टल पियर बनाकर 50 मीटर लम्बा और 400 टन का स्पेशल स्टील स्पैन स्थापित किया जाएगा। खास बात यह कि इस स्पैन पर रैपिड रेल बंबे को ग्राउंड लेवल से 14 मीटर की ऊंचाई पर पार करेगी।
क्या है स्टील स्पैन?
दरअसल, यह विशेष स्टील स्पैन विशाल संरचनाएं होती हैं, जिनमें संरचनात्मक स्टील से बने बीम होते हैं। एनसीआरटीसी स्ट्रक्चरल स्टील से बने विशेष इन स्पैन के विभिन्न पाटर््स का निर्माण कारखानों में करता है। किसी भी तरह की ट्रैफिक समस्याओं से बचने के लिए भी इन पाटर््स को रात के समय साइट पर लाया जाता है
और विशेष प्रक्रिया की मदद से व्यवस्थित तरीके से आपस में जोड़कर स्पैन का निर्माण साइट पर ही किया जाता है। अब तक दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर पर मोदीनगर सहित कुल पांच स्पेशल स्टील स्पैन स्थापित किए जा चुके हैं। इनमें एक वसुन्धरा, एक गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के पास, दो दुहाई डिपो की ओर व मोदीनगर में स्थापित किए जा रहे हैं।