- 12 सड़कों के टेंडरों में आधे में डाले गये आधे में नहीं डाले गए
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: महापौर हरिकांत अहलूवालिया का शहर में व्हाइट टॉइपिंग सड़कों के निर्माण का सपना रीटेंडरों में भी अधर में लटक गया। पहली बार खोले गये व्हाइट टॉइपिंग सड़कों के निर्माण के लिए खोले गए टेंडरों में एक भी टेंडर नहीं डाला जा सका था। जबकि दूसरी बार रीटेंडर डाले गए तो उसमें 12 सड़कों के टेंडरों में आधे में ही टेंडर प्राप्त हुए आधे टेंडर नहीं डाले जा सके।
जिनमें टेंडर डाले गये उनमें किसी में हैसियत तो किसी में चरित्र प्रमाण पत्र या अन्य टेंडर की शर्तों को पूरा करने वाले प्रमाण पत्र संलग्न नहीं मिले, जिसके चलते वह टेंडर भी अधर में लटक गए। अब निगम के निर्माण विभाग द्वारा तीसरी बार रीटेंडर खोले जाने की तैयारी की जा रही है।
नगर निगम की ट्रिपल इंजन सरकार एवं अपनी महापौर की दूसरी पारी में महापौर के द्वारा शहर में चहुंमुखी विकास की योजना में शहर की सड़कों को व्हाइट टॉइपिंग निर्माण कराने की है। जिसमें उनके द्वारा पहले तो काफी संख्या में व्हाइट टॉइपिंग सड़क निर्माण कराने की थी, लेकिन शहर की अधिकतर सड़कों में फाइल लाइन के फटने व लीकेज की समस्या को देखते हुए 12 सड़कों का पहली बार व्हाइट टॉइपिंग तरीके से निर्माण कराने की बात बोर्ड बैठक में कही गई।
जिसके बाद निर्माण शहर में निर्माण विभाग में कार्य करने वाले स्थानीय ठेकेदारों के द्वारा गुपचुप तरीके से व्हाइट टॉइपिंग सड़कों का विरोध शुरू किया गया। जिस तकनीक से व्हाइट टॉइपिंग सड़कों का निर्माण कराया जाना है,उस तरह की मशीनें एवं तकनीक स्थानीय ठेकेदारों के पास नहीं है। उधर, कुछ स्थानीय ठेकेदारों के द्वारा व्हाइट टॉइपिंग सड़कों का निर्माण न हो उसके लिए कोर्ट तक चले जाने की बात भी कही।
जिसकी चर्चा के जोर पकड़ते ही व्हाइट टॉइपिंग सड़क निर्माण के लिए पहली बार जो टेंडर खोले गए उसका असर साफ दिखाई दिया। पहली बार खोले गए टेंडरों में नाली एवं नाला के साथ सड़क निर्माण के लिए भी आधे टेंडर खोले जा सके, जबकि आधों में मानक पूरे नहीं थे वह अधर में लटक गए। वहीं व्हाइट टॉइपिंग सड़क निर्माण के लिए एक भी टेंडर नहीं आया। जिसके बाद निगम के अधिकारियों ने दोबारा से व्हाइट टॉइपिंग सड़क निर्माण के लिए रीटेंडर कर दिया।
जिसमें वह रीटेंडर मंगलवार 26 सितंबर को खोला गया तो उसमेें 12 में से आधों में ही टेंडर डाले गए,ओर आधों में एक भी टेंडर नहीं आ सका। जिनमें टेंडर आए भी तो किसी में हैसियत तो किसी में चरित्र प्रमाण पत्र आदि संलग्न नहीं था। जिसके चलते दूसरी बार भी एक भी व्हाइट टॉइपिंग सड़क का टेंडर नहीं खोला जा सका। फिलहाल महापौर का शहर में पहली बार व्हाइट टॉइपिंग सड़क निर्माण को जो सपना है,
उसे पूरा करने में टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं होने के चलते अधर में लटक गया है। इस संबंध में निर्माण विभाग के मुख्य निर्माण अधिशासी अभियंता देवेंद्र यादव से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होेंने कॉल रिसीव नहीं की। वहीं मुख्य निर्माण लिपिक प्रदीप जोशी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि 12 व्हाइट टॉइपिंग सड़कों के टेंडरों में आधे में ही आने की जानकारी मिली, लेकिन इस मामले में पूरी जानकारी निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ही दे सकते हैं।