- रात होते ही थाने के गेट पर लटक जाता है ताला, महिला पुलिसकर्मियों में बैठा खौफ
- महिला पुलिस को लगता है डर, महिला थाने की सुरक्षा रामभरोसे
- पुलिस स्टॉफ शाम ढलते ही हो जाता है असुरक्षित
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सूबे के मुख्यमंत्री का यह कहना कि अब यूपी गुंडा माफिया भय मुक्त प्रदेश बन गया है। अब यहां कानून का राज है। महिलाएं या लड़कियां खुलकर कहीं भी आ जा सकती हैं। आम महिलाओं की सुरक्षा के लिए गठित वीमेन पावर लाइन 1090 से लेकर यूपी पुलिस की हेल्पलाइन 112 शुरू करने के बाद भी अब यूपी महिला पुलिस अपनी सुरक्षा के लिए चिंतित है।
हम बात करें उस महिला थाने की जहां शाम ढलते ही महिला पुलिसकर्मी डर के मारे खुद को थाने में कैद कर लेती है। बल्कि अपनी सुरक्षा को लेकर महिला थाने के गेट पर ताला डालकर खुद को महफूज कर लेती हैं। महिला थाने की सुरक्षा अब रामभरोसे हो गई।
महिलाओं के लिए थाना सिविल लाइन क्षेत्र में महिला थाना बनाया गया है, लेकिन शाम ढलते ही इस महिला थाने पर तैनात महिला पुलिस कर्मियां रात होते ही डरने लगती हैं। रात के 10 बजते ही वे खुद को सुरक्षित होने के लिए थाने के अंदर से ताला डालकर अंदर बंद हो जाती हैं। महिला पुलिसकर्मियों को अपनी सुरक्षा को लेकर जहां पर ताला डालकर यह कह दिया जाता है कि हमें रात के समय डर लगता है।
इसलिए हम थाने पर ताला लगाकर अंदर से बंद कर लेते हैं। आम महिलाओं की सुरक्षा का जिम्मा संभाले यह महिला थाना रात होते ही बंद हो जाता है। अगर कोई महिला रात को अपनी फरियाद लेकर इस थाने पर आती है तो उसे ताला लगा मिलेगा। आखिर महिलाओं की सुरक्षा के लिए बना महिला थाना अपनी महिला पुलिसकर्मियों के लिए ही सुरक्षित नहीं तो आम महिलाओं की सुरक्षा का क्या होगा।
देवपुरी की महिला पहुंची तो थाने पर लगा मिला था ताला
देवपुरी की एक महिला शुक्रवार की रात 12 बजे अपनी सुरक्षा को लेकर महिला थाने पर पहुंची थी, लेकिन थाने पर ताला लगा देखा तो वह चिल्लाने लगी, लेकिन थाने के अंदर से कोई सुनवाई को बाहर निकलकर नहीं आया। आखिर महिला को वापस लौटना पड़ा और शनिवार को एसएसपी के यहां शिकायत की।
ऐसा है ये महिला थाना है। रात को ताला लगाने का नियम नहीं है महिला थाने में पुरुष की डयूटी नहीं लगती। रात 11 बजे के बाद पुलिस अफसर भी नहीं आते हैं। बस यूं ही डर बना रहता है। -आरती गौड़, महिला थाना, कार्यवाहक प्रभारी