- हाल-ए-शिक्षा: स्कूल में सात साल से पढ़ाने नहीं आये शिक्षक
- नंगली आजमाबाद में नियुक्त शिक्षक पिछले सात सालों से नहीं गये पढ़ाने
- बीआरसी रजपुरा में अटैच शिक्षक की शिकायत की है ग्राम प्रधान ने
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सरकारी विद्यालय महकमे के फरमान की, नाफरमानी कर रहे हैं। जहां सरकारी विद्यालयों में शिक्षा राम भरोसे है, स्कूलों में पहले से ही छात्रों की कमी है। इसके बावजूद जितने छात्र पढ़ने आते हैं। वह भी अच्छी शिक्षा पाने के लिए तरस रहे हैं। बीआरसी रजपुरा में अटैच शिक्षक तो पिछले सात सालों से स्कूल पढ़ाने गये ही नहीं है।
बुधवार को नंगली आजमाबाद गांव स्थित उच्च प्राथामिक विद्यालय का दौरा करने पर यह बात साफ हो गई कि यहां पर नियुक्त सहायक अध्यापक विशाल गुप्ता पिछले सात सालों से स्कूल में पढ़ाने गये ही नहीं। स्कूल के रजिस्टर में उसको बीएसए कार्यालय में अटैच दिखाया गया है। इस समय स्कूल में कुल 31 छात्र है जिनमें कक्षा छह में 13 छात्र, कक्षा सातवीं में 11 व कक्षा आठवीं में सातवीं छात्र है।
इन छात्रों को गणित पढ़ाने के लिए विशाल गुप्ता की नियुक्ति है, लेकिन वह 2015 से नियुक्ति होने के बाद भी शिक्षक विशाल छात्रों को पढ़ाने नहीं गये हैं। इनकी शिकायत ग्राम प्रधान जगत सिंह ने बीएसए से लेकर शासन स्तर तक की है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। बताया जा रहा है कि यही शिक्षक इससे पहले 12 सालों तक बीआरसी रजपुरा के ही जूनियर हाईस्कूल ज्ञानपुर में भी रहे, लेकिन वहां पर भी कभी पढ़ाने नहीं गये।
इन शिक्षक की पहुंच विभाग के आलाधिकारियों तक है जिस कारण यह कभी अपने शिक्षण कार्य को अंजाम नहीं देते पाए गये है। यह शिक्षक कंप्यूटर आॅपरेटर का काम बीआरसी रजपुरा में देखते हैं, लेकिन तनख्वाह शिक्षक की ही पा रहे हैं। यानी शिक्षा देने के काम के बदले यह शिक्षक बाबू का काम कर रहे हैं। ऐसे न जाने कितने शिक्षक है, जिनकी नियुक्तियां तो बच्चों को पढ़ाने के लिए हुई है, लेकिन वह विभाग में दूसरे काम कर रहे हैं। यहां गौर करने वाली बात यह है कि शासन स्तर पर किसी भी शिक्षक का अटैचमेंट अब मान्य नहीं है, सभी शिक्षकों को शिक्षण कार्य करना अनिवार्य है, लेकिन यह शिक्षक आज भी शासनादेश की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
रिटायर्ड शिक्षक भी आते हैं स्कूल
नंगली आजमाबाद के उच्च प्राथमिक विद्यालय में महेश चंद नाम के एक ऐसे पूर्व शिक्षक भी लगातार आते हैं, जो 2014 में रिटायर हो चुके हैं। अब इसको लेकर भी तरह तरह की चर्चाएं है कि आखिर रिटायर होने के बाद भी इन्हें विद्यालय में क्यों बुलाया जाता है। यह शिक्षक दौराला के महल गांव के रहने वाले हैं, जो रोज ही 10 किमी दूर से विद्यालय पहुंचते हैं।
विशाल गुप्ता को आधार कार्ड बनाने के लिए बीआरसी रजपुरा में अटैच किया गया है,
लेकिन यह सालों से शिक्षण कार्य क्यों नहीं कर रहे हैं? इसकी जांच कराई जाएगी।
-योगेंद्र कुमार, बीएसए मेरठ