Thursday, April 25, 2024
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तेंदुए को किसान मित्र बता रहे नाकाम वनाधिकारी

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  • मिले शावकों को देखने भड़ौली पहुंचे थे वन अफसर
  • फिशिंग कैट बताकर लौटे ग्रामीणों ने दिखाए तेंदुए के पदचिह्न और फोटो
  • आक्रोशित ग्रामीण बोले किसान मित्र से सर्तकता क्यों

जनवाणी संवाददाता |

किठौर: किठौर के तेंदुआ प्रकरण में वन विभाग की कार्रवाई हास्यास्पद भी है और अफसोसनाक भी। हास्यास्पद इसलिए कि अपनी नाकामी छुपाने और जनाक्रोश दबाने के लिए वनाधिकारियों ने तेंदुआ परिवार को किसान मित्र बताना शुरू कर दिया है। अफसोस ये कि तमाम संसाधनों और वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट टीम की मदद के बावजूद दो माह बीतने पर भी विभाग तेंदुओं को नहीं पकड़ पाया है।

इतना ही नहीं मंगलवार को तेंदुए की पुरानी लोकेशन पर मिले चार शावकों को वनाधिकारी और एक्सपर्ट टीम ने फिशिंग कैट और वहां दिख रहे पदचिह्नों को तेंदुए के बताए। हालांकि पिछले पांच दिन की तरह सोमवार शाम भी दर्जनों किसानों ने एक खेत में तेंदुआ बैठा देखा था। जिसकी ग्रामीणों ने तस्वीर खींच ली।

क्षेत्र के भड़ौली, फतेहपुर, जड़ौदा और असीलपुर के जंगल में पिछले दो महीने से तेंदुआ परिवार साक्षात दिख रहा है। ग्रामीण निरंतर वन विभाग को इसकी सूचना देते हैं। गत महीने लगभग 10 दिन वनाधिकारी तीनों गांवों के जंगलों में तीन पिंजरों, जाल, कैमरा टेप, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट टीम आदि की मदद से इसकी धरपकड़ का प्रयास कर चुके हैं, लेकिन नतीजा सिफर है।

खास बात यह है कि अभियान के दौरान वनकर्मियों की लापरवाही से कई बार तेंदुआ पकड़ में आने से बाल-बाल बचा। निरंतर चल रही घेराबंदी को भांप तेंदुआ परिवार कुछ दिन के लिए भूमिगत हो गया। बहरहाल एक सप्ताह से तेंदुआ परिवार अपनी पुरानी लोकेश भड़ौली के जंगल में ग्रामीणों को फिर से दिख रहा है। सोमवार शाम भड़ौली के ग्रामीणों ने तेंदुआ निवर्तमान ग्राम प्रधान दयाचंद के खेत में देखा। ग्रामीणों ने उसकी फोटो भी खींची।

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मंगलवार को वहां से चंद कदम दूर कुंवरपाल के खेत में चार शावक भी मिले। ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी। जिस पर वनक्षेत्राधिकारी जगन्नाथ कश्यप वाइल्ड लाईफ एक्सपर्ट जीएस खुशारिया को लेकर मौके पर पहुंचे। एक्सपर्ट ने शावक फिशिंग कैट के बताए। जिसके बाद ग्रामीणों ने आसपास पदचिह्न भी दिखाए। जिन्हें टीम तेंदुए के बताकर चली गई।

दूध पिलवाकर वापस भिजवाए शावक

रेंजर जगन्नाथ कश्यप ने बताया कि तेंदुआ बहुत चतुर जानवर है। वह अपने बच्चे में मानव गंध सूंघ लेता है। यदि तेंदुए के शावक को मानव उठाकर ले जाए और पुन: उसी स्थल पर रख दे जहां से उठाकर ले गया था तो मादा तेंदुआ उसमें मानव गंध सूंघ लेती है और पकड़े जाने के भय से उसे दूध नहीं पिलाती। भले की शावक भूख से तड़पकर मर जाए। बच्चे न मिलने पर खूंखार भी हो जाती है। उन्होंने ग्रामीणों द्वारा पकड़े गए शावकों को दूध पिलवाकर वापस उसी स्थल पर रखवाया।

घबराना मत, तेंदुआ किसान मित्र है

तेंदुए की निरंतर मौजूदगी से खौफजदा और वनकर्मियों से झल्लाए ग्रामीणों को शांत करते हुए वन क्षेत्राधिकारी ने कहा कि आप बेवजह भयभीत हैं, तेंदुआ तो किसान मित्र है। यह नीलगाय, अवारा जानवरों से आपके फसलों की सुरक्षा करता है। वनक्षेत्र निकट होने की वजह से यह आसपास के जंगलों में घूमता रहता है। खादर के किसान तो इसे देखकर खुश होते हैं आपने बेवजह हव्वा बना रखा है। इसे देखकर घबराना मत। बस सर्तकता बरतना सामूहिक रूप से जंगल आना लाठी या डंडा लेकर।

यहां दशकों से रहते हैं तेंदुए

वनाधिकारियों ने बताया कि इस जंगल की लोकेशन ऐसी है कि यहां तेंदुए दशकों से रहते हैं, लेकिन किसी व्यक्ति या पालतू जानवर पर हमला नहीं किया होगा। इनके छुपने के लिए यहां पर्याप्त झाड़ियां भी हैं पानी के लिए स्कैप भी। भोजन के लिए जंगली जानवर फिर ये कहां जाएंगे। इस पर प्रधान दयाचंद ने बताया कि दो दिन पूर्व पास के बाग में एक कुत्ता और तीन पिल्लों का शिकार किया है तेंदुए ने।

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