- सात साल में कई बार हुआ ध्वस्तीकरण, लेकिन फिर भी नहीं रुक सकी कालोनी
- माउंट लिट्रा स्कूल के पास विवादित जमीन का प्रकरण
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: गौतमबुद्धनगर में तो अवैध टावर गिरा दिया गया। क्या मेरठ में भी पट्टी की जमीन पर बन गई इमारतों को गिराया जाएगा? पट्टों की जमीन को बेचने वालों पर क्या कार्रवाई की जाएगी? उनका भू-माफिया में चिन्हितकरण किया जाएगा। विवादित कालोनी को राजनीतिक रसूख के चलते प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कड़े रुख के बावजूद सरकार मेंं बसा दिया। हालांकि इस कालोनी को ध्वस्तीकरण करने के लिए पिछले सात वर्षो में सात बार कार्रवाई हुई, लेकिन हर बार रसूख के आगे कार्रवाई बोनी साबित हुई।
इस विवादित जमीन में सपा की सरकार में मेरठ के तत्कालीन जिलाधिकारी पंकज यादव ने एसडीएम सरधना और तहसीलदार सरधना को हटा दिया था, लेकिन सत्ता का परिवर्तन होते ही राजनीतिक रसूख इस कदर हावी हुआ कि जिस जमीन को पट्टों की जमीन घोषित किया गया था। उसी जमीन पर आज कालोनी विकसित कर दी गई है। इस कालोनी को विकसित करने वाले बिल्डर के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सख्ती से कहा गया कि कच्ची और अवैध रूप से कालोनियों को अधिकारी विकसित न होने दे, लेकिन माउंट लिट्रा जी स्कूल के बराबर में लगभग 40 से 50 बीघा विवादित पट्टों की जमीन पर आज पूर्णरूप से कालोनी विकसित कर दी गई है। इस कालोनी को विकसित कराने में सरकार के एक कदावर पूर्व विधायक का नाम प्रकाश में आया था।
हालांकि पूर्व विधायक ने इस कालोनी से अपना पल्ला झाड़ लिया था, लेकिन उसके बाद भी उनका नाम सुर्खियों में रहा। इस कालोनी को दौराला के बिल्डर द्वारा विकसित किया गया। इस कालोनी को जहां सपा सरकार में विकसित नहीं होने दिया। वही सत्ता का उत्तर प्रदेश में परिवर्तन होते ही विकसित कर दी गई। तमाम अधिकारियों और बिल्डरों की निगाहे इस जमीन पर थी, लेकिन इस जमीन की ओर देखना तो दूर किसी ने इस जमीन के आसपास जाने की जरूरत तक नहीं समझी।
बिल्डर के सामने हो जाते थे अधिकारी नतमस्तक
जिस बिल्डर द्वारा यह कालोनी विकसित की गई है। उस बिल्डर के सामने एमडीए से लेकर शासन प्रशासन के सभी अधिकारी नतमस्तक रहते थे। इस कालोनी के ध्वस्तीकरण करने के लिए एक बार एमडीए की टीम पहुंच गई तभी राजनीतिक रसूख के चलते एमडीए टीम के खिलाफ ही उल्टा पल्लवपुरम थाने पर मुकदमा कायम करा दिया गया था। यह बिल्ड़र विवादितों जमीनों से जुड़ा होने के कारण हर बार सुर्खियों में रहता है। इस बिल्डर को सरकार के एक पूर्व विधायक का संरक्षण बताया जा रहा है।
आखिर कब होगी कालोनी पर कार्रवाई?
हाल ही में मुख्यमंत्री योेगी आदित्यनाथ ने मेरठ में अधिकारियों के साथ समीक्षा की थी। जिसमें मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा था कि कच्ची और अवैध कालोनियों को विकसित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तुरंत होनी चाहिए, लेकिन यह कालोनी तो पूर्णरूप से विवादित ही है। पट्टों की जमीन पर कालोनी बसा दी गई है। हालांकि इस कालोनी के ध्वस्तीकरण के आदेश हुए हैं, लेकिन एमडीए अधिकारियों की सांठगांठ के चलते इस कालोनी का ध्वस्तीकरण रुका हुआ है। अब देखना है कि अधिकारी कब इस कालोनी को ध्वस्तीकरण कराते हैं।