- आंकड़ों की बाजीगरी से कोई गठबंधन तो कोई भाजपा प्रत्याशी का विजयी बनाता दिखा
- अधिकतर मान रहे कांटे की टक्कर
जनवाणी संवाददाता |
किठौर: वेस्ट में 11 जिलों की 58 सीटों पर शनिवार को विधानसभ चुनाव निपट गया, मगर चर्चे बरकरार हैं। मेरठ का मुख्य राजनीतिक केंद्र किठौर भी इन चर्चाओं से अछूता नहीं रहा। शुक्रवार सुबह मंद तीखी हवा के साथ खिली धूप में दुकानों पर चाय की चुस्कियों के साथ चुनावी वार्तालाप करते लोगों को देख लगा कि कोहरे और बादलों की आलस्यमयी चादर फेंक पौ फटते ही निकले सूर्यदेव ने इन्हें न्योता देकर चुनावी चर्चा पर बुलाया है। शायद इसलिए साप्ताहिक बंदी में भी बाजार खुला है। देखिए चुनावी चर्चाओं के आंकड़े पेश करती रिपोर्ट…
वैसे तो किठौर में शुक्रवार को साप्ताहिक बंदी रहती है, लेकिन इस बार यहां का माहौल एकदम बदला नजर आया। मंद तीखी हवा के साथ चिलचिलाकर निकली धूप में दुकानें खुलीं। जिन्हें देख एकाएक ऐसा लगा कि सूर्यदेव ने खुशनुमा मौसम तैयार कर लोगों को चुनावी चर्चा पर बुलाया है। बहरहाल लगभग 10 बजे मवाना तिराहे के सामने वेलकम स्वीट कार्नर पर चाय की चुस्कियां ले रहे मारुफ ने गुरुवार को हुए विधानसभा चुनाव का जिक्र छेड़ते हुए कहा कि चुनाव तो हो गया मगर करो महीने भर का इंतजार नतीजे किसके पक्ष में आते हैं।
इस पर डा. बीर सिंह तपाक से बोले कि किसके पक्ष में आएंगे। इसमें भी कोई शक है, गठबंधन प्रत्याशी बंपर वोटों से जीत रहा है। दोनों की बातों में दखलंदाजी कर अफजाल ने मोर्चा संभाला! सुनों, भाजपा प्रत्याशी को भी कमतर मत आंकना टक्कर कांटे की है। फिर यह चौकड़ी जातीय वोटों की आंकड़ेबाजी में व्यस्त हो गई। चंद कदम आगे फव्वरा चौक के पास सहादत के पान के खोखे पर लोग बतियाते दिखे।
यहां चर्चा थी कि बसपा प्रत्याशी किठौर में गुर्जर और दलितों को संभाल नहीं पाया। इस पर बंटी, लईक बोले कि यदि संभाल लेता तो गुर्जर और दलित फूल पर नहीं जाते। पास में खड़े मुर्तजा ने सवाल किया कि दलित और गुर्जर वोट भाजपा को ज्यादा चली गई? पप्पू चौधरी ने तस्दीक किया कि यही तो भाजपा की जीत का आधार है। आगे हापुड़ तिराहे के सामने मुल्लाजी की चाय व लस्सी की दुकान पर चुनावी चर्चाओं का बाजार गर्म था। यहां सिगरेट फूंकते हुए परवेज बोला कि चुनाव हो गया टेंशन खत्म।
हार-जीत एक महीने बाद होगी। तुरंत कलवा ने जवाब दिया कि हार-जीत दिख नहीं रही, गठबंधन जीतेगा। जिस पर पिंटू ने कहा कि जरूरी नहीं गठबंधन जीते हाथी का वोट बैंक भी खिसक गया और सीधा फूल पर जा लगा। गुर्जर भी फूल पर कम नहीं है। जाट भी एक तिहाई फूल खिलाने में लग गया। पास बैठा पिंटू मुस्कराते हुए बोला आपके आंकड़े से तो गठबंधन पर सिर्फ मुस्लिम बचा, ऐसा नहीं है।
किठौर से गठबंधन प्रत्याशी का प्रत्येक जाति बिरादरी में वोट है, उसको हारना मुश्किल है। फौरन जराफत ने कहा कि इसका कोई पता नहीं भाई चुनाव पूरी तरह फंसा हुआ है जाने किस करवट बैठे ऊंट। फिर तमाम लोग आंकड़ों की बाजीगरी में लग गए। बहरहाल किठौर पर कौन बनेगा सिकंदर यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन यदि चर्चाओं पर गौर करें तो यहां भाजपा और गठबंधन प्रत्याशी में कांटे की टक्कर है।