- खटारा वाहन और हॉट मिक्स प्लांट औद्योगिक फैक्ट्रियां लगी शहर के प्रदूषण को बढ़ाने में
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: प्रदूषण धीमे-धीमे फिर से बढ़ने लगा है। बारिश होने से प्रदूषण पर ब्रेक लग गया था, लेकिन फिर से एकाएक प्रदूषण की रफ्तार बढ़ गई है। अगर देखा जाए तो प्रदूषण में सबसे ज्यादा उछाल खराब वाहन और खटारा वाहनों से बढ़ रहा है। इसके अलावा लगातार कंस्ट्रक्शन होना भी इसमें इजाफा कर रहा है। खास बात ये है कि हॉट मिक्स प्लांट और औद्योगिक फैक्ट्री भी प्रदूषण को बढ़ाने में सहायता कर रही है।
महानगर प्रदूषण के बढ़ने में देश में आठवें नंबर पर है। जबकि इस शहर के बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एनजीटी द्वारा भी सख्त रुख दिखाया है। लगातार बारिश होने से शहर का प्रदूषण लेवल कम हो गया था, लेकिन बारिश के बंद होते ही फिर से प्रदूषण का रुख बढ़ने लगा है। इसलिए फिर से यहां के बाशिंदों को सांस लेने में दिक्कत होगी और लोग फिर से बीमारी का शिकार होंगे। इसलिए इसके बढ़ते प्रकोप को रोकना जहां प्रदूषण विभाग की जिम्मेदारी होगी।
कहां-कहां हैं ये प्लांट
हॉट मिक्स प्लांट शामली रोड पर अधिक है। इसके अलावा इंचौली में भी ये प्लांट है। कंकरखेड़ा में भी है। हालांकि इनके खिलाफ कार्रवाई होती है, लेकिन इसके बाद भी इन्हें चलाने वालों के हौसले इतने बुलंद है कि वो कार्रवाई होने से भी बाज नहीं आते और प्लांट का संचालन बदस्तूर जारी रखते हैं।
कैंट में सीवेज प्लांट के बाद भी नालियों में बह रही गंदगी
मेरठ: कैंटोनमेंट एरिया में सीवेज प्लांट होने के बावजूद नालियों में गंदगी बहायी जा रही है, जिससे क्षेत्र में बीमारियों के पैर पसाने का खतरा खड़ा हो गया है। इसकी वजह छावनी क्षेत्र के नागरिकों द्वारा सीवर का कनेक्शन नहीं लेना है। कनेक्शन जारी करने को लेकर छावनी परिषद के अधिकारी भी गंभीर नहीं हैं। छावनी परिषद की बोर्ड बैठक तक में यह मुदद उठा, चर्चा भी हुई। कैंट बोर्ड के अध्यक्ष सब एरिया कमांडर ब्रिगेडियर निखिल देश पांडे ने अधिकारियों को क्षेत्र में सीवर कनेक्शन जारी करने के लिए हर वार्ड में ऐलान कराने और इसके बाद भी कनेक्शन न लेने वालों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अधिकारियों ने कुछ नहीं किया।
छावनी क्षेत्र में शौचालय की गंदगी को नालियों में बहाए जाने की समस्या से निजात दिलाने के लिए छावनी परिषद ने करीब सात करोड़ रुपये की लागत से भैंसाली मैदान में सीवेज प्लांट लगाया था। प्लांट लगाए हुए करीब डेढ़ वर्ष बीत गया, पर क्षेत्र के नागरिकों ने इसके कनेक्शन नहीं लिए। अभी तक लगभग दो सौ लोगों ने सीवर के कनेक्शन लिए। इसका कनेक्शन लेने के लिए करीब चार हजार रुपये का खर्च होता है, लेकिन मात्र चार हजार के खर्च से बचने के लिए लोग इसके कनेक्शन लेने को तैयार नहीं और वे शौचालय की गंदगी को नालियों में बहा रहे हैं।
छावनी क्षेत्र की कुल आबादी के करीब पांच प्रतिशत घरों ने ही सीवर के कनेक्शन लिए। छावनी परिषद की गत दिनों हुई बोर्ड बैठक में कैंट बोर्ड के मनोनीत सभासद डा. सतीश चंद शर्मा ने यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि सात करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो गया, लेकिन गंदगी पूर्व की तरह नालियों में बहायी जा रही है। इससे क्षेत्र में बीमारियां फैलने का खतरा बना हुआ है। उन्होंने लोगों को कनेक्शन देने में कुछ छूट देने का प्रस्ताव रखा था। बोर्ड के अध्यक्ष ब्रिगेडियर निखिल देशपांडे ने मुख्य अधिशासी अधिकारी को हर वार्ड में लोगों को सीवर के कनेक्शन लेने के प्रति जागरूक करने और उन्हें प्रेरित करने के आदेश दिए थे।
उन्होंने कहा था कि जिस उद्देश्य के लिए उक्त प्लांट लगाया गया, वह उद्देश्य पूरा होना चाहिए, लेकिन छावनी परिषद के अधिकारियों ने अभी तक जागरूकता के लिए कोई पहल नहीं की, जिससे समस्या जस की तस बनी है। छावनी परिषद के प्रवक्ता जयपाल तोमर का कहना है कि सीवर के कनेक्शन के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है। उन्हें गंदगी से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जा रहा है तथा उन्हें कनेक्शन लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। बोर्ड बैठक के बाद कुछ लोगों ने सीवर के कनेक्शन लिए हैं।