जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम अफसरों ने अपना बवाल आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना की तरफ मोड़ दिया है। डेयरियों को लेकर जो बवाल चल रहा है, उसमें निगम अफसरों ने डेयरी संचालकों से कह दिया कि वो डेयरियों को हटवाना नहीं चाहते, बल्कि लोकेश खुराना ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसके चलते डेयरियों को मजबूरन हटवाया जा रहा है।
उधर, निगम अफसरों का ये तर्क सुनकर डेयरी संचालक सोमवार को लोकेश खुराना के प्रतिष्ठान पर जा धमके, लेकिन किसी तरह से आरटीआई कार्यकर्ता ने सुझबुझ का परिचय देते हुए खुद को सुरक्षित किया तथा कहा कि कैटल कॉलोनी के लिए याचिका दायर की थी, डेयरी इसके बाद ही हटायी जानी चाहिए।
दरअसल, नगर निगम ने मकबरा डिग्गी व माधवपुरम से डेयरियों को हटवाया है। इसके बाद डेयरी संचालक ज्यादा आक्रामक हो गए हैं।
क्योंकि मकबरा पर रविवार को बवाल बवाल होते-होते टल गया। क्योंकि फोर्स इतनी अधिक तैनात कर दी गई थी, जिसके चलते डेयरी संचालकों का विरोध ज्यादा देर नहीं चला।
10 हजार के जुर्माना लगाने के लिए हाईकोर्ट में चुनौती
मेरठ नगर निगम ने गजट जारी कर प्रत्येक डेयरी पर प्रतिदिन 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाना शुरू कर दिया है। इसके खिलाफ आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी है।
अब इस पर अगले सप्ताह सुनवाई की जाएगी। इसमें कहा गया है कि गजट प्रदेश के राज्यपाल जारी करते हैं, लेकिन नगर निगम ने प्रस्ताव तैयार कराया और शासन स्तर से आदेश करा लिया। इस तरह से प्रतिदिन 10 हजार रुपये का जुर्माना नगर निगम डेयरी संचालकों पर लगा रही है।
इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने। उनका कहना है कि अगले सप्ताह इसमें सुनवाई की जाएगी। नगर निगम ने जुर्माना लगाने का जो आदेश जारी किया है, वह गलत है।
इस तरह का आदेश पहले प्रदेश के राज्यपाल गजट जारी करने के बाद ही किया जाता था, लेकिन नगर निगम ने खुद प्रस्ताव तैयार कराया और फिर जुर्माना लगा दिया।
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