- एईआरबी (एटॉमिक एनर्जी रैग्युलेटरी बोर्ड) से लेना होता है विकिरण नियंत्रण लाइसेंस
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: इसे मेडिकल प्रशासन की लापरवाही कहें या मजबूरी…? पिछले छह साल से मेडिकल में एईआरबी से बिना लाइसेंस लिए ही एक्सरे व सीटी स्कैन किए जा रहे हैं, जबकि इन दोनों प्रक्रियाओं में मशीनों से निकलने वाला विकिरण इंसानी शरीर के लिए काफी घातक होता है। ऐसे में मशीन को इस्तेमाल करने से लेकर उसके द्वारा उत्सर्जित की जाने वाली विकिरणों का रिकार्ड एईआरबी को भेजा जाता है,
जिसके बाद वहां से मानक पूरे होने की संतुष्टि के बाद लाइसेंस जारी या रिन्यू किया जाता है, लेकिन मेडिकल में 2016 से तत्कालीन आरएसओ (रेडियेशन सेफ्टी आॅफिसर) की लापरवाही से बिना लाइसेंस के ही रेडियेशन उत्सर्जित करने वाली मशीने चलाई जा रही हैं। अब नए आरएसओ ने लाइसेंस प्रक्रिया आरंभ की है, जिसके पूरा होते ही लाइसेंस रिन्यू हो जाएगा।
नए आरएसओ ने संभाला चार्ज
मेडिकल के रेडियोलॉजी विभाग में अब नए रेडियेशन सेफ्टी आॅफिसर (आरएसओ) के रूप में डा. अजय कुमार श्रीवास्तव ने चार्ज संभाला है। मेडिकल के रेडियोलॉजी विभाग में 2014 से एक्स-रे व सीटी स्कैन की मशीने चल रहीं है। लेकिन उनका लाइसेंस 2016 से रिन्यू नहीं हुआ है। नए आरएसओ ने सबसे पहले विभाग के लिए लाइसेंस रिन्यू कराने की प्रक्रिया आरंभ की है, जिसके बाद जल्द ही एईआरबी से लाइसेंस रिन्यूवल हो जाएगा।
मेडिकल रेडियोलॉजी विभाग में है इतनी मशीनें
मेडिकल के रेडियोलॉजी विभाग में कुल 13 मशीनें है, इनमें से सात मशीन एक्स-रे जबकि एक मशीन एमआरआई, एक सीटी स्कैन व एक अल्ट्रासाऊंड की मशीन है। लेकिन इनमें से केवल एक्स-रे व सीटी स्कैन वाली मशीने ही रेडियेशन उत्सर्जित करती है। यानी 13 में से आठ मशीने है जो रेडियेशन फैलाती है। जबकि एमआरआई मशीन मेगनेटिक व अल्ट्रासाऊंड मशीन आवाज प्रणाली पर काम करती है। ऐसे में रेडियेशन उत्सर्जन से ही इंसानों को खतरा होता है।
हर साल होती है रेडियेशन की गणना
एक्स-रे व सीटी स्कैन मशीन से निकलने वाले रेडियेशन के लिए तय मानक है। इनमें कोई भी इंसान इन मशीनों के आसपास कितने समय रहा, उसके शरीर में कितना रेडियेशन पहुंच चुका है, जिस कमरे में मशीने लगी है उनकी दिवार की मोटाई कितनी है, मरीजों के इन मशीनों से बैठने की दूरी का पालन आदि की हर साल गणना होती है। इसके बाद यह रिपोर्ट एटॉमिक एनर्जी रेग्यूलेटरी बोर्ड मुुुंबई को भेजी जाती है।
एईआरबी जब मानकों का सही आंकलन कर लेता है तभी वह लाइसेंस जारी या रिन्यूवल करता है। इसकी निगरानी करने के लिए विभाग में आरएसओ (रेडियो सेफ्टी आॅफिसर) की नियुक्ति होती है। लेकिन 2016 से लाइसेंस रिन्यू नहीं हुआ है और मानकों की गणना तो की जा रही है लेकिन लाइसेंस रिन्यू हुए बिना ही मशीनों को चलाया जा रहा है जो काफी खतरनाक है।
रेडियोलॉजी विभाग में कुल आठ मशीने है जिनसे विकिरण होता है। लेकिन मरीजों की जरूरत के मुताबिक इन्हें चलाया जा रहा है। नए आरएसओ ने चार्ज संभालते ही सबसे पहले इन मशीनों के लाइसेंस रिन्यूवल की प्रक्रिया आरंभ की है जिसका जल्द ही परिणाम सामनें आएगा। -डा. वीडी पांड्ेय, मीडिया प्रभारी मेडिकल कॉलेज, मेरठ।