Home संवाद समय चक्र

समय चक्र

0
समय चक्र

Amritvani 21

समय का पहिया घूमते घूमते काल चक्र के चौथे युग, कलियुग तक आ पहुंचा, जिसे कलह-क्लेश का युग भी कहा गया। शास्त्रों में इसके लिए कथा प्रसिद्ध है कि जब कलियुग आया तो राजा परीक्षित का राज्य चल रहा था। कलियुग के दस्तक देने पर राजा परीक्षित ने पूछा- कौन? कलियुग ने जवाब दिया, मैं कलियुग हूं, थोड़ा सा स्थान आपके राज्य में चाहता हूं। राजा ने इनकार किया कि मेरे राज्य में तुम्हारे लिए कोई स्थान नहीं है। कलियुग बोला, मेरा समय आ चुका है, अब मुझे आना ही होगा। इसलिए मुझे स्थान दो। तब राजा परीक्षित ने चार स्थान उसे आने के लिए बताए। बोले, आप शराब खानों में, जुआ खानों में, वैश्यालयों में और कसाई खाने में अपना स्थान बना सकते हो। वहीं तक सीमित रहना बाहर मत आना। तब कलियुग बोला मेरा परिवार बहुत बड़ा है, एक और स्थान मुझे दीजिए। राजा परीक्षित बोले ठीक है, पांचवा स्थान स्वर्ण में प्रवेश कर सकते हो। सुनते ही कलियुग ने राजा के सिर पर रखे हुए स्वर्ण मुकुट में प्रवेश कर लिया और उनके दिमाग को घुमाते हुए अपनी लीला शुरू कर दी। आज इसी स्वर्ण में अपना स्थान लेकर वह घर-घर में अपना स्थान बना चुका है और अपने स्वभाव का रंग दिखा रहा है। आज कलियुग में इन्हीं पांच स्थानों पर हर घर में कलह-क्लेश होने लगा है। संदेश-स्वास्तिका के चित्र का बायां हाथ ऊपर को उठा हुआ इसी बात का प्रतीक है कि कलियुग में अधर्म हर प्रकार से अपनी चरम सीमा को प्राप्त करता है। कलियुग के दौरान अति धर्म भ्रष्ट, अति कर्म भ्रष्ट, अति अत्याचार, अति पापाचार, अति दुराचार यानी हर प्रकार की अति हो जाती है। इसी युग को दूसरे शब्द में रावण राज्य भी कहा जाता है, तभी तो इस युग में सभी राम राज्य के सपने देखते हैं।

janwani address 5

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here