नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून को रखा जाएगा, जबकि पारण 7 जून को किया जाएगा। यह व्रत धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्व रखता है और इसे साल की सभी एकादशियों का फल एक साथ प्राप्त करने वाला उपवास माना जाता है। यह उपवास ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन व्रती जल और अन्न दोनों का पूर्णतः त्याग करते हैं और केवल ईश्वर की भक्ति तथा आत्मसंयम के बल पर दिन व्यतीत करते हैं। इसी कारण इसे ‘निर्जला’ यानी बिना जल का एकादशी व्रत कहा जाता है, और यह अन्य सभी व्रतों की तुलना में सबसे कठिन माना जाता है।
तिथि
इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 6 जून 2025 को रात 2 बजकर 15 मिनट पर आरंभ हो रही है। इसका समापन 7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगा। ऐसे में निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून 2025 यानी आज रखा जाएगा। इस दिन हस्त नक्षत्र बन रहा है, जो सुबह 6 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इसपर व्यतिपात योग का संयोग भी बना रहेगा।
इस बार एकादशी की तिथि करीब 24 घंटे से अधिक तक बनी रहेगी और दोनों ही दिन उदया तिथि का संयोग बन रहा है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब एकादशी दो तिथियों पर आती है, तो गृहस्थ जनों को पहले दिन व्रत रखना चाहिए, जबकि जो लोग संन्यास मार्ग पर हैं या मोक्ष की कामना रखते हैं, वे 7 जून को एकादशी का व्रत रख सकते हैं।
पारण समय
पहले दिन व्रत रखने वाले लोग 7 जून 2025 को व्रत पारण दोपहर 1:44 बजे से शाम 4:31 बजे के बीच कर सकते हैं।
दूसरे दिन व्रत रखने वाले 8 जून 2025 को सुबह 5:23 बजे से 7:17 बजे के बीच उपवास का पारण करें।
व्रत के दौरान जल ग्रहण का समय
जो श्रद्धालु 6 जून को उपवास करेंगे, उन्हें सूर्योदय से पहले यानी 05:23 बजे से पहले जल ग्रहण कर लेना चाहिए। व्रत के दौरान जल का सेवन वर्जित है। इसके बाद अगले दिन यानी 7 जून को हरि वासर के बाद दोपहर 01:44 से शाम 04:31 बजे के बीच ही जल पीना उचित रहेगा।
6 जून 2025 शुभ मुहूर्त और योग
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:02 बजे से 04:42 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:52 AM से दोपहर 12:48 बजे तक
रवि योग- सुबह 05:23 बजे से 06:34 बजे तक
राहुकाल- सुबह 10:36 बजे से दोपहर 12:20 बजे तक (अशुभ समय)
7 जून 2025 शुभ मुहूर्त और योग
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:02 बजे से 04:42 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त- दिन के 11:52 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक
द्विपुष्कर योग- सुबह 05:23 बजे से 09:40 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग- 7 जून को सुबह 09:40 बजे से 8 जून सुबह 05:23 बजे तक
राहुकाल- सुबह 08:51 बजे से 10:36 बजे तक (अशुभ समय)
निर्जला एकादशी पूजा विधि
- निर्जला एकादशी के दिन सुबह ही ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें।
- आप इस दिन साफ वस्त्रों को धारण करें और यदि संभव हो, तो पीले रंग के कपड़े पहनें।
- अब एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति रखें। भगवान को वस्त्र अर्पित करें। फूल, मिठाई, फल चढ़ाएं।
- अब शुद्ध देसी घी से दीप जला लें। इसके बाद भगवान विष्णु का स्मरण करें।
- मंत्रों का जप करें और निर्जला एकादशी व्रत कथा पढ़ें। अंत में प्रभु की आरती करें।
- ध्यान रखें कि यह निर्जला एकादशी है, इसलिए पूरे दिन पानी ग्रहण न करें।
व्रत के नियम
- पारण के समय केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
- प्याज-लहसुन जैसे तामसिक खाद्य पदार्थों का परहेज करें।
- पूजा के दौरान शुद्धता और नियमों का विशेष ध्यान रखें।
निर्जला एकादशी पर करें ये उपाय
- निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी पत्र अर्पित करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को श्रीफल (नारियल) अर्पित करें और फिर इसे किसी जरूरतमंद को दान करें।
- इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
- निर्जला एकादशी पर अन्न, जल, वस्त्र और छाता का दान करें। यह उपाय स्वास्थ्य समस्याओं को भी कम करता है।