Wednesday, January 22, 2025
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ढाई दशक बीते, फिर भी जमीन पर कब्जा नहीं

  • शताब्दीनगर योजना: आवंटी कर रहे हैं ठगा महसूस

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: ढाई दशक…बड़ा समय होता हैं, लेकिन मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) के लिए शायद यह कम समय हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं प्राधिकरण की शताब्दीनगर योजना की। जो ढाई दशक पहले प्राधिकरण ने आवंटियों को घर का ख्वाब दिखाते हुए लॉच की थी। भोली-भाली जनता ने अपनी जिंदगी की गाढ़ी कमाई एमडीए को देकर प्लाट आवंटी करा लिये गए थे, लेकिन ढाई दशक बाद यह सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे कि एमडीए आवंटियों को प्लाट पर कब्जा नहीं दे पाया हैं।

यही नहीं, इससे भी बड़ी बात यह है कि जिस आवंटी ने ढाई दशक पहले एमडीए को 20 लाख रुपये जमा कराये थे, उन्हें उनकी जमा कराई गई मूल धनराशि में भी दो प्रतिशत की कटौती करते हुए धनराशि वापस की जा रही है। कटौती के साथ धनराशि वापस लेना भी इतना आसान नहीं है। देखिये, आवंटियों के साथ कितना बड़ा धोखा किया गया है। अब आवंटियों से कहा जा रहा है कि अधिग्रहण की गई जमीन पर किसान कब्जा नहीं दे रहे हैं, जिसके चलते जमा कराई गयी धनराशि वापस की जा रही है।

बड़ा सवाल यह है कि यदि आवंटी ने इतनी बड़ी रकम प्राइवेट बिल्डर से प्लाट लेकर लगाई होती तो ढाई दशक बाद प्राइवेट बिल्डर के यहां प्लाट की कीमत डबल से ज्यादा हो गई होती। इसलिए आवंटी अब खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। आवंटियों को अन्य योजना में भी प्लाट नहीं दिये जा रहे हैं। आखिर इसमें आवंटी की क्या गलती है जो उसे सजा दी जा रही है। कई मामले इस तरह से ‘रेरा’ में भी पहुंच गए हैं। इसके बाद ही एमडीए आवंटियों को उनकी धनराशि दो प्रतिशत की कटौती के साथ वापस की जा रही है।

बड़ा सवाल यह भी है कि ढाई दशक के दौरान किसानों से जमीन लेने के लिए एमडीए कोई ठोस रणनीति क्यों नहीं बना पाया? वर्तमान में 200 एकड़ जमीन पर किसान खेती कर रहे हैं, जो एमडीए ने आवंटियों को आवंटित कर धनराशि जमा कर रखी है। किसानों की मांग है कि नयी जमीन अधिग्रहण नीति के तहत उन्हें मुआवजा दिया जाए, जिसके बाद ही किसान जमीन पर कब्जा देने के लिए सहमत हैं।

इस शर्त पर एमडीए तैयार नहीं हैं। इस तरह से ढाई दशक से एमडीए व किसानों के बीच तलवारे खींची हुई हैं, जिसका खामियाजा आवंटी उठा रहे हैं। किसान जमीन से कब्जा नहीं छोड़ रहे हैं। एमडीए के अधिकारी भी अब चुप्पी साधकर बैठ गए हैं। इस दिशा में पहले किसानों से मीटिंग चलती रहती थी, लेकिन वर्तमान में किसानों व एमडीए अधिकारियों के बीच कोई मीटिंग भी नहीं हो पा रही है। इसका कोई रास्ता निकलते हुए नहीं दिखाई दे रहा है।

प्रतिकर को लेकर किसान आंदोलित

शताब्दीनगर ही नहीं, बल्कि गंगानगर योजना, वेदव्यासपुरी, लोहिया नगर योजना के किसान बढ़ा हुआ प्रतिकर मांग रहे हैं। इनका प्रतिकर तय भी हो चुका हैं, जिसके चेक देने बाकी है। छोटे किसानों को प्लाट दिये जाने थे, जिसकी तैयारी एमडीए अधिकारी अभी नहीं कर पाये हैं।

इसके लिए लंबा खींच रहा है। भाजपा विधायक डा. सोमेन्द्र तोमर भी इसमें कूद गए थे। भाजपा विधायक किसानों के पक्ष को लेकर एमडीए भी गए थे तथा जल्द प्रतिकर के सवाल पर निस्तारण करने की बात कही गई थी, लेकिन यहां के किसान फिर से आंदोलन करने की रणनीति तैयार कर रहे हैं।

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