- दो साल पहले किया था आवेदन, अधिकारियों ने अपने स्तर पर उपलब्ध कराया सिलेंडर और चूल्हा जिस गैस एजेंसी से सिलेंडर दिलवाया वह अब मांग रही वापस
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2016 में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत की गई थी।
गरीबी रेखा से नीचे आने वाले परिवार की महिलाएं लकड़ी, कोयला और गोबर के उपले से चूल्हा जलाती थीं। एलपीजी गैस के इस्तेमाल से महिलाएं और बच्चे स्वस्थ और सुरक्षित रहें। केन्द्र की मोदी सरकार कुछ माह बाद ही चुनाव मैदान में उतरने वाली है।
सरकार चुनाव प्रचार के दौरान अपनी जिन उपलब्धियों को जनता के सामने रखेगी उनमें उज्जवला योजना प्रमुख है। अब सामने आयी कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार उज्ज्वला योजना की सफलता पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है।
दरअसल, इस योजना के तहत लाभान्वित होने वाली परिवारों में से कई परिवार फिर से चूल्हा फूंक रहे हैं। इसका कारण बिना सब्सिडी वाले सिलेंडर के ऊंचे दाम और ग्रामीण इलाकों में गैस सिलेंडर्स की अपेक्षाकृत कम उपलब्धता को बताया जा रहा है।
पिछले दो सालों उज्जवला गैस कनेक्शन के इंतजार में 70 वर्षीय वद्धा चूल्हा फूंक रही है। फार्म भरने के बाद अभी तक न तो उसे कनेक्शन मिला है और न ही उसका सिलेंडर भरा गया।
महिला को आस है कि एक दिन उसको गैस कनेक्शन जरूर मिलेगा। ब्रह्मपुरी क्षेत्र के होेराम नगर में रहने वाली 70 वर्षीय वृद्धा विमला चौधरी पिछले एक साल से गैस सिलेंडर होने के बाद भी चूल्हा फूंक रही है। वृद्धा का कहना है कि उसने दो साल पहले उज्जवला योजना के लिए आवेदन किया था।
सभी मानकों को पूरा किया गया, यहां तक की उसके घर पर पूर्ति विभाग की टीम ने आकर सर्वे भी किया, लेकिन उसे आज तक कनेक्शन नहीं मिला। इसकी शिकायत जिलाधिकारी से की गई तो उन्होंने जिलापूर्ति अधिकारी को मामले में वृद्धा की मदद करने के लिए कहा।
इसके बाद पूर्ति विभाग ने ओबेरॉय गैस एजेंसी से मदद के रूप में एक सिलेंडर, गैस चुल्हा, रेग्युलेटर व पाइप दिलवा दिया। जब सिलेंडर खाली हुआ तो एजेंसी ने इसे एक बार फिर भरकर दे दिया, लेकिन अगली बार एजेंसी ने वृद्धा से यह कहते हुए सिलेंडर वापस करने को कहा उसके पास कनेक्शन की किताब नहीं है और न ही एजेंंसी उसे दे सकती है।
इसलिए सिलेंडर वापस कर दिया जाए। महिला तभी से घर में चूल्हे पर अपनी आंखें जला रही है। लकड़ियां लाने के लिए भी उसे काफी दूर तक जाना पड़ता है।
वहीं, इस संबंध में जिलापूर्ति अधिकारी राघवेंद्र सिंह का कहना है कि अभी तो आचार संहिता लगी है। इसलिए कुछ नहीं किया जा सकता, उसके बाद ही दिखवाया जाएगा कि महिला को किस कारण उज्जवला योजना का लाभ नहीं मिला। उसके पास कोई कागज भी नहीं है।
क्या है उज्जवला योजना?
गरीबी रेखा से जीवन-यापन करने वालों की मदद करने के लिए उज्जवला योजना की शुरुआत हुई थी। इस योजना में पांच करोड़ एलपीजी कनेक्शन तीन साल की अवधि में परिवारोें को दिये गए। वर्ष 2016-17 मेंही करीब 1.5 करोड़ महिलाओं को इसका लाभ मिला था।
योजना के अंतर्गत भारत सरकार प्रत्येक ग्रामीण व शहरी बीपीएल परिवर को 16 सौ रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करती है जो गैस कनेक्शन खरीदने के लिए है। इस योजना को पेट्रोलियम मंत्रालय के आधीन चलाया गया है। वर्ष 2016-17 व 18-19 तक तीन सालों के लिए योजना चलाई गर्ई है। जिसे अब आगे बढ़ाया गया है।
कैसे होता है आवेदन?
आवेदक द्वारा दी गई सभी जानकारी 2011 डेटा के साथ मिलाया जाता है। उसके बाद ही पता चलता है कि आवेदक योजना का पत्र है कि नहींं।
आवेदक की उम्र 18 साल से ऊपर होनी चाहिए।
आवेदक बीपीएल परिवार से संबध रखने वाली महिला होनी चाहिए, पुरुष इस योजना के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं।
आवेदक के घर में किसी के नाम से पहले से ही कोई एलपीजी कनेक्शन नहीं होना चाहिए।
आवेदक के पास बीपीएल प्रमाण पत्र अथवा बीपीएल राशनकार्ड होना आवश्यक है।
आवेदक द्वारा फार्म में दी गई सभी जानकारियां सही होनी चाहिए।
इन सभी मानकों को पूरा करने के बाद ही उज्जवला योजना का लाभ लिया जा सकता है। अब महिला को किस कारण कनेक्शन उपलब्ध नहीं हुआ यह तो जांच का विषय है, लेकिन उसे आज भी इसका इंतजार है।