Tuesday, October 22, 2024
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अनावश्यक बोझ

 

Amritvani 23


एक आश्रम में गुरु अपने शिष्य को अदभुत विद्या देते थे। गुरु अपने सभी शिष्य को प्रायोगिक ज्ञान देकर उनके जीवन में उतारने का प्रयत्न करते थे। एक बार गुरु ने अपने सभी शिष्यों से अनुरोध किया कि वे कल प्रवचन में आते समय अपने साथ एक थैली में बड़े-बड़े आलू साथ लेकर आएं। उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम लिखा होना चाहिए, जिससे वे नफरत करते हैं। जो शिष्य जितने व्यक्तियों से घृणा करता है, वह उतने आलू लेकर आए। अगले दिन सभी शिष्य आलू लेकर आए। किसी के पास चार आलू थे तो किसी के पास छह। गुरु ने कहा कि अगले सात दिनों तक ये आलू वे अपने साथ रखें। जहां भी जाएं, खाते-पीते, सोते-जागते, ये आलू सदैव साथ रहने चाहिए। शिष्यों को कुछ समझ में नहीं आया, लेकिन वे क्या करते, गुरु का आदेश था। दो-चार दिनों के बाद ही शिष्य आलुओं की बदबू से परेशान हो गए। जैसे-तैसे उन्होंने सात दिन बिताए और गुरु के पास पहुंचे। सबने बताया कि वे उन सड़े आलुओं से परेशान हो गए हैं। गुरु ने कहा- यह सब मैंने आपको शिक्षा देने के लिए किया था। जब सात दिनों में आपको ये आलू बोझ लगने लगे, तब सोचिए कि आप जिन व्यक्तियों से नफरत करते हैं, उनका कितना बोझ आपके मन पर रहता होगा। यह नफरत आपके मन पर अनावश्यक बोझ डालती है, जिसके कारण आपके मन में भी बदबू भर जाती है, ठीक इन आलुओं की तरह। इसलिए अपने मन से गलत भावनाओं को निकाल दो, यदि किसी से प्यार नहीं कर सकते तो कम से कम नफरत तो मत करो। इससे आपका मन स्वच्छ और हल्का रहेगा। सभी शिष्यों ने वैसा ही किया।


janwani address 158

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