आनंद कुमार अनंत |
जूस का सेवन पेय पदार्थों के रूप में सर्वत्र किया जाता है परंतु आमतौर पर लोगों को इसका पता नहीं है कि कौन-सा जूस कब लेना हितकर होता है। अगर इस बात का ध्यान रखकर जूस पिया जाए तो इससे न सिर्फ अनेक बीमारियों का उपचार ही हो सकता है, बल्कि अनेक बीमारियों को निकट आने से भी रोका जा सकता है। किस बीमारी में किस जूस का प्रयोग किया जाए, इसकी सामान्य जानकारी प्रस्तुत की जा रही है।
अनिद्रा
सेब, अमरूद और आलू का रस तथा पालक और गाजर के मिश्रित रस को अनिद्रा की स्थिति में पीना फायदेमंद होता है।
अपच
प्रात:काल खाली पेट एक गिलास कुनकुने पानी में एक नींबू निचोडकर पियें। भोजन के समय से आधा घंटा पहले एक चम्मच अदरक का रस पियें। पपीता, अनन्नास, ककड़ी और पत्ता गोभी का रस तथा गाजर, बीट और पालक के मिश्रित रस का सेवन करें।
अस्थिभंग (फ्रेक्चर)
हड्डी रोग विशेषज्ञ से उपचार कराने के बाद यथा शीघ्र लाभ के लिए पालक, चौलाई, मेथी, सहजन और अजवाइन के रसों को मिलाकर सेवन करें। आंवला, तरबूज, गाजर, अमरूद और पपीते का रस पीने से चोट वाले हिस्से को विशेष आराम मिलता है और उचित मात्र में प्रोटीन प्राप्त होता है।
आधा सीसी (माइग्रेन)
एक गिलास पानी में एक नींबू का रस तथा एक चम्मच अदरक का रस मिलाकर पियें।
आंतों का उपदंश
पाचक रसों में हाइड्रोक्लोरिक एसिड के अत्यधिक स्राव के कारण अन्तस्त्वचा का क्षय होने से आंतों में उपदंश (घाव) हो जाते हैं। इस अतिस्राव का कारण अधिकतर मानसिक तनाव या संताप होता है। आंतों के उपदंश भरने में गोभी का रस अक्सीर सिद्ध हुआ है। इसके लिए प्रतिदिन लगभग 4000-500 मिली तक गोभी (पत्तागोभी) का रस पीना चाहिए। उसके बाद ककड़ी, पपीता और आलू का रस भी पिया जा सकता है। खट्टे फलों के रस का सेवन नहीं करना चाहिए।
एसिडिटी
गोभी और गाजर का मिश्रित रस पियें। उसके बाद ककड़ी आलू, सेब, मौसमी और तरबूज का रस भी लिया जा सकता है। दूध का सेवन भी करना चाहिए।
कोलाइटिस
गाजर और पालक के मिश्रित रस का सेवन करें। गोभी, ककड़ी, सेब, बीट, पपीते, आलू, बिल्वफल और संतरे का रस भी लाभदायक है।
कृमि
एक गिलास गर्म जल में एक चम्मच लहसुन का रस और एक चम्मच प्याज का रस मिलाकर उसका सेवन करें। अनन्नास का रस भी उपयोगी है। इसके बाद मेथी-पुदीने का मिश्रित रस तथा पपीते का रस भी उपयोगी है।
खाज
गाजर-पालक का मिश्रित रस पीना हितकर होता है। आलू, पपीते या तरबूज का रस भी पिया जा सकता है। इसके बाद आलू का रस खाज वाली त्वचा पर रगड़ें व चुपड़ें।
खांसी
प्रात:काल गर्म पानी में शहद के साथ नींबू का रस पियें। एक गिलास गाजर के रस में एक-एक चम्मच लहसुन, प्याज और तुलसी के रस को भी ग्रहण करें।
गाउट (गठिया)
गर्म पानी में शहद के साथ नींबू का रस पियें। गर्म पानी में एक-एक चम्मच लहसुन और प्याज के रस का सेवन किया जा सकता है। गाउट के रोगी को फनसी और चेरी का रस विशेष रूप से पीना चाहिए। आलू का रस भी उपयोगी हो सकता है। मद्यपान, मांसाहार तथा अत्यधिक प्रोटीनयुक्त आहार का त्याग करें।
चर्म रोग
गाजर-पालक का मिश्रित रस पियें। आलू, ककड़ी, हल्दी, तरबूज, अमरूद, सेब, मौसमी एवं पपीते का रस भी पिया जा सकता है। पपीते या आलू के रस का उपयोग त्वचा पर लगाने में भी हो सकता है।
संक्रामक रोग
एक गिलास कुनकुने पानी में एक नींबू का रस और एक चम्मच शहद डालकर खाली पेट पियें। एक गिलास पानी में एक चम्मच लहसुन का रस और एक चम्मच प्याज का रस मिलाकर पियें। गाजर का रस या मौसमी संतरे के मिश्रित रस का भी सेवन करें।
टायफॉयड
प्रात: काल एक गिलास गर्म पानी में एक नींबू का रस का सेवन करें अथवा एक गिलास गर्म पानी में एक-एक चम्मच प्याज और लहसुन का रस डालकर पियें। उसके बाद मौसमी, संतरे का मिश्रित रस और तुलसी का रस पिया जा सकता है।
ज्वर
बुखार होने पर अन्न के अभाव में शक्ति को बनाए रखने के लिए रसों का आहार लेना अत्यावश्यक हो जाता है। प्रात: काल गर्म पानी के साथ शहद और नींबू का रस पियें। गर्म पानी के साथ लहसुन और प्याज के रस का भी सेवन किया जा सकता है। इसके बाद पत्तागोभी, दूध, घी, तुलसी, अनार, संतरा और मौसमी का रस पियें।
दांत की तकलीफें
गाजर, सेब, अमरूद, संतरा, भाजी इत्यादि का रस पियें तथा भाजियां चबाकर खाएं। नींबू का रस भी उपयोगी है। शक्कर का उपयोग नहीं के बराबर करें।
न्यूमोनिया
अन्य उपचार के साथ गर्म पानी में अदरक, नींबू और शहद लें अथवा गर्म पानी में लहसुन-प्याज का रस मिलाकर ग्रहण करें। उसके बाद तुलसी, मौसमी, संतरे और गाजर के रस का भी सेवन किया जा सकता है।
पायरिया
गाजर, सेब और अमरूद चबाकर खाएं तथा उनका रस पियें। नींबू, संतरे और भाजियों का रस भी उपयोगी सिद्ध होता है। कभी-कभी लहसुन-प्याज का रस पियें।
ब्रोन्काइटिस
प्रात: काल गर्म पानी में अदरक और शहद के साथ नींबू के रस का सेवन करें या गर्म पानी के साथ लहसुन-प्याज का रस पियें। इसके बाद मूली, गोभी, ककड़ी और गाजर का रस भी पिया जा सकता है। धूम्रपान बंद कर दें।
मूत्र की तकलीफें
सभी फल मूत्रल होते हैं, अत: वे मूत्रपिण्ड की जलन और मूत्र संबंधी तकलीफों में आराम पहुंचाते हैं। फिर भी विशेष रूप से बीट, गाजर, ककड़ी, तरबूज, अंगूर तथा अनन्नास का रस पियें। हरे नारियल का पानी बहुत फायदेमंद होता है।