- फंस सकते हैं पीडब्ल्यूडी के अधिकारी, कैसे बढ़ती चली गई पुल निर्माण की लागत ?
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: हस्तिनापुर-चांदपुर गंगा में बन रहे पुल पर जांच बैठ गई हैं। जांच भी विजिलेंस की। जांच किस बात पर बैठी हैं, यह भी जानना जरूरी हैं। वर्ष 2008 में भीकुंड-इकवारा के बीच गंगा पर पुल निर्माण के लिए पांच करोड़ की स्वीकृति हुई थी। तब यूपी में मायावती मुख्यमंत्री थी।
दो वर्ष के भीतर पुल का निर्माण पूरा करके देना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सपा सरकार प्रदेश में आई, तब फिर से पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने इसका रिवाइज बजट तैयार किया, जो पांच करोड़ से बढ़कर 86 करोड़ पर पहुंच गया। बात यही नहीं रुकी वर्तमान में भाजपा सरकार है।
ऐसे में फिर से इसका बजट रिवाइज किया गया, जिसमें 130 करोड़ रुपये की मांग सरकार से की गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लिया तथा कहा कि पुल निर्माण पूरा नहीं हुआ है तथा इसका बजट बढ़ता जा रहा है, इसकी वजह क्या हैं ?
इसको लेकर ही विजिलेंस जांच के आदेश कर दिये गए हैं। अब विजिलेंस टीम इसकी जांच करेगी, उसके बाद ही बाकी पैसा जारी होगा। विजिलेंस की टीम जांच करेगी कि इतना बड़ा बजट एक ही पुल पर खर्च किया जा रहा है, जो बार-बार बढ़ा दिया जाता है। इसमें कहीं सरकारी स्तर पर अधिकारी कोई घोटाला तो नहीं कर रहे हैं। इन तमाम बिंदुओं की जांच पड़ताल विजिलेंस करेगी।
यही नहीं, बरेली के चीफ इंजीनियर इसकी जांच पड़ताल कर रहे हैं। इससे संबंधित तमाम दस्तावेज उन्होंने मांग लिये हैं। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों में विजिलेंस जांच होने के बाद हड़कंप मचा हुआ है। इसमें पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की गर्दन भी फंस सकती है।
क्योंकि, बढ़ती लागत कई सवाल खड़े कर रहा हैं, जिसका जवाब तो अधिकारियों को ही देना पड़ेगा। क्योंकि जब पुल पांच करोड़ में तैयार होना था, मगर फिर 86 करोड़ मांग लिये गए। इस तरह से पुल निर्माण को लेकर लगातार बजट बढ़ता ही चला गया।
दरअसल, पुल का निर्माण सेतु निगम कर रहा हैं, जबकि एप्रोच रोड का निर्माण दो अलग-अलग ठेकेदारों को दिया गया था। बिजनौर की तरफ की अप्रोच रोड जीत कंट्रक्शन को टेंडर दिया गया हैं। बिजनौर की तरफ का हिस्सा बनकर तैयार है, लेकिन जांच के दायरे में जीज कंट्रक्शन भी हैं और उनका भुगतान भी सरकार ने रोक दिया है। हस्तिनापुर की तरफ की अप्रोच रोड का टेंडर वर्मा ठेकेदार पर था।
जिसको लेकर ज्यादा बवाल हुआ है। अभी भी हस्तिनापुर की तरफ की अप्रोच रोड नहीं बन पाई हैं। वैसे पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने टीसीआई की जांच भी करा चुके हैं, जिसके बाद ठेकेदार वर्मा की फर्म को ब्लैकलिस्ट भी कर दिया गया है।
बड़ा सवाल यह है कि क्या ठेकेदार की फर्म को ब्लैकलिस्ट करने मात्र से काम चल जाएगा। इसमें जो गड़बड़झाला हुआ है, उसके जिम्मेदार अफसरों व ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जानी चाहिए। विजिलेंस टीम की जांच पड़ताल जब आरंभ होगी, उसके बाद ही इसमें क्या घोटाला हुआ हैं, उसकी कलई खुलकर सामने आएगी।
जिसके बाद ही पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई संभव हो सकती है। वेस्ट यूपी में पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की यह पहली विजिलेंस जांच हुई है। शिकायत तो बहुत सारे कामों की हुई, लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुल निर्माण को लेकर विजिलेंस जांच बैठाई हैं। सीएम के आदेश के बाद पीडब्ल्यूडी के अधिकारी इसको लेकर कुछ बोलने को भी तैयार नहीं हैं।