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काली मां के मंदिर में दर्शन करने से भर जाती है भक्तों की झोली

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काली मां के मंदिर में दर्शन करने से भर जाती है भक्तों की झोली
  • 450 साल पुराना है सदर स्थित काली मां का मंदिर
  • मेघनाद के नाना भी यहां किया करते थे पूजा

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: नवरात्र के दौरान सदर स्थित सिद्धपीठ काली माई मंदिर में मां काली के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते है। इस मंदिर की मान्यता भी है कि यहां दर्शन करने मात्र से ही भक्तों की झोली भर जाती है। इतना ही नहीं पांच मुण्डों पर सवार होकर मां दर्शन देती है। नवरात्र के दौरान यहां काफी भीड़ रहती है।

बता दें कि सदर बाजार स्थित सिद्धपीठ काली माई मंदिर में मां काली के रौद्र रूप के दर्शन भी होते है। मां के इस दिव्य स्वरुप के दर्शन के लिए सिर्फ नवरात्र में ही नहीं वर्ष भर मां के भक्त दूर-दूर से आते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर नारियल की भेंट चढ़ाते हैं। मंदिर में स्थापित मां काली की मूर्ति साक्षात कलकत्ता की काली मां का रूप है, जिनके दर्शन से लोगों के दुख दर्द दूर हो जाते है।

मंदिर की स्थापना चार सौ पचास साल पहले नीलकंठ बनर्जी ने की। वह बांग्लादेश से मेरठ आकर इस स्थान पर रहने लगे। उन्होंने गुरुमंत्र प्राप्त कर मां काली की मूर्ति की स्थापना की और देवी की पूजा अर्चना करने लगे। तब से लेकर आज तक इसी स्थान पर मां काली की आराधना कर भक्त मां के दर्शन करते हैं।

नवरात्र में भक्तों की लगती है कतारें

मां के भक्त वैसे तो साल भर उनके दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं, लेकिन नवरात्र में मंदिर में मेले का माहौल रहता है। मां काली के दर्शन और मन्नत मांगने वालों की दिन रात लंबी कतारे लगी रहती है। यहां जो भी भक्त सच्चे मन से मां से मांगता उसे वह सब कुछ मिलता है।

पांच मुण्डों पर खड़ी मूर्ति

वर्तमान में उनकी 11वीं पीढी मां काली की सेवा कर रही हैं। पांच मुण्डों पर खड़ी है मां काली मंदिर में स्थापित काली मां की मूर्ति पांच मुण्डों पर खड़ी है। यह एक सिद्धपीठ है, जहां माता काली के साक्षात दर्शन होते है। देवी की मूर्ति को कोई स्पर्श नहीं कर सकता है। मां को वहीं लोग स्पर्श कर सकते हैं, जिन्होंने गुरुमंत्र धारण किया हुआ हो।

अमावस्या की रात होती है काली की पूजा

मंदिर पुजारी सोंकेत बनर्जी का कहना है कि हर अमावस्या को मां काली का पूजन किया जाता है। इस रात मां की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। इस रात मां की पायल की आवाज और मां के मंदिर में घूमने का आभास होता है।

वैसे तो मां के दर्शन मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं, लेकिन नवरात्र में मां के दर्शन और पूजा का विशेष महत्व है। यही वजह कि नौ दिन मां के दर्शनों के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। नवरात्र के बाद मंदिर में विशाल भंडारा भी किया जाता है।